लॉक डाउन की घोषणा होते ही लोग जो अपने घर से दूर नौकरी या मजदूरी कर रहे थे वो अपने घरों को पहुचने के लिए पैदल ही निकल पड़े। ये लोग जिनको आप सर पर बोझ लेकर चलते देख रहे है ये पैदल ही सतना मध्य प्रदेश के लिए निकले है और ये कितनी यात्रा कर चुके है और कितना चलना है इनको पता नहीं है बस गंतव्य तक इन्हें पहुँचना है यहीं इनको पता है या यों कहिये की इनको केवल मंजिल ही दिखाई दे रही है। इनके हिम्मत और जज्बे के आगे सब दूरी नगण्य है। ये जो नौजवानों की भीड़ चली आ रही है इनकी चाल देखकर ये नहीं लगता कि ये 2 दिन पहले नोएडा से चलकर कुछ यात्रा पैदल कुछ यात्रा सवारी से करके पहुंचे है जो कि लगभग 750 किलोमीटर है आजमगढ़ से और आगे इनको अभी गाजीपुर जाना है और इनका कहना है कि गाड़ी मिली तो ठीक वर्ना पैदल ही चले जायेंगे।
मनुष्य का जीवन अपने आसपास के वातावरण से ही प्रभावित होता है। व्यक्ति के आस-पास के पशु पक्षी उसके जीवन का अभिन्न अंग है। भारतीय ऋर्षियों तथा संसार के अध्यात्मवादियो ने संसार के पक्षियों को ना केवल ज्योतिष तथा मनुष्य के भाग्य से जोड़ा है। बल्कि पक्षियों को उपयोग शकुन ज्योतिष, फलित तथा प्रष्न ज्योतिष तथा अनेकों ज्योतिष, तांत्रिक उपचारों और शारीरिक मानसिक रोगों के निवारण में किया है। भारत मे पंच प़क्षी शास्त्र, कल्ली पुराण पर आधारित तोते द्वारा भविष्यवाणी, पक्षी तंत्र तथा शकुन ज्योतिष का प्रयोग आदिकाल से ही किया जाता है भारत मे गरूड़ जी, नीलकंठ, काकभुषुंडी,, हंस, जटायु व संपाती, शुकदेव जी आदि दिव्य पक्षियों तथा अनेक देवी देवताआंे वाहन के रूप मे पक्षियों को प्रयोग किये जाने का वर्णन है। जैसे भगवान विष्णु का गरूड़, कार्तकेय जी का मयूर, माता लक्षमी का उल्लू, विश्वकर्मा, वरूण जी तथा स्वरसती जी का हंस आदि शनिदेव का कौआ आदि का प्राचीन काल मे पक्षियों द्वारा डाक सेवा युद्ध संबधी शकुन का भी काम लिया जाता था पक्षियों को स्वतंत्रता, नवीन विचारों, आनंद, तनाव, मुक्ति, प्रषंसा, यष, धन्यवाद देने, प्रजनन श