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परम सत्य को जाना जा सकता है!

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जीवन स्वयं एक देवता है। देह, मन, प्राण, आत्मा आदि उसी जीवन देवता के अंग हैं। अतः आहार-विहार, वैचारिक-शुचिता और सात्विकता द्वारा आरोग्यता एवं जीवन सिद्धि के लिए प्रयत्नशील रहें ..! आहार शुद्धौ सत्वशुद्धि, सत्व शुद्धो ध्रुवा स्मृतिः। स्मृतिर्लब्धे सर्वग्रन्थीनाँ प्रियमोक्षः ...॥ अर्थात् आहार के शुद्ध होने से अन्तःकरण की शुद्धि होती है, अन्तःकरण के शुद्ध होने से बुद्धि निश्छल होती है और बुद्धि के निर्मल होने से सब संशय और भ्रम जाते रहते हैं तथा तब मुक्ति का मार्ग सुलभ हो जाता है। जो व्यक्ति शरीर के साथ अपने मन, विचार, भावना व संकल्प को भी शुद्ध, पवित्र एवं निर्मल रखना चाहता हो, उसे राजसिक व तामसिक आहार का त्याग कर सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। आहार के बाद विहार का क्रम आता है। विहार अर्थात् रहन-सहन। इसे इन्द्रिय संयम भी कह सकते हैं। इसके अंतर्गत कामेन्द्रिय ही प्रधान है। योग साधना के दौरान इसकी निग्रह, शुचिता एवं पवित्रता अनिवार्य है। ब्रह्मचर्य व्रत के द्वारा इसी कार्य को सिद्ध किया जाता है। इंद्रिय संयम के अंतर्गत वाणी का संयम भी अभीष्ट है। साधना काल में वाणी का न्यूनतम एवं आवश्यक उपयो

नवनिर्मित अभिभावक हाॅल का भव्य उद्घाटन

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सिटी मोन्टेसरी स्कूल, राजेन्द्र नगर (तृतीय कैम्पस), लखनऊ में नवनिर्मित अभिभावक हाॅल का भव्य उद्घाटन हुआ। सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने फीता काटकर अभिभावक भवन का विधिवत् उद्घाटन किया। इस अवसर पर सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका डा. (श्रीमती) भारती गाँधी, सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट प्रो. गीता गाँधी किंगडन, सी.एम.एस. राजेन्द्र नगर (तृतीय कैम्पस) की प्रधानाचार्या श्रीमती दीपाली गौतम समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। अभिभावकों, छात्रों व आगन्तुकों को सुविधाएं प्रदान करने हेतु हाॅल का निर्माण किया गया है, जिससे विभिन्न कार्यो हेतु विद्यालय आने वाले अभिभावक व आगन्तुक शान्तिपूर्ण व सुविधाजनक वातावरण में अपने कार्य सम्पन्न कर सकें। इससे छात्रों व शिक्षकों को भी सुविधा मिलेगी तथापि धूप व बारिश आदि मौसम में सुरक्षित रह सकेंगे। इस नवनिर्मित अभिभावक भवन के उद्घाटन अवसर पर सम्पूर्ण विद्यालय परिसर को बहुत ही सुन्दर ढंग से सजाया-संवारा गया था। विदित हो कि सी.एम.एस. राजेन्द्र नगर (तृतीय कैम्पस) में आधुनिक तरीके से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने हेतु अनेकों सुविधाएं प्रदान की गई

महाराष्ट्र फ्लड रिलीफ रैली आयोजित

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सामाजिक संस्था एकता मंच, मुंबई के जनरल सेक्रेटरी अजय कौल द्वारा आयोजित महाराष्ट्र फ्लड रिलीफ रैली चिल्ड्रेन वेलफेयर सेंटर स्कूल से पूरे यारी रोड, सात बंगला और वर्सोवा में निकली गई जोकि सफलता पूर्वक सम्पन्न हुई। जिसमें हजारों लोगो ने तथा वहाँ के तमाम सामाजिक संस्थाओं, आसपास के कॉलेजो के विद्यार्थियों ने और आसपास के सभी रहवासियों ने हिस्सा लिया। संस्था, एकता मंच के जनरल सेक्रेटरी श्री अजय कौल ने इस अवसर पर कहा, आज महाराष्ट्र में बाढ़ की वजह से काफी गाँवो और जिलों में लाखों परिवार इससे प्रभावित हुए है और लोग मदद की उम्मीद लगाएं बैठे है। उनके इस दुख की घड़ी में साथ देना हमारी जिम्मेदारी है। आज ज्यादातर लोग महाराष्ट्र के मुम्बई शहर की वजह से व्यापार ,नौकरी व कामधंधा कर रहे है। इसलिए हमें महाराष्ट्र के लोगो के बारे में सोचना चाहिए और हमारे लोगो के काम आना चाहिए। इसलिए सभी को चाहिए के वे इसके लिए दिलखोलकर मदद करे। हम लोग भी अपनी जिम्मेदारी को निभाने की कोशिश कर रहे है। चिल्ड्रेन वेलफेयर सेंटर हाई स्कूल के एक्टिविटी चेयरमैन श्री प्रशांत काशिद ने रैली में आए सभी  लोगों को शामिल होने के लिए धन्यवा

