मैं गरीब जनता के लिए संघर्ष करता रहूँगा: संजीबा
आज से लगभग 25 वर्षों पहले आज के सत्यग्रही गांधी यानि वीररस कवि व समाज सेवक संजीबा के घर के एक कमरे में एक किरायेदार के बेटे ने आत्महत्या कर ली थी, अपने सुसाइड नोट में उसने लिखा कि मैं भारत की आर्थिक नीतियों के खिलाफ आत्महत्या कर रहा हूँ। इस घटना ने उनके जीवन को एक नई दिशा दे दिया,. बस उसके बाद समाज की व्यवस्था बदलने के लिए कानपुर की सड़कों पर पहले क्रांतिकारी कविताओं की पर्चियां बाँटने लगे और फिर सड़कों पर नुक्कड़ नाटक खेलने लगे, जिसके लिए नुक्कड़ नाटक खेलने के दौरान दर्जनों बार इन्हे जेल हथकड़ी, हवालात से गुजरना पड़ा। लेकिन उसके बाद भी वे रुके नहीं, नाटक के माध्यम से गरीबों की आवाज उठाने लगे, .सड़को पर अपनी कविता चित्रों की प्रदर्शनी लगाने लगे और आजकल संजीबा नाम से यू टियूब चैनल शुरू किया और अपने गीत-संगीत और गायन के जरिये जनता की तकलीफो को और सरकार की गलत नीतिओं को उजागर करते हैं और जनता के सामाजिक जागरण और व्यवस्था में सुधार लाना की कोशिश करते है। जिसके लिए वर्ष 2012 में सीताराम जिंदल ग्रुप ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने में 25 लाख रुपये का नकद पुरस्कार देकर दिल्ली में सम्मानित किया। संजीबा क