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राजन कुमार ने बनाया रिकॉर्ड

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हीरो राजन कुमार ने आइकॉन ऑफ इंडिया (इलेक्शन कमीशन) के रूप में जो कारनामे किये उससे एक अद्भुत रिकॉर्ड बन गया। मतदाताओं को वोट के लिए जागरूक करने के लिए सबसे ज्यादा कंपेन करने के लिए उन्हें रिकॉर्ड से सम्मानित किया गया है। चार्ली चैपलिन 2 के नाम से मशहूर हीरो राजन कुमार ने आइकॉन के रूप में डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिसर एवं डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट मुंगेर श्री राजेश मीना के साथ मिलकर मुंगेर बिहार में वोटिंग ट्री प्लांट करके भी एक अनोखा काम किया। वोटर्स अवेयरनेस के लिए इस तरह का अभियान पहली बार हुआ। और यह वोटिंग ट्री का कांसेप्ट राजन कुमार का इतना पसन्द किया गया इसे इलेक्शन कमिशन औफ इंडिया की मैगजीन इनोवेशन्स ऐंड इनिशियेटिव में प्रमुखता से जगह दी गई है। वोटिंग ट्री इन बिहार के नाम से पूरे पेज पे राजन कुमार की इस उपलब्धि का जिक्र किया गया है, जिससे राजन कुमार के फैन्स और बॉलीवुड में खुशी की लहर छा गई है।राजन कुमार के जरिये किये गए कामों से वोटिंग का प्रतिशत बढ़ा और अवाम में इस बात की अहमियत बढ़ी कि आइकॉन की महत्ता कितनी होती है? डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट मुंगेर राजेश मीना के साथ मिलकर राजन कुमार ने बि

देवकेरलम के गुप्त फार्मूले

नाड़ी ग्रन्थों की परम्परा मे देवकेरलम का विशेष महत्व है। मद्रास गर्वमेंट ओरिऐन्टल लाईब्रेरी मे देवकेरलम के 40,000 के श्लोक उपलब्ध है। जिसके चतुर्थांश भाग 9181, श्लोकों का अनुवाद दि टाइम्स आॅफ एस्ट्रोलोजी के संपादक स्व. आर संस्थानम जी ने अनुवाद किया है। स्वर्गीय सी. एस. पटेल जी ने अपने ग्रन्थों मे अरूधा सिस्टम आॅफ एस्ट्रोलोजी और नाड़ी एस्ट्रोलोजी मे देवकेरलम के तेलगू एडिशन पर कलम चलाई है। जिसके कुछ सटीक सूत्रों का वर्णन इस लेख में किया जा रहा है। 1. धनलाभ- देवकेरलम-भाग-2।।5626।। धनेश की नवांशगत राशि या उससे त्रिकोणगत राशि या धनेष से दृष्ट राशि पर गुरू को गोचर धनलाभ देगा। 2. ।। 5627।।  धनेश, दशमेश व लाभेश के राशि अंशों को जोड़ो प्राप्त राशि अंशों की नवांश राशि स्वामी के अन्र्तदशा मे जातक को धनलाभ होगा। 3. 4928- सूर्य जिस नवांश मे जाये वह या उससे त्रिकोणगत राशि पर शनि का गोचर पिता को रोग देगा शनि हेतु अशुभ राशियों मे सूर्य को गोचर उपरोक्त अवधि मे पिता को भारी तनाव देगा।  4. 5618- द्वितीय भाव की राशि या द्वितीयस्थ ग्रहों के जगह या द्वितीयेश गत राशि के अनुसार वाली जगह पर जातक जातक जाॅब करेगा।

