प्रियंका की चुनावी रणनीति से कांग्रेस चर्चा में


 - संदीप कुमार

प्रियंका गांधी का उत्तर प्रदेश में महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देने की घोषणा को चुनावी दाँव क्यों कहा जा रहा है। जबकि सभी राजनीतिक पार्टिया अपनी-अपनी नीति बनाती रहती है। महिलाओं की एक आवाज, प्रियंका गांधी जिंदाबाद कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के इस नारे के बीच प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को फिर से पटरी पर लाने के लिए नई पटकथा लिखने के लिए तत्पर दिखाई दे रही है। उन्होंने आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी की ओर से 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने की घोषणा की है। लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ के बैनर के पास बैठी हुई प्रियंका गांधी ने कहा, आने वाले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देगी। हमारी प्रतिज्ञा है, महिलाएं उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूरी तरह भागीदार होंगी।

प्रियंका गांधी ने इसे महिला सशक्तीकरण और योगी आदित्यनाथ की सरकार में महिला उत्पीड़न के मामलों से भी जोड़