एस्ट्रोलाजी एण्ड गायक्नोलाजी

वैदिक ज्योतिष एवं प्राच्य विद्या शोध संस्थान अलीगंज, लखनऊ के तत्वाधान मे 134 वीं मासिक सेमिनार का आयोजन वाराह वाणी ज्योतिष पत्रिका कार्यालय में सम्पन्न हुआ। सेमिनार का विषय एस्ट्रोलाजी एण्ड गायक्नोलाजी था। जिसमे डा. डी.एस. परिहार के अलावा जज लाल बहादुर उपाध्याय, प. शिव शंकर त्रिवेदी, प. के.के. तिवारी, श्री उदयराज कनौजिया, डा. पी.के. निगम, अनिल कुमार बाजपेई एडवोकेट आचार्य राजेश श्रीवास्तव, पं. एस.एस. मिश्र तथा पं. आनंद त्रिवेदी आदि ज्योतिषियोें एवं श्रोताओं ने भाग लिया गोष्ठी मे डी.एस. परिहार, पं. के.के. तिवारी, आचार्य राजेश श्रीवास्तव जज श्री लाल बहादुर उपाध्याय, उदयराज कनौजिया, तथा पं. आनंद त्रिवेदी ने अपने अनुभव और व्यक्तव्य प्रस्तुत किये। उदयराज कनौजिया ने बताया कि संतान बाधा हेतु, पंचम भाव, पंचम से पंचम नवम भाव उनके भावेश और उनके कारक भी देखें संतान प्राप्ति के लिये लग्न जो स्वस्थ्य शरीर देता है। चन्द्र ईच्छा शक्ति 11 वां भाव मनोकामना पूर्ति का है, तथा सप्तम भाव से पंचम होने के कारण पत्नी का संतान भाव भी है, तथा कारक गुरू को अवश्य देखें साथ ही वक्री ग्रह भी देखें वक्री ग्रह की दशा मे तक संतान प्राप्ति नही होगी जब तक वो ग्रह मार्गी नही होगा उस समय का ग्रह गोचर भी फल को प्रभावित करेगा 10 में केतु पितृ शाप से संतान बाधा देगा आचार्य राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि तीसरा भाव संघर्ष और मेहनत का है तथा 3 या 11 वे भाव मे गुरू केतु का योग कान मे रोग देता है। शनि मंगल व राहू अशुभ घटनाओं के कारक ग्रह है। जज लाल बहादुर उपाध्याय ने बताया कि भागवत पुराण के अनुसार ज्योतिष अतीन्द्रिय ज्ञान है, जो साधना से ही प्राप्त होता है।  गर्ग संहिता के अनुसार पुत्र का संबध 11 वे भाव से है केन्द्राधिपत्य का गुरू दोष का संतान और उसके भविष्य के बारे मे बतायेगा तथा मंगल डा परिहार ने बताया कि सूर्य स्त्रियों मे जीवनी शक्ति, गर्भपात टयूमर या फाईब्राइडस और जलन देता है। चन्द्रमा हारमोंस व सूजन का कारक ग्रह है। शुक्र ओवरी, बुध फेलोपीन्स टयूब बंद, प्रजनन शक्ति का नाश, मंगल बच्चेदानी मे सूजन तंत्र मंत्र से कोख बांधना शनि अंगों का अपूर्ण विकास या अंगहीनता राहू केतु आर टी फैक्टर का ना मिलना, या वी.डी.आर. फैक्टर केतु व मंगल सिस्ट व आपरेशन देंगंे यदि आपरेशन योग भी हो तो अक्सर आपरेशन मे बच्चेदानी निकाल दी जाती है। चन्द्र, स्तन, यूटरस के रोग, वोम्ब, टयूमर, मासिक मे विकृति, स्त्री रिप्रोडेक्टिव सिस्टम, एनीमिया, ओवरी हारमोंस के कारण हारमोनल प्राब्लम्स के देता है। गोष्ठी की अध्यक्षता डा. परिहार ने की। 


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