नेशनल प्रेजेन्टेशन समारोह


सिटी मोन्टेसरी स्कूल, चैक कैम्पस, लखनऊ द्वारा आयोजित दो दिवसीय सी.आई.एस.वी. मिनी कैम्प का समापन सी.एम.एस. कानपुर रोड आडिटोरियम में 'नेशनल प्रेजेन्टेशन समारोह' के साथ बड़ी धूम-धाम से सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर जहाँ एक ओर छात्रों ने देश-विदेश के लोक नृत्यों का पारम्परिक रंग-बिरंगी वेशभूषा में प्रस्तुतीकरण करके हँसते-गाते एक विश्व परिवार की अनुभूति करायी तो वहीं दूसरी ओर सर्व-धर्म व विश्व शान्ति प्रार्थना के भव्य प्रस्तुतीकरण के द्वारा सभी बच्चों ने एक-साथ मिलकर 'सारे विश्व में एकता व शान्ति राज्य कायम हो' का सन्देश सारी मानव जाति को दिया। देश-विदेश के लोकनृत्यों व लोकगीतों की अनूठी छटा ने अभिभावकों को मंत्रमुग्ध कर दिया तो वहीं दूसरी ओर प्रेरणादायी शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रमों द्वारा सभी को विश्व एकता व विश्व शान्ति के महत्व से अवगत कराया। इसके अलावा, छात्रों ने 'वल्र्ड पार्लियामेन्ट' के शानदार प्रदर्शन द्वारा उपस्थित दर्शकों का दिल जीत लिया।
 विदित हो कि सी.आई.एस.वी. बाल शिविर के अन्तर्गत छात्रों ने दो दिनों तक साथ-साथ रहकर विश्व एकता, विश्व शान्ति एवं विश्व बन्धुत्व का प्रशिक्षण प्राप्त किया एवं 'नेशनल प्रेजेन्टेªशन समारोह' के साथ बाल शिविर का समापन हुआ। सी.एम.एस. का मानना है कि नन्हें-मुन्हें बच्चों के ऐसे शिविरों में एक साथ मिलजुल कर रहने से सहयोग की भावना का विकास होता है एवं उनमें शान्ति, एकता एवं आपसी भाईचारे का प्रादुर्भाव होता है एवं यही भावना एक दिन विश्व परिवार का स्वप्न साकार करने में मील का पत्थर साबित होगी
 इस अवसर पर अभिभावकों व छात्रों को सम्बोधित करते हुए सी.एम.एस. चैक कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती अदिति शर्मा ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम बच्चों के सर्वांगीण विकास में विशेष सहायक हैं। प्रत्येक बच्चा धरती का प्रकाश बन सकता है। इसके लिए जरूरी है कि उसे उद्देश्यपूर्ण शिक्षा मिले और एक स्नेहमयी वातावरण में उसका बहुमुखी विकास हो। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो आगे आने वाली पीढ़ियों को संरक्षण व सुरक्षा प्रदान करे। सी.आई.एस.वी. (इण्डिया चैप्टर) के प्रेसीडेन्ट डा. जगदीश गांधी, सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् ने कहा कि विश्व के विभिन्न देशों में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के शिविरों में सी.एम.एस. द्वारा अपने छात्रों को शामिल करने से आपस में एक-दूसरे की प्रतिभा एवं अनुभवों का आदान-प्रदान करने के साथ ही साथ विभिन्न देशों की संस्कृति, सभ्यता, शिक्षा पद्धति, भाषा, खान-पान, रहन-सहन के बारे में जानने का सुअवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि सी.एम.एस. के कई छात्र दल प्रतिवर्ष इस प्रकार के एक माह लम्बे अन्तर्राष्ट्रीय बाल शिविरों में प्रतिभाग करने जाते हैं।


 


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