प्राचीन भारतीय टेलीस्कोप

 -डी एस परिहार

कर्नाटक के बेलागवी जिले के कित्तुर कस्बे में में 25 एकड़ जमीन में कित्तुर का किला बना है, इसी किले के एक कक्ष में धुव्र तारा निरीक्षण कक्ष बना है। जिसकी एक दीवार में एक लंबी दूरबीन जैसी संरचना है। ऐसा कहा जाता है कि कित्तुर की रानी और 1857 की गदर की मशहूर स्वतंत्रता सेनानी रानी चेनम्मा तथा अंय पूर्ववर्ती शासक इस दूरबीन से धुव तारे तथा अंय आकाशीय पिडों का निरीक्षण करते थे विश्वास किया जाता है। यह भारत का प्राचीनतम टेलीस्कोप है। आज एक दीवार पर हमे केवल बड़ी शाफट ही दिखाई देती हें यह कैसे काम करता था इस बारे मे कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नही हैं। एक ज्योतिषी अध्ययन के अनुसार यह पोलर नही बल्कि सोलर स्टार विजन टेलीस्कोप हैं जिसका उपयोग सूर्य की दैनिक मासिक और वार्षिक गतियों का अध्ययन करने के लिये किया जाता था।

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