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डीएम ने प्राईवेट बस व ट्रक को रूकवाकर जांच की

 जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने लालगंज स्थित माॅर्डन रेल कोच फैक्ट्री अस्पताल में बने एल-1 एल-2 चिकित्सालय निरीक्षण जाने के समय रेल कोच के निकट रास्तें में दिल्ली जा रही जनपद मेरठ की एक प्राईवेट बस सड़क पर लहरा कर चलाये जाने पर शक के आधार पर बस को रूकवाकर डीएम ने ड्राइवर से पूछ-ताछ की। ड्राइवर द्वारा सही जानकारी न दिये जाने पर लाईसेस व गाड़ी के रूट परमिट आदि दस्तावेज को देखा। उन्होंने एआरएम अक्षय व एआरटीओं अधिकारियों को जनपद इसी प्रकार चलाई जा रही डग्गामार बस पर नियमानुसार कार्यवाही करने के उचित दिशा निर्देश दिये। इसी दौरान जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने लालगंज रेल कोच फैक्ट्री के निकट एक वर्कशाप में पास हो रहे ट्रक की फिटनेस सही न पाये जाने पर डीएम ने ट्रक की आरसी व फिटनेस आदि दस्तावेज को देखा तथा एआरटीओं को निर्देश दिये कि वार्कशाप के लाइसेंस आदि की जांच करने के लिए आदेश दिये।

गायन ही मेरा जीवन है: चांदनी वेगड़

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देश में विभिन्न तरह की युवा प्रतिभाएँ है, जिन्होंने पूरे भारत में अपनी अलग पहचान बनाई है, ऐसी ही एक है, गुजरात के जामनगर की रहने वाली मधुर आवाज की धनी चांदनी वेगड़ है। एक शो के दौरान उनकी आवाज सुनकर हाई-स्पीड सिने इंटरनेशनल बैनर तले एक हिंदी फीचर फिल्म लिविंग रिलेशन के लिए साइन किया गया है। जिसके निर्माता आाशीष गजेरा व सोनल गजेरा है और निर्देशक अरमान जाहिदी है। चांदनी जामनगर के रहने वाले के.पी. वेगड़ की बेटी है, जोकि गुजरात ज्यूडिशियरी में पूर्व सीनियर सिविल जज एंड चीफ जुडिसियल मजिस्ट्रेट रह चुके है। जामनगर के श्री सत्य साई विद्यालय में दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली चांदनी पूरे गुजरात राज्य के राज्य कला महाकुम्भ- 2018, क्राइस्ट कॉलेज, राजकोट के स्पंदन 2019 जैसे कई प्रतियोगिताओं के लिए उनको चुना गया ज्यादातर में प्रथम और कुछ में तृतीय स्थान प्राप्त किया। इसके अलावा गुजरात राज्य में और मुंबई में कई शो में भी हिस्सा ले चुकी है। जब सात साल की थी तब से गायन ही उनके जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य रहा है। चांदनी वेगड़ कहती है के, उनके परिवाल वाले उनको बहुत सपोर्ट करते है। उनके परिवार में उनका बड़ा भाई राज व

दीपावली है दीपों के त्योहार

दीपावली एक ऐसा त्योहार है, जिसका इंतजार सभी को वर्ष भर रहता है। प्रकाश का यह त्योहार जहाँ सभी के जीवन में धन-धान्य लाता है वहीं दीपावली के आगमन से कुछ दिनों पूर्व ही बाजार सज-धज जाते हैं और लोग खरीदारी के लिए निकल पड़ते हैं। बच्चों के लिए तो यह त्योहार विशेष रूप से कौतूहल का विषय होता है। नये-नये कपड़े, पटाखे और तरह-तरह की मिठाईयाँ उन्हें खुश कर देती हैं। सब जगह रंग-बिरंगे रोशनी देते बल्बों की लड़ियाँ और एक दूसरो को बधाई देते लोगों का दिखाई पड़ना सचमुच सुखद होता है। दीपावली पर्व, सभी समुदाय के लोग मिल जुलकर मनाते हैं। यही नहीं अब तो दीपावली की धूम विदेशों तक जा पहुंची है, तभी तो ब्रिटेन की संसद और अमेरिका के व्हाईट हाउस में भी लक्ष्मी-गणेश का पूजन करके और दीप जलाकर दीपावली मनाई जाने लगी है। दीपावली एक ऐसा भी त्योहार है, जिसमें घर के बच्चांे से लेकर बड़े-बूढ़े तक बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।        दीपावली धार्मिक ढोंग और रूढ़ियों से दूर अपने आसपास फैले उजाले के प्रति आभार प्रकट करने का त्योहार है। इस त्योहार में अंधेरे से लड़ता प्रत्येक दीया समाज में यही उमंग भरता नज़र आता है कि हम जीवन के झंझावातो

