पत्रकारों के रहते पत्रकारिता पर संकट नही आ सकता

हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर उपजा के कैंप कार्यालय में यूपी जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन की जिला इकाई की बैठक आयोजित की गई। बैठक में पत्रकारों से जुड़ी हुई विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की गई मुख्य रूप से कोरोनाकाल  में बंद हो रहे अखबारों और समाचार चैनलों द्वारा पत्रकारों को नौकरी से निकाले जाने के गंभीर मुद्दे पर चर्चा की गई। इस अवसर पर सभी ने एकमत होकर सरकार से मांग की कि सरकार को इस संक्रमण काल में सभी पत्रकारों का पचास लाख रुपए का बीमा कराना चाहिए। इसके साथ ही आर्थिक संकट से गुजर रहे सभी अखबारों को आर्थिक पैकेज भी उपलब्ध कराया जाये।
          चर्चा के दौरान विभिन्न जनपदों में प्रशासन द्वारा पत्रकारों के ऊपर दर्ज कराए गए फर्जी मुकदमों का मुद्दा भी उठा सरकार से मांग की गई कि इस तरह कि सभी फर्जी एफआईआर निरस्त कराई जाए। सभी जिला जिलाधिकारियों को इस तरह के मुकदमें दर्ज न कराने के निर्देश जारी किए जाएं। इसके साथ ही सरकार से यह भी मांग की गई की अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी वरिष्ठ पत्रकारों को पेंशन दी जाए तथा पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाए। उपजा जिलाध्यक्ष शिवमनोहर पांडेय ने कहा की  कोरोना काल में भी पत्रकारो ने जिस प्रकार से सराहनीय कार्य किया है उसने सिद्द कर दिया है ऐसे पत्रकारों के रहते पत्रकारिता पर संकट नही आ सकता। उपजा महामंत्री राजेश मिश्र ने कहा कि हमें पत्रकारिता के मूल-भूत सिद्धांतो को नही भूलना चाहिये। उपजा जिला उपाध्यक्ष दुर्गेश मिश्र ने कहा पत्रकारिता भी बड़े नाजुक दौर से गुजर रही है। इस समय हम पत्रकारों को सम्भल कर रहना है। सरकार को आर्थिक संकट से गुजर रहे सभी पत्रकारों को सहयता देने की मांग संगठन के माध्यम से की गई है। कार्यक्रम में आये प्रमुख पत्रकारों का सम्मान माला पहनाकर किया गया। इस मौके पर नरेंद्र सिंह, विवेकानंद त्रिपाठी, राधाकृष्ण शुक्ला, शशांक अग्निहोत्री ,बीएन मिश्रा, फतेह बहादुर, पंकज गुप्ता, रत्नेश मिश्र आदि मौजूद रहे।


 


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