आधारशिला प्रयागराज रंग मंडल द्वारा आयोजित संगोष्ठी हबीब तनवीर जी के जन्मदिन पर आनलाइन आयोजित की गई जिसमें कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार नाट्य लेखक अजीत पुष्कर थे तथा मुख्य वक्ता नाट्य लेखक अली अख्तर रायपुर छत्तीसगढ़ डॉ अनुपम आनंद, रविनंदन सिंह, रमाकांत शर्मा, प्रमोद कुमार त्रिपाठी, सुषमा शर्मा, राजेंद्र मिश्र, अजय केसरी ने अपने विचार रखे कार्यक्रम का संचालन ऋतंधरा मिश्रा ने किया।
मुख्य वक्ता अली अख्तर कहते हैं हबीब तनवीर के नाटकों में लोक तत्व की बात करें तो एक बहुत अच्छे से स्पष्ट हो जाती है कि किसी भी नाटक में लोक का कोई एक तत्व नहीं लिया जा सकता नाटक में लोक अपनी संपूर्णता के साथ होनी चाहिए।
रंग निर्देशिका सुषमा शर्मा कहती हैं रंग मंच के क्षेत्र में छह दशक तक निरंतर नवीनता के साथ सक्रिय रहने वाले हबीब तनवीर ने दुनिया के रंग कर्मियों को संदेश दिया की अपनी मिट्टी से जुड़े गीत-संगीत कथानक और उनका प्रस्तुतीकरण करना मंच के माध्यम से लोगों को सकारात्मक संदेश देना ही असली रंगकर्मी का उद्देश्य है।
वरिष्ठ रंगकर्मी अजय केसरी का कहना है कि हबीब तनवीर जी ने भारतीय संस्कृति को समकालीन से जोड़ते हुए लोक नाटकों को शक्ति और ऊर्जा प्रदान की।
साहित्यकार रविनंदन सिंह कहते हैं कि हबीब तनवीर अलग मिट्टी के बने थे उन्हें आलोचनाओं का डर नहीं था वे उर्जा से लग रहे थे और प्रयोग घर में भी तनवीर साहब लोग के पहले प्रस्तोता थे। रंगकर्मी राजेंद्र मिश्र का कहना है कि हबीब तनवीर और उनके नाटकों में लोक कथाएं लोक सच्चा लोकगीत का भरपूर समावेश होता है।
रंगकर्मी रमाकांत शर्मा का कहना है कि हबीब तनवीर शुरुआती दिनों में एकता के कुछ दिन इप्टा में रहने के बाद ट्रेनिंग के लिए लंदन चले गए और यूरोप में घूमते रहे देखते रहे।
डॉ अनुपम आनंद जी का कहना है कि हबीब तनवीर साहब ने भारतीय लोक परंपरा में अभिनय निर्देशन की शैली वहीं से विकसित की और लोक जीवन को अपने सृजन के केंद्र में रखा। रंगकर्मी प्रमोद कुमार त्रिपाठी कहते हैं कि हबीब तनवीर अपनी माटी से जुड़े लोक कलाकारों के स्वतंत्र अभिव्यक्ति के कायल थे नाटकों में उन्होंने नाचा शैली का प्रयोग किया मृच्छकटिकम् का रूपांतर मिट्टी की गाड़ी बहुत ही सफल रहा।
वरिष्ठ नाट्य लेखक अजीत पुष्कर कहते हैं कि लोक के संदर्भ में हबीब तनवीर को समझने का प्रयास प्रशंसनीय है फिर भी मुझे लगता है की उन्हें और भी समझने का प्रयास जारी रहना चाहिए।
मनुष्य का जीवन अपने आसपास के वातावरण से ही प्रभावित होता है। व्यक्ति के आस-पास के पशु पक्षी उसके जीवन का अभिन्न अंग है। भारतीय ऋर्षियों तथा संसार के अध्यात्मवादियो ने संसार के पक्षियों को ना केवल ज्योतिष तथा मनुष्य के भाग्य से जोड़ा है। बल्कि पक्षियों को उपयोग शकुन ज्योतिष, फलित तथा प्रष्न ज्योतिष तथा अनेकों ज्योतिष, तांत्रिक उपचारों और शारीरिक मानसिक रोगों के निवारण में किया है। भारत मे पंच प़क्षी शास्त्र, कल्ली पुराण पर आधारित तोते द्वारा भविष्यवाणी, पक्षी तंत्र तथा शकुन ज्योतिष का प्रयोग आदिकाल से ही किया जाता है भारत मे गरूड़ जी, नीलकंठ, काकभुषुंडी,, हंस, जटायु व संपाती, शुकदेव जी आदि दिव्य पक्षियों तथा अनेक देवी देवताआंे वाहन के रूप मे पक्षियों को प्रयोग किये जाने का वर्णन है। जैसे भगवान विष्णु का गरूड़, कार्तकेय जी का मयूर, माता लक्षमी का उल्लू, विश्वकर्मा, वरूण जी तथा स्वरसती जी का हंस आदि शनिदेव का कौआ आदि का प्राचीन काल मे पक्षियों द्वारा डाक सेवा युद्ध संबधी शकुन का भी काम लिया जाता था पक्षियों को स्वतंत्रता, नवीन विचारों, आनंद, तनाव, मुक्ति, प्रषंसा, यष, धन्यवाद देने, प्रजनन श