पूर्व जंम का ज्ञान

पूर्वजंम में किये गये पाप कमों के कारण मनुष्य को अनेक प्रकार के आर्थिक समाजिक कष्टों, शारीरिक, मानसिक रोगों, मुसीबतंे और अनेक प्रकार के दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। जंमपत्री के ग्रह योग व हस्तरेखा के अशुभ चिन्हों से मनुष्य के गत जंम के पापों को जाना जा सकता है। भारतीय ज्योतिष व अध्यात्म के अनुसार मनुष्य को शुभ-अशुभ कमों को अवश्य ही भोगना पड़ता हैं। अवश्यमनु भोक्तवां मात्किचिंत फलमस्ति चेत। येन केनापि भोगेन नाभुकत्वाथं म्रियेत तत।। पिता का शाप-राहू सूर्य युति या त्रिकोण स्थिति पूर्व जंम के पिता का शाप देता है। यह पितृ दोष भी कहलाता है।  माता का शाप- चन्द्र राहू युति या त्रिकोण स्थिति पूर्व जंम के माता का शाप देता है।  भाई या शत्रु का शाप-मंगल राहू युति या त्रिकोण स्थिति पूर्व जंम के भाई का शाप देता है। यदि मंगल शत्रु राशि मे हो तो शत्रु का शाप हो मामा, शिक्षक सौत या ज्योतिषी का शाप - बुध राहू युति या त्रिकोण स्थिति पूर्व जंम के मामा, शिक्षक या ज्योतिषी का शाप का शाप देता है। यदि बुध गुरू की राशि मे हो तो ज्योतिषी का शाप हो यदि बुध स्वराशि मे हो या 2, 4, 5, 9 भाव मे हो तो शिक्षक का शा

राहू और वैवाहिक सुख

राहू और वैवाहिक सुख सुनने मे बड़ा अजीब सा लगता है। पर यह सच है। कि कैसे कालपुरूष का दुःखकारक और पूर्व जंम के पापों का कारक ग्रह विवाह जैसा महान सुख दे सकता है। तमिल ज्योतिष में एक कहावत है। कि राहू से अधिक कोई वरदान नही देता और केतु से अधिक कोई शाप नहीं देता है, ज्योतिष मे कई ग्रन्थों मे वर्णन आता है। कि विवाह समय के ज्ञान के लिये गुरू, शनि व राहू के संयुक्त गोचर को देखें। प्रस्तुत लेख मे राहू से जुड़े कई ऐसे सूत्रों का वर्णन किया जायेगा जो वैवाहिक सुख प्रदान करते हैंः-   1. भृगु बिंदू-भृगु बिंदू का वर्णन भृगु नंदी नाड़ी में मिलता है। जिसकी सर्वप्रथम खोज स्व चदंलाल पटेल ने की थी और 1997 में आई अपनी पुस्तक प्रैडिक्टिंग थू्र नवांश एंड नाड़ी एस्ट्रोलाॅजी में उसका वर्णन किया था यह चन्द्रमा और राहू की जंमस्थ स्थितियों का मध्य बिंदू होता है। जिससें त्रिकोण में शुभ ग्रहों का गोचर शुभ फल और अशुभ ग्रहों का गोचर अशुभ फल देता है। राहू और चन्द्रमा के राशि अंशों को जोड़ो योगफल का 2 से भाग दो जो राशि अंश आये उसी राशि अंश पर भृगु बिंदू होगा लेखक गोयल के अनुसार भृगु बिंदू से द्वितीय भाव पर गुरू का वक्री या

मेट्रोमोनियल एस्ट्रोलाॅजी वाइॅफ आर लाइफ पार्टनर

इस अजीबो-गरीब और अटपटे शीर्षक वाले और विचित्र विषय पर लेख लिखने का कारण गत दिनों मे कार्यालय मे कुछ अजीब सी वैवाहिक समस्याओं से पीड़ित लोगों का आना था तथा कुछ अविवाहित युवक युवतियों का अपनी परिवारिक, आर्थिक, कैरियर और मानसिक स्थितियों के आधार पर भावी वैवाहिक जीवन के बारे में सलाह मांगना, साथ ही विवाह पूर्व लड़के और लड़कियों का शादी को लेकर अपने माता-पिता से गंभीर मतभेद हो जाना प्रमुख कारण है। दरअसल बदलती सभ्यता के दौर मे देश मे भारी नई आर्थिक, पारिवारिक, समाजिक परिस्थितियों का जंम हुआ जिनको नई पीढी और पुरानी पीढ़ी दोनों ही पूर्ण रूप से समझने मे नाकाम रहे जिनके कारण नवयुवको युवतियों को अपना जीवन साथी खोजने तथा माता-पिता को दामाद और बहू खोजने मे भारी समस्या हो रही है लोग वाइॅफ आॅर लाइफ पार्टनर के अन्तर को समझने मे नाकाम रहे। यह लोग जिस सोच के आधार पर अपना जीवन साथी खोजते है विवाह के बाद उनको ठीक उससे विपरीत परिस्थितियों का सामना करता है जिससे पति पत्नी के बीच तलाक और सास बहू के झगड़े और दोनो परिवार के मध्य झगड़े, मुकदमे और एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ लग जाती है। थाना कचहरी इस समस्या को और ग

