तीन पुतलिया

लखनऊ रायबरेली राजमार्ग पर सीमांत ईलाके मे बांये हाथ पर एक पुराना कस्बा है। नगराम वहाँ आजादी के कई साल पहले रामनारायन साहू नामक एक किराना व्यापारी रहते थे 35-36 साल के रामनारायन के परिवार मे पत्नी सरोज के अलावा तीन बेटे और दो बेटियां थीं उनका पुश्तैनी और जमा-जमाया व्यापार था उनका दुमंजिला पक्का मकान था जिसके निचले हिस्से मे दुकान और गोदाम थे कई गंावंों के बीच इकलौती दुकान होने कारण खूब चलती थी उनके पास निजी खड़खड़ा था वे हर बुधवार को माल खरीदने खडखडे से अपने नौकर गोपाल के साथ तेलीबाग मंडी जाते और जरूरत का सामान लाते थे वे मंडी के लिये तड़के चलते लौटते हुये अक्सर शाम हो जाती थी यह 1945 की आषाढ अमावस की बात है। आज मंडी मंे कुछ ज्यादा भीड़ होने के कारण मंडी से निकलने मे कुछ ज्यादा देर हो गई थी आसमान में बादल छाये हुये थे इसलिये पांच बजे ही अंधेरा सा फैलने लगा था हवा का नामो-निशान ना था उमस भरी गर्मी थी मंडी से निकलने पर खड़खड़ा चलने पर कुछ हवा लगने लगी थी अभी वे मुशकिल से आधे घंटे चले थे कि कि उन्होने देखा कि आगे सडक बंद है। सामने भारी भीड़़ जमा है। पास जाने पर पता चला कि किसी लारी वाले ने किसी बैलगाड़ी को टक्कर मार दी है। जिसमे बैल और तीन आदमी मर गये है। कपड़े से ढकी लाशे वहीं पड़ी थी अतः पुलिस ने सड़क बंद कर थी और यात्रियों को बांये हाथ पर गुजरने वाले कच्चे रास्ते पर मोड़ दिया गया था यह रास्ता काफी लंबा उबड़खाबड़ घने पेड़ो ंसे घिरा और बिलकुल उजाड था मजबूरन रामनारायन को इस रास्ते पर खड़खड़ा मोड़ना पड़ा गोपाल ने चिमनी जला दी थी अमावस होने के कारण आज अंधेरा कुछ ज्यादा ही था रास्ता सुनसान पड़ा था दूर-दूर तक कोई नजर नही आ रहा था तभी रामनारायन को रास्ते के बीचो-बीच मे एक औरत खड़ी नजर आई जिसका चेहरा ठीक से नजर नही आ रहा था नारायन चिलाया ऐ सड़क छोड़कर किनारे खड़ी हो हटो-हटो पर वह नही हटी खड़खड़ा जैसे ही उसके नजदीक पहुँचा वो औरत हवा मे गायब हो गई पहले तो रामनारायन को कुछ समझ मे नही आया फिर गोपाल चिल्लाया मालिक ये तो चुड़ैल है चुड़ैल का नाम सुनकर रामनारायन को दहशत का दौरा ही पड़ गया उनका चेहरा सफेद हो गया दिमाग सुन्न हो गया शरीर डर से कांपने लेगा उन्होने गोपाल पर नजर डाली वो भी डरकर कांप रहा था रामनारायन मे बिना कुछ सोचे-समझे खडखड़ा दौड़ा दिया एक आध मील जाकर उनकी हालत सामान्य हुयी कुछ दूर आगे जाने पर उन्हें बांयी ओर दूर एक रोशनी नजर आई उन्होने सोचा शायद आगे कोई आबादी हो पर नजदीक जाने पर पता चला कि यह एक छोटी सी किसी देवी-देवता की टेकरी थी जिसमे एक दिया जल रहा था पास ही तीन साये खड़े दिखाई दिये वे सर से पैर तक सफेद कपड़े मे लिपटे थे मानो तीन सफेद कपड़े मे लिपटी तीन लाशें हों टेकरी मे तीन पुतलियानुमा देवी की मुर्तियां थी। रामनारायन  को भारी डर लगा उसने पुनः घोड़ा दौडा दिया और सीधे घर जाकर ही रोका घर पहुँचते ही गोपाल बेहोश हो गया, बड़ा बेटा वैध जी को बुला लाया वैध जी ने रामनारायन को कोई दवा सुंघाई जिससे गोपाल को कुछ देर मे होश तो आ गया पर बिकुल गुमसुम सा हो गया सुबह उठा तो उसका पूरा बदन तेज बुखार से तप रहा था गोपाल ने घर वालों को पूरी बात बताई सुबह निगोंहा के मशहूर वैद्य गंगाधर जी बुलाये गये उन्होने नाड़ी देखकर बताया कि इन्हें किसी चीज को देखकर भारी सदमा लगा है उसी के कारण बुखार ने पकड़ लिया है। उन्होंने कुछ पुड़िया दी उनसे केवल इतना आराम मिला कि जितनी पुड़िया का असर रहता बुखार उतर जाता था इसी तरह कई हफते गुजर गये रामनारायन  सूख कर कंाटा हो गया कारोबार भी तबाह हो गया इसी बीच एक दिन शिवपुरा गांव का चैतु भगत किसी काम से गांव आया तो घर वालांे ने उससे मिल कर अपनी समस्या बताई भगत ने घर आकर नारायन को देखा और देखते ही बोला इस पर तो किसी