राजस्थान, पंजाब, हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में टिड्डा के प्रकोप के दृष्टिगत जनपद में टिड्डी दल के आक्रमण होने की संभावना बढ़ गयी है। टिड्डी दल राजस्थान के जनपद जयपुर और दौसा होते हुए भारतपुर या करौली जनपद के रास्ते से होते हुए प्रदेश के अन्य जनपद में प्रवेश कर सकता है। किसानो को टिड्डी की पहचान एवं आक्रमण जानकारी दी गई है कि टिड्डी दल में करोड़ों की संख्या में लगभग दो ढाई इंच लंबे कीट होते हैं जो फसलों को कुछ ही घंटो में चट कर जाते हैं। टिड्डी दल का आकार लगभग 3गुणा5 किलोमीटर है यानी यहां जब बैठता है तो 3 किलोमीटर लंबाई और 5 किलोमीटर चैड़ाई में फैल जाता है। यह सभी प्रकार के हरे पत्तों पर आक्रमण करते हैं।
कृषक टिड्डी दल के आक्रमण से बचने के लिए अपने खेतों में आग जलाकर पटाखें फोड़ कर थाली बजाकर ढोल नगाड़े बजाकर आवाज करें। कीटनाशक रसायनों जैसे क्लोरपीरिफाॅस, साइपरमैथरीन, लिंडा इत्यादि कीटनाशकों का टिड्डी दल के ऊपर छिड़काव करें, यह टिड्डी दल शाम को 6 से 7 बजे के आसपास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 8-9 बजे के करीब उड़ान भरता है अतः इसी अवधि में इनके ऊपर कीटनाशक दवाइयो का छिड़काव करके इनको मारा जा सकता है। यदि आपके क्षेत्र में टिड्डी दल दिखाई देता है तो उपाय को अपनाते हुए तत्काल अपने क्षेत्र के कृषि विभाग के कर्मचारी से सम्पर्क कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए समस्त तहसील में नोडल अधिकारी नामित किया गया है। तहसील सदर में लिलेस पाल 9140509855, सालोन में रमारमन शुक्ल 7007061237, महराजगंज में अजय सिंह 9919959728, लालगंज में संत कुमार 8273650522, डलमऊ हसमत अली 7905421651, ऊँचाहार में हर प्रसाद 8601207760 नामित है। किसान टिड्डी के प्रकोप को देखते हुए नोडल अधिकारी से सम्पर्क कर सकते है। टिड्डी दल के आक्रमण की दशा में लोकस्ट कन्ट्रोल आर्गेनाइजेशन फरीदाबाद को पर एवं क्षेत्रीय केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन केन्द्र, लखनऊ के फोन नं0 0522-2732063 एवं ई-मेल पर सूचित करे ताकि प्रशिक्षित व्यक्तियों एवं समुचित यंत्रों के माध्यम से प्रभावशाली नियंत्रण कराया जा सके।
मनुष्य का जीवन अपने आसपास के वातावरण से ही प्रभावित होता है। व्यक्ति के आस-पास के पशु पक्षी उसके जीवन का अभिन्न अंग है। भारतीय ऋर्षियों तथा संसार के अध्यात्मवादियो ने संसार के पक्षियों को ना केवल ज्योतिष तथा मनुष्य के भाग्य से जोड़ा है। बल्कि पक्षियों को उपयोग शकुन ज्योतिष, फलित तथा प्रष्न ज्योतिष तथा अनेकों ज्योतिष, तांत्रिक उपचारों और शारीरिक मानसिक रोगों के निवारण में किया है। भारत मे पंच प़क्षी शास्त्र, कल्ली पुराण पर आधारित तोते द्वारा भविष्यवाणी, पक्षी तंत्र तथा शकुन ज्योतिष का प्रयोग आदिकाल से ही किया जाता है भारत मे गरूड़ जी, नीलकंठ, काकभुषुंडी,, हंस, जटायु व संपाती, शुकदेव जी आदि दिव्य पक्षियों तथा अनेक देवी देवताआंे वाहन के रूप मे पक्षियों को प्रयोग किये जाने का वर्णन है। जैसे भगवान विष्णु का गरूड़, कार्तकेय जी का मयूर, माता लक्षमी का उल्लू, विश्वकर्मा, वरूण जी तथा स्वरसती जी का हंस आदि शनिदेव का कौआ आदि का प्राचीन काल मे पक्षियों द्वारा डाक सेवा युद्ध संबधी शकुन का भी काम लिया जाता था पक्षियों को स्वतंत्रता, नवीन विचारों, आनंद, तनाव, मुक्ति, प्रषंसा, यष, धन्यवाद देने, प्रजनन श