पावन पर्व शुभ दीपावली

दीपावली उत्साह का पर्व है। अधिकतर गं्रथों मंे इस पर्व को दीपावली और कहीं-कहीं दीपमालिका (भविष्योत्तर, अध्याय 14 उपसंहार) की संज्ञा दी हैं वात्स्यायन कामसूत्र 1.4.82 के अनुसार ‘यक्षरात्रि’ तथा राज मार्तण्ड 1346-1348 के आधार पर ‘सुखरात्रि’ कहते हैं। निर्णय सिंधु, काल तत्व विवेचन के अनुसार यह पर्व चतुर्दशी, अमावस्या एवं कार्तिक प्रतिपदा इन तीनों दिनों तक मनाया जाने वाला कौमुदी-उत्सव के नाम से प्रसिद्ध है।    मूलतः दीपोत्सव ‘श्री’ अथवा लक्ष्मी का आवाह्न-पर्व है। लक्ष्मी की चर्चा श्री’ धन-देवी हैं तथा भगवान विष्णु की पत्नी हैं। जब हरि ने बावन रूप धारण किया तो लक्ष्मी पद्म कमल के रूप में अवतरित हुई। जब विष्णु परशुराम के रूप में आए तो लक्ष्मी ‘धरनी’ कहलायीं। राम के साथ सीता तथा कृष्ण के साथ रूक्मिणी बनकर वे सदैव विष्णु की पत्नी बनती आयी है।      पुरातन संस्कृति को जीवित रखने के लिए हम दीपावली का पर्व हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाते हैं। वस्तुतः दीपावली का उत्सव 5 दिनों तक, पाँच कृत्यों के साथ मनाया जाता है। धनतेरस अर्थात् धन-पूजा, नरक चतुर्दशी अर्थात् नरकासुर पर विष्णु विजय का उत्सव, लक्ष्मी पूज

नेशनल लेविल प्रतियोगिता में छात्रा को गोल्ड मैडल

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सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर (प्रथम कैम्पस), लखनऊ की कक्षा-4 की मेधावी छात्रा अन्वेषा पाराधर ने नेशनल लेविल इण्टर-स्कूल आॅनलाइन कम्पटीशन ‘ब्रेनोबे्रन वन्डरकिड-2020’ में गोल्ड मैडल अर्जित कर विद्यालय का नाम गौरवान्वित किया है। यह प्रतियोगिता शैक्षिक संस्था ब्रेनोब्रेन के तत्वावधान में आयोजित हुई। सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि इस प्रतियोगिता में देश भर के 1500 से अधिक विद्यालयों के छात्रों ने प्रतिभाग किया जिसमें सी.एम.एस. गोमती नगर (प्रथम कैम्पस) की इस प्रतिभाशाली छात्रा ने मेन्टल मैथ्स, लाॅजिकल एबिलिटी, जनरल नाॅलेज एवं स्पीड टाइपिंग में अपनी दक्षता का प्रदर्शन कर गोल्ड मैडल अर्जित किया। प्रतियोगिता के आयोजकों ने इस प्रतिभाशाली छात्रा की बहुमुखी प्रतिभा की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए मैडल व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।   श्री शर्मा ने बताया कि यह प्रतियागिता छात्रों को बौद्धिक क्षमता पर ध्यान केन्द्रित करने तथा त्वरित गति से समाधान ढूढ़ने एवं सीखने की क्षमता का विकास करने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। सी.एम.एस. अपने छात्रों को देश-विदेश

विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन सम्पन्न

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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार व अब्दुल शाहिद जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा-निर्देशन में एस0जे0एस0 पब्लिक स्कूल की मुख्य शाखा रायबरेली में बच्चों के विधिक अधिकार एवं मिशन शक्ति विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। कोरोना महामारी के समय सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। कोविड-19 से बचाव मास्क का प्रयोग दो गज की दूरी का अनुपालन करने हेतु जागरुक किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मयंक जायसवाल सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायबरेली द्वारा की गयी। सचिव द्वारा शिविर में उपस्थित बच्चों को सम्बोधित करते हुए बताया कि बच्चों को अपने अधिकारों के प्रति जागरुक होना चाहिए जिसके लिए शिक्षा बहुत जरुरी है। सचिव द्वारा कहा गया बच्चे देश का भविष्य है। सफल होना और सफल बने रहना दोनों में बड़ा अन्तर है। शिक्षा ग्रहण करने का उद्देश्य नौकरी के साथ-साथ सामाजिक जीवन कर्तव्य का बोध भी होना अनिवार्य है। हमें पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद पर भी ध्यान देना चाहिए जिससे हम मानसिक रुप से

विश्व एकता की शिक्षा इस युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है!

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(1) ‘‘विश्व एकता’’ की शिक्षा इस युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है :-                                 फारस में 12 नवम्बर 1817 को जन्मे बहाई धर्म के संस्थापक बहाउल्लाह ने 27 वर्ष की आयु में जिस काम को शुरू किया था, वह धीरे-धीरे विश्व के प्रत्येक भाग, प्रत्येक वर्ग, संस्कृति और जाति के करोड़ों लोगों की कल्पना और आस्था में समा गया है। बहाउल्लाह मानवजाति की परिपक्वता के इस युग के एक महान ईश्वरीय संदेशवाहक है। बहाउल्लाह का शाब्दिक अर्थ है - ‘ईश्वरीय प्रकाश’ या ‘परमात्मा का प्रताप’। बहाउल्लाह को प्रभु का कार्य करने के कारण तत्कालिक शासक के आदेश से 40 वर्षों तक जेल में असहनीय कष्ट सहने पड़े। जेल में उनके गले में लोहे की मोटी जंजीर डाली गई तथा उन्हें अनेक प्रकार की कठोर यातनायें दी गइंर्। जेल में ही बहाउल्लाह की आत्मा में प्रभु का प्रकाश आया। ‘बहाउल्लाह’ ने प्रभु की इच्छा और आज्ञा को पहचान लिया। (2) एक कर दे हृदय अपने सेवकों के हे प्रभु :-                 बहाउल्लाह की सीख है कि परिवार में पति-पत्नी, पिता-पुत्र, माता-पिता, भाई-बहिन सभी परिवारजनों के हृदय मिलकर एक हो जाये तो परिवार में स्वर्ग उतर आयेगा।