बुरी चुड़ैल का साया है। जो धीरे-धीरे इसका खून चूस रही है। अगर जल्दी ही कोई उपाय नही किया गया तो नारायन का बचना मुशकिल है। उसने एक परारत मे साफ पानी मंगवाया उसे मंत्र पढकर फूँका फिर रामनारायन और बाकी घर वालों को पानी मे देखने को कहा सबको पानी मे सफेद साडी पहने 30-35 साल की एक औरत दिखाई दी नारायन चुड़ैल-चुड़ैल कहते हुये बेहाश हो गया सब घबरा गये भगत ने पानी पर मंत्र फूँक कर नारयन पर पानी के छींटे मारे जिससे कुछ देर मे नारायन होश मे आ गया भगत ने उसने एक तावीज पहना दी और कुछ सामान लिखाकर अमावस की रात आने का वादा किया कुछ दिन तो रामनारायन  ठीक रहा पर एक रात जब सब लोगों के साथ वो छत पर सो रहा था तभी उसने एक भयानक सपना देखा कि वो अकेला एक जंगल मे चला जा रहा है। रात का समय है। मूसलाधार बारिस हो रही हैं उसके सारे कपड़े उसके बदन से चिपक गये थे तभी थोड़ी दूर पर एक टेकरी नजर आई जिसमे एक दिया जल रहा था पास जाने पर देखा कि कि यह झाडियों के बीच स्थित एक छोटा सा मंदिर था जिसमे एक एक फुट की तीन डरावनी सी मूर्तियां थी जिन्हें देखकर रामनारायन घबरा गया और बेतहाशा भागने लेगा भागते-भागते वह एक खेत मे पहुँचा तभी उसे कुछ दूर पर सफेद पहने एक औरत दिखाई दी उसकी केवल पीठ नजर आ रही थी वो धीरे धीरे नारायन की ओर आ रही थी जबकि रामनारायन  की ओर उसकी केवल पीठ थी वो औरत उल्टी चल रही थी रामनारायन का बडा आश्चर्य हुआ जब वो औरत काफी नजदीक आई तो रामनारायन की निगाह उसके पैरों पर पड़ी अरे यह क्या उसके पैर तो उल्टे थें नारायन जोर से चीखा भूत-भूत बचाओं बचाओं उसकी चीख सुन कर सब लोग जग गये क्या हुआ क्या हुआ सबके पूछने पर नारायन ने उन्हें सारा सपना सुनाया सबने उसे समझाया कुछ नही यह केवल एक सपना है। अगले दिन रामनारायन  को तेज बुखार चढ आया उसकी हालत फिर पहले जैसी हो गई और सेहत दिन पर दिन गिरने लगी फिर भगत को बुलाया गया उसने जरूरी सामान मंगवाया और अमावस की रात आकर गांव के बाहरी बरगद के नीचे आटे का एक घेरा बना कर रामनारायन को उसके बीच मे बैठा दिया और मंत्र पढकर किसी देवी का आहवाहन किया फिर उसने हवन को प्रज्ज्वलित किया और उसमे कोई मंत्र पढकर शराब मे भीगी हुयी मछलियों की आहूति डालने लगा सबको आश्चर्य हुआ कि हवन से मांस जलने की बदबू की जगह बेहद मनमोहक खूशबु निकल रही थी तभी जा जाने कहांँ से काली काली कुछ परछाईयां प्रकृट हुयी और वे हवन मे पड़ने वाली मछलियांे को निकाल कर खाने लगी हवन समाप्त होने पर वे आकृतियां गायब हो गई फिर भगत ने गुथे आटे का एक पुतला बनाया और उसे सेंन्दूर से पोत कर रामनारायन की गोद मे रख दिया और कोई मंत्र पढकर सरसों के दाने रामनारायन पर फेंकने लेगा दाने पड़ते ही रामनारायन के मुँह से किसी नारी की दर्द भरी आवाज निकलने लगी ंिफर भगत ने पुतले को हवन मे डाल कर पूणाहूति दे दी रामनारायन  चीख कर बेहोश हो गया सब घबरा गये भगत ने कहा डरो नही इसे कुछ नही हुआ है। यह कुछ देर मे होश मे आ जायेगा प्रेतात्मा इसे छोडकर जा चुकी है। लोगों के पूछने पर कि इसे हुआ क्या था भगत ने बताया उस रात जब रामनारायन जंगल से गुजर रहा था तो वहाँ एक प्रेत की चैकी थी जिसमे कुछ लोग प्रेत की पूजा कर रहे थे घोडों की टाप की आवाज सुनकर उनकी पूजा भंग हो गई एक प्रेतनी मे रास्ते मे आकर भगत को रोकने की कोशिश भी की थी कि वह लौट जाये पर भगत उसे समझ नही पाया और प्रेत चैकी तक पहुँच गया इससे नाराज प्रेत रामनारायन पर सवार होे गये वही इसे परेशान कर रहे थे पर अब ंिचंता की कोई बात नही है। मैने उन्हें जला कर मुक्ति दे दी है। इसके बाद फिर नारायन को कभी कोई पेरशानी नही हुयी उसका कारोबार लाखों मे फैल गया जिसे आज उसके पोते चलाते है।
यह रहस्य-रोमांच कहानी पूर्णतः कालपनिक है 


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