सागर साहब जबान के शायर हैं। वह अपनी शायरी में इस बात को भी झुठलाते हैं कि उर्दू सिर्फ मुसलमानों की और हिंदी सिर्फ हिंदुओं की भाषा है। उनकी जबान का रंग पूरी तौर से हिंदुस्तानी है, और इस अर्थ में उन्हें फिराक साहब, चकबस्त और कृष्ण बिहारी नूर की रवायत पर अमल करने वाला शायर कहा जा सकता है। यह बात मशहूर गीतकार यश मालवीय ने गुफ्तगू द्वारा आयोजि ऑनलाइन परिचर्चा में सागर होशियारपुरी की पुस्तक ‘खुश्बू का चिराग’ का विमोचन करते हुए कहा। मैनपुरी जिले के बीएसए विजय प्रताप सिंह ने कहा कि सागर साहब की सारी गजलें अच्छी लगीं। भाव, शिल्प और भाषा सभी मानकों पर। जैसा कि भाषा के संबंध में यश मालवीय ने जिक्र किया है कि सागर साहब की गजलों की भाषा हिन्दुस्तानी है। यानी जिसमें बहुत खूबसूरती से हिंदी उर्दू के आम जबान के शब्द पिरो दिए गए हैं। कई बार बहुत सादी जबान में बहुत बड़ी बात कह दी जाती है, लेकिन उसका अर्थ दूर तक जाता है। सागर साहब की गजलें इसका प्रमाण हैं। अतिया नूर ने कहा गंगा-जमुनी तहजीब की अनमोल धरोहर सागर होशियारपुरी एक बेमिसाल, बाकमाल शायर हैं। उनके बारे में लिखना, कलम चलाना बहुत मुश्किल काम है, बेहद खूबसूरत अशआर से सजी उनकी हर गजल उनके नाम के मुताबिक सागर की गहराइयों से निकला अनमोल नगीना है। अनिल मानव ने कहा कि सागर होशियारपुरी की शायरी जिन्दगी जीने की कला सिखाती है। मुहब्बत, वफा, दोस्ती, खुद्दारी जैसे मानवीय गुणों ही हिफाजत रखने की प्रेरणा देती हुई गजलें इंसानियत का मार्ग प्रशस्त करती हैं। एक शेर देखें-’मुहब्बत जिससे करना उम्रभर उससे वफा करना’’ये शर्ते-दोस्ती है दोस्ती का हक अदा करना’। आज के इस दौरे-तरक्की में तहजीब, अदब, सलीका, और शर्मो-हया नदारद हो रहे हैं। बुजुर्गों के प्रति नई पीढ़ी में व्यावहारिक बदलाव के तौर-तरीकों पर आपकी नाराजगी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। इनके अलावा नरेश महारानी, मनमोहन सिंह तन्हा, शगुफ्ता रहमान, सुमन ढींगरा दुग्गल, डॉ. ममता सरूनाथ, ऋतंधरा मिश्रा, अर्चना जायसवाल, नीना मोहन श्रीवास्तव, रमोला रूथ लाल ‘आरजू’, शैलेंद्र जय, रचना सक्सेना और डाॅ. नीलिमा मिश्रा ने भी विचार व्यक्त किए। संयोजन गुफ्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज अहमद गाजी ने किया। मंगलवार को अर्चना जायसवाल की कविताओं पर परिचर्चा होगी।
मनुष्य का जीवन अपने आसपास के वातावरण से ही प्रभावित होता है। व्यक्ति के आस-पास के पशु पक्षी उसके जीवन का अभिन्न अंग है। भारतीय ऋर्षियों तथा संसार के अध्यात्मवादियो ने संसार के पक्षियों को ना केवल ज्योतिष तथा मनुष्य के भाग्य से जोड़ा है। बल्कि पक्षियों को उपयोग शकुन ज्योतिष, फलित तथा प्रष्न ज्योतिष तथा अनेकों ज्योतिष, तांत्रिक उपचारों और शारीरिक मानसिक रोगों के निवारण में किया है। भारत मे पंच प़क्षी शास्त्र, कल्ली पुराण पर आधारित तोते द्वारा भविष्यवाणी, पक्षी तंत्र तथा शकुन ज्योतिष का प्रयोग आदिकाल से ही किया जाता है भारत मे गरूड़ जी, नीलकंठ, काकभुषुंडी,, हंस, जटायु व संपाती, शुकदेव जी आदि दिव्य पक्षियों तथा अनेक देवी देवताआंे वाहन के रूप मे पक्षियों को प्रयोग किये जाने का वर्णन है। जैसे भगवान विष्णु का गरूड़, कार्तकेय जी का मयूर, माता लक्षमी का उल्लू, विश्वकर्मा, वरूण जी तथा स्वरसती जी का हंस आदि शनिदेव का कौआ आदि का प्राचीन काल मे पक्षियों द्वारा डाक सेवा युद्ध संबधी शकुन का भी काम लिया जाता था पक्षियों को स्वतंत्रता, नवीन विचारों, आनंद, तनाव, मुक्ति, प्रषंसा, यष, धन्यवाद देने, प्रजनन श