कराटे शिविर समापन समारोह

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जिला कराटे संघ रायबरेली के तत्वाधान दस दिवसीय कराटे शिविर का समापन समारोह रामा कृषणा पब्लिक इंटर कालेज परिसर में मुख्य अतिथि क्षेत्राधिकारी गोपनीनाथ सोनी के संरक्षण में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के प्रतिभागी छात्र व छात्राओं को प्रशिक्षण प्रमाणपत्र मुख्य अतिथि द्वारा प्रदान किए गए। प्रशिक्षण का सफल आयोजन कराटे संघ के सचिव/मुख्य प्रशिक्षक राकेश कुमार गुप्ता के संयोजन में किया गया। प्रशिक्षक की भूमिका विवेक वर्मा एवं रितिका गुप्ता ने बड़े परिश्रम एवं लगन से सम्पन्न कराया। कार्यक्रम में उपाध्यक्ष पूजा गुप्ता का सराहनीय सहयोग रहा। संस्थान के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक जे0पी0 त्रिपाठी, प्रबन्धक अजय, अतुल, मेनका त्रिपाठी, आर.सी. सविता, प्रधानाचार्य सीमा मिश्रा, उमेश सिंह, अभिषेक द्विवेदी, रितु वर्मा आदि शिक्षकगण मौजूद रहे।

आजादी के तोहफे

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नोटबन्दी से तो नोट का मोहभंग हुआ ही था कि जी.एस.टी. भाई साहब ने पधारकर टैक्सों की मटियापलीत कर दी। जनता पूरी तरह से अब आजाद है। न ठीक से कमाने की इच्छा ही शेष रही है और न ही बचत की। बचत क्या घुइयाँ करेगी जब टैक्सों का अम्बार लग गया है। ये बात तो आजादी के बाद से अब जाके समझ में आयीं है। कि हम अपनी इनकम पर तो टैक्स देते ही है। मगर खरीद पर भी टैक्स देते हैं, केवल खरीद का मसला नहीं है। हर चीज की खरीद पर टैक्स है, किसी भी लाइसेंस और नवीनीकरण, और विलम्ब पर फाइन, हाउस, बिजली-पानी टैक्स, कपड़ा-सोना, हर समान की खरीद पर टैक्स और वैट आवागमन, यात्रा-देशाटन, सर से पैर तक टैक्सों की भरमार। अरे भई तुम्हें टैक्स ही लगाना है, तो सारी इनकम को एक मिनिमम टैक्स निर्धारित कर दीजिए बाकी आदमी की बचत, उसकी उम्मीदों, भविष्य, बच्चों, खुशियों, पर टैक्स क्यों लगाते हो। और देखो तो नेता-नगरी का मैटर कि अपनी आय, साधन, विलासितापूर्ण जीवन, विदेश यात्रा, रैलियों, फैशन, शौकों को इन सबसे दूर हैं। जब टैक्सों को इकट्ठा ही किया था, तो सब कर देते। इससे तो आम आदमी सदमें में है, बीमार हो रहा है, परेशान व दुखी है। सरकार की सस्ती

रक्षा बंधन का महत्व

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भारत विभिन्न धर्म, संस्कृति, सभ्यता का देश है। यहाँ पर हर रिश्ते को भी बड़ा मान-सम्मान मिला है और हर रिश्ते में एक प्रेम भी छुपा रहता है। इस समय सावन का महीना है रिमझिम फुँहारें शीतल, मन्द, सुगन्ध पवन चलती रहती है। ऐसे रिमझिम मौसम में सावन की पूर्णिमा का दिन आता है। इस दिन का बहुत महत्व होता है, इसी दिन भाई-बहन के पवित्र प्रेम का दिन है क्योंकि इसी दिन रक्षा बन्धन का त्योहार मनाया जाता है।  रक्षा बंधन कब से शुरू हुआ कोई नहीं जानता है। लेकिन पौराणिक मान्यता है रक्षा बंधन (राखी) देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तब दानव हावी होते नजर आने लगे। भगवान इन्द्र घबरा कर बृहस्पति के पास गये। वहां बैठी इन्द्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी। उन्होंने रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया। संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। लोगों का विश्वास है कि इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे। उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा चली आ रही है। यह धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है। अमरनाथ

भारत माता की जय!

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भारत की कालजयी-मृत्युंजयी सनातन वैदिक संस्कृति सर्वस्पर्शी-सर्वसमावेशी है। यह प्रकृति के साथ एकात्मता, सहअस्तित्व एवं समन्वय की पक्षधर है एवं यहां सभी मत-संप्रदायों का समान रूप से आदर है। अतः भारतमाता के उपासक होने पर हम अत्यन्त गर्वित हैं ..! भारत माँ की जय कहना, मातृभूमि की वन्दना है ! वन्दना से शक्ति मिलती है, यही है, देश की पूजा, यही है, देशभक्ति। अथर्ववेद में कहा गया है कि माता भूमिरू, पुत्रो अहं पृथिव्यारू। अर्थात, भूमि मेरी माता है और मैं उसका पुत्र हूँ। यजुर्वेद में भी कहा गया है, नमो मात्रे पृथिव्ये, नमो मात्रे पृथिव्यारू। अर्थात, माता पृथ्वी (मातृभूमि) को नमस्कार है, मातृभूमि को नमस्कार है। वाल्मीकि रामायण में उल्लेख है, जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ... (जननी और जन्मभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है।) भूमि सूक्त के दसवें मंत्र में मातृभूमि की धारणा को स्पष्टतः इन शब्दों में व्यक्त किया गया है, सा नौ भूमिविर्सजतां माता पुत्राय मे पयरू। यानी, मातृभूमि मुझ पुत्र के लिए दूध आदि शक्ति प्रदायी पदार्थ प्रदान करे। आदिकाल से ही पृथ्वी को मातृभूमि की संज्ञा दी गई है। अतः भारतीय अ