स्वातिक का अर्थ सौभाग्य

स्वातिक संसार मे व्याप्त एक प्राचीन प्रतीक है। भारतीय संस्कृति मे ऊँ के स्वातिक सबसे महत्वपूर्ण बाद प्रतीक है इसका उद्म भूतकाल के रहस्यमयी पर्तों मे खो चुका है। सर्वप्रथम आर्यों ने इसे मानवता की भलाई के लिये अपनाया। वहाँ ये यह संसार की अनेकों सभ्यताओं और देशों मे फैल गया। भारतीय दर्शन मे  विश्वचक्र का वर्णन है। स्वातिक का केन्द्र ब्रह्माण्ड का उद्गम स्थान है। खड़ी रेखा शिव और आड़ी रेखा पार्वती या स्त्री अंग है। उनका क्रास सारे विश्व की उत्पत्ति और उसके चक्र का निर्माण करता है। क्रास ईश्वर और रचना का प्रतीक है स्वातिक क्रास का पूर्ववर्ती रूप है। क्रास की चार भुजायें भारतीय अध्यात्म  के चार परूशार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष और चार दिशाओं पूर्व, पश्च्छिम, उत्तर, दक्षिण की प्रतीक है संस्कृत के शब्द स्वातिक का अर्थ सौभाग्य या शुभ होना होता है। स्वातिक सौभाग्य, समृद्धि या शुभफल का प्रतीक है। यह सूर्य और जीवन का प्रतीक है। इसकी दांयी भुजा विष्णु तथा दांयी भुजा माँ काली की प्रतीक है। 12,000 पुरानी सभ्यताओं मे स्वातिक पाया जाता है। स्वातिक ईसा पूर्व की तथा मध्ययुगीन योरोपनीय सभ्यताओं मे, मोहन ज

भारतीय संविधान देश में सर्वोपरि है

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रायबरेली। लोकतंत्र की पहचान भारतीय संविधान है भारत का संविधान ऐसा संविधान है जो विश्व में सबसे बड़ा व लोकप्रिय है जिसमें सभी के मौलिक अधिकारों को सुरक्षित कानून है संविधान शिल्पी बाबा साहब डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर द्वारा भारतीय संविधान को 2 साल 11 महीनें और 18 दिन में बनाया गया। भारतीय संविधान देश में सर्वोपरि है हम सभी को संविधान का पालन करते हुए अपने कर्तव्यों को पूरी तरह व ईमानदारी से निभाना चाहिए तथा राष्ट्रीय एकता व अखण्डता को अधिक मजबूत कराना चाहिए। सरकार व प्रशासन के दिशा निर्देशों का अनुपालन करने के साथ ही स्वच्छता, पठन-पाठन को बढ़ावा देने के साथ ही देश का एक अच्छा नागरिक बनने की ओर अग्रसर रहते हुए देश व समाज को विकास व उन्नति के रास्तों पर ले जाने का मार्ग चुनना चाहिए। यह विचार देर साय हार्थी पार्क, रायबरेली स्थित संविधान शिल्पी डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति के पास आयोजित संविधान दिवस विचार एवं काव्य गोष्ठी कार्यक्रम में व्यक्ति किये गये। उपस्थित जनों द्वारा संविधान शिल्पी बाबा साहब डाॅ भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण व मोमबत्तियां जलाकर उनको श्रद्धासुमन अर्पित करने के साथ