दान का महत्व

वैदिक ज्योतिष एवं प्राच्य विद्या शोध संस्थान अलीगंज, लखनऊ के तत्वाधान मे 130 वीं मासिक सेमिनार का आयोजन वाराह वाणी ज्योतिष पत्रिका कार्यालय मे किया गया सेमिनार का विषय ज्योतिष में दान का महत्व था जिसमे डा. डी.एस. परिहार के अलावा आचार्य राजेश, लेक्चरर के.के. त्रिपाठी, पं. शिव शंकर त्रिवेदी, प. जे.पी. शर्मा, इंजीनियर एस.पी. शर्मा तथा प. आनंद त्रिवेदी आदि ज्योतिषियोें एवं श्रोताओं ने भाग लिया गोष्ठी मे डी.एस. परिहार, पं. जे.पी. शर्मा, लेक्चरर के के त्रिपाठी, इंजीनियर एस.पी. शर्मा तथा पं. आनंद त्रिवेदी ने अपने अनुभव और व्यक्तव्य प्रस्तुत किये। प. आनंद त्रिवेदी ने नौ ग्रहों की विभिन्न वस्तुओं की लंबी सूत्री प्रस्तुत की तथा यह भी बताया नौ ग्रहों के दानों को अलग-अलग ग्रहों के लिये वर्णित सुपात्रों को ही दान करना चाहिये श्री डा. एस पी शर्मा ने बताया ज्योतिष के त्रिकोण कें भाव 1, 5, 9, दान करने के भाव है। तथा गुरू और केतु दान के कारक ग्रह है। तथा शनि अति स्वार्थी कंजूस और दान सें परहेज करनें वाला ग्रह है गुरू उदारता दया व दान का प्रमुख ग्रह है। दान कई प्रकार के होते है। जैसे विद्या दान, समाज सेवा निःस्वार्थ और कामना वाले दान आदि। प. जे पी शर्मा ने अपना एक अनुभव बताते हुये कहा कि सहारा ईंडिया का एक पदाधिकारी सांस की गंभीर बीमारी से पीड़ित होंकर अस्पताल मे था तो उनके गुरू प. शिवशंकर पाण्डे जी ने रोगी की कुंडली देखकर कहा कि इनके कई ग्रह खराब है। जिनका इतनी जल्दी जप नही हो सकता है। इनका तुला दान करवाओं पंडित जी ने स्वँय अपने सामने 20-20 किलो गेंहू, चावल, पाव भर मिठाई बैंगन आदि कई्र वस्तुओं का तुला दान करवाया और रोगी कुछ ही दिनों मे पूर्णतः रोगमुक्त हो गया शर्मा ने बताया कि जो ग्रह चन्द्र होरा मे जाते है। उनका मंत्र जप किया जाता है। और सूर्य होरा मे गये ग्रहों का दान किया जाता है। डी एस परिहार ने बताया कि दान की भी अपनी सीमा है। सारी समस्यायें दान से ठीक नही की जा सकती है। दान कई प्रकार के होते है। जैसे श्रमदान, नेत्र दान रक्तदान ग्रहों के दान सें स्वार्थ लालच कठोरता जैसी दुष्प्रवृत्तियों का विनाश होता है। तथा दया त्याग उदारता जैसी सत्प्रवृत्तियों का जंम होता है। ज्योतिष मे दान पापी ग्रहों के होते है। जो गत जंमों के पापों को कारण अनेक कष्ट देते हैं दान द्वारा कष्ट देने वाली ग्रहों की नकारात्मक तरंगों और दूषित उर्जा का विनाश होता है। डी एस परिहार ने अध्यक्षता  किया।


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