देश के लोगों के कल्याण के लिए पशु-पक्षी और जन-जन में दलाल के कंसेप्ट का प्रसार और विस्तार करने का व्रत लेकर निरंतर विचरण करने वाले कमीशनाधिपति ऋषिगणों को मैं खुलकर प्रणाम करता हूँ। कमीशनश्री के मूर्धन्य सम्मान से विभूषित परम आत्माओं को मैं पुनः-पुनः दण्डवत करता हूँ। एकमात्र उन्ही को सुविधा है कि वे बिना किसी रोक-टोक के कमीशन लोक के पर्याय विभिन्न मंत्रालयों व आॅफिसों में आत्म कल्याण के लोक कल्याण में बदलने के लिए अपने चरण-कमलों की रज को उनके सोफों पर छिड़क दें। वे समय-असमय भगवन् दलाल के निकट पहुँचकर अपनी सामयिक व असामयिक चुनावी घोषणाओं और वादों को दरकिनार करते हुए कमीशनावतार के रूप में पर्चा देने के लिए किसी सौदेबाजी के गर्भधारण करने का पवित्र कारज करते हैं। अतः देश के उत्तम स्वास्थ्य के लिए प्रत्येक नर-नारी को कमीशन स्रोत नियमित रूप से करना चाहिए।
ओम श्री इच्छामि, कोठी, कार, बैंक बैलेंस बढ़मि कमीशनम् नमामि। जो कमीशन को देने वाले दलाल देवगण का अपमान करते है, उनका तिरस्कार करते है। उनकी लुटिया हमेशा डूबती दिखी है। नाना रूपाणि कमीशननानि। एक बार मामला प्रकाश में आ जाए तो पुनः-पुनः दलाल देव की शरण में जाकर फिर कमीशन के प्रसव में मददगार बनकर पुराने दाग को रिन की चमकदार सफेदी और दूध मोती की सफेदी से भी चमकदार बनाया जा सकता है। कहा जाता है कि सौदे की दाल कमीशन का काला है। लेकिन यह कहकर कमीशन जी को अपमानित नहीं किया जाना चाहिए। दाल में कमीशन का काला नहीं है, कमीशन के मध्य कहीं सोदे का होना हो सकता है, अतः कमीशन सर्वव्यापी, सर्वशक्तिशाली है और अपना दरबार शासन व प्रशासन के बीच में जमाकर बैठा हुआ है। अतः कमीशन जी का मैं पुनः घोर समर्थन करते हुए साष्टांग दण्डवत् करता हूँ।
कमीशन रक्षा में है, कमीशन रक्षक में है, कमीशन दिल्ली में है, कमीशन अफसर में है, कमीशन रंगीन टेलिविजन घोटाले में भी है, कमीशन बोफोर्स के रूप में प्रकटता है तो कमीशन ‘वेस्ट एंड’ के रूप में अपना विराट स्वरूप दिखाता हैं कमीशन शिक्षा में, कमीशन स्पष्ट घुसा पड़ा है परीक्षा में। फिर भी कमीशन धूम रहा है हमारे चिकित्सा तंत्र में। कमीशन उद्घाटन में है और वह भाषण में भी है। कमीशन चाटण में है तो कमीशन अभिनन्दन और पुरस्कार में है। स्मारिका चाहे वह किसी महाअधिवेशन की हो चाहे किसी अकादमी की हो हमारा कमीशन रत्न जड़ित आभूषण पर विराजमान है। कमीशन इल्म में है तो कमीशन इश्क में है। कमीशन तो हमारी प्यारी-प्यारी फिल्म में भी है। मगर यह चोरी-चोरी, चुपके-चुपके दिखते हुए खुलेआम है। अतः अगेन अहम् कमीशनैः नमो नमः एण्ड कमीशन शरणं गच्छामि कहो कहः।
कमीशन सचिवालय में है तो कमीशन मंत्रालय में है। कमीशन औषधालय में है तो कमीशन कमीशन में है। कमीशन विदेशी हवाई जहाजरूढ़ होकर स्विस बैंकों के अभयारण्य में गुल खिलाता, तो कमीशन देर रात फाइव स्टार होटलों में अपनी प्यारी-सी पी.ए. के साथ पिए हुए इठलाता है। कमीशन हीरम तोता है जो विदेशी सैर-सपाटों का रूट चार्ट बनाने में ही मसगूल रहता है। यह निर्गुण भी है तो सगुण भी है। यह हमारे देश सेवकों का परम प्रिय है, तो अकादमियों का परम आदणीय भी। कमीशन मलेरिया में है तो, कमीशन फाइलेरिया में है। अगर बिचारा इन बीमारियों में भी न होता तो स्वास्थ्य मंत्रालय इतना फिट आखिर किस तरह रहता? अतः वंस अगेन आई एम नतमस्तक अगेंस्ट कमीशनश्री।
समस्त शिक्षा का सार! समस्त देश सेवा का सार! सभी तरह की राजकीय सेवा का सार! क्षितिज और ऊध्र्वाधर सहित दसों दिशाओं में व्याप्त कमीशनश्री चमकता है, दमकता है और पुनरूद्भाक्ति होता है। जो मूरख है, करम का फूटा है, गोबर का गणेश है, गुबरैला है, धरम का फूटा है, शरण का फूटा है, वही कमीशन जी का अनादार करता है और अंततः भयंकर गरीबी के एडृस का शिकार होकर कमीशन के पितृदेव दलाल श्री के शाप से तड़प-तड़प कर मरता है। अतः कमीशनावतार के नए रहस्य को जानने पर ओम नमस्तस्यै-नमस्तस्यै नमस्तुभ्याम् नमो नमः कमीशन् च दलालम् नमाभिः। सर्व मंगलकारी सर्व दुःखहारी कमीशन तेरी जय हो! दलाल तेरा कल्याण करे।
मनुष्य का जीवन अपने आसपास के वातावरण से ही प्रभावित होता है। व्यक्ति के आस-पास के पशु पक्षी उसके जीवन का अभिन्न अंग है। भारतीय ऋर्षियों तथा संसार के अध्यात्मवादियो ने संसार के पक्षियों को ना केवल ज्योतिष तथा मनुष्य के भाग्य से जोड़ा है। बल्कि पक्षियों को उपयोग शकुन ज्योतिष, फलित तथा प्रष्न ज्योतिष तथा अनेकों ज्योतिष, तांत्रिक उपचारों और शारीरिक मानसिक रोगों के निवारण में किया है। भारत मे पंच प़क्षी शास्त्र, कल्ली पुराण पर आधारित तोते द्वारा भविष्यवाणी, पक्षी तंत्र तथा शकुन ज्योतिष का प्रयोग आदिकाल से ही किया जाता है भारत मे गरूड़ जी, नीलकंठ, काकभुषुंडी,, हंस, जटायु व संपाती, शुकदेव जी आदि दिव्य पक्षियों तथा अनेक देवी देवताआंे वाहन के रूप मे पक्षियों को प्रयोग किये जाने का वर्णन है। जैसे भगवान विष्णु का गरूड़, कार्तकेय जी का मयूर, माता लक्षमी का उल्लू, विश्वकर्मा, वरूण जी तथा स्वरसती जी का हंस आदि शनिदेव का कौआ आदि का प्राचीन काल मे पक्षियों द्वारा डाक सेवा युद्ध संबधी शकुन का भी काम लिया जाता था पक्षियों को स्वतंत्रता, नवीन विचारों, आनंद, तनाव, मुक्ति, प्रषंसा, यष, धन्यवाद देने, प्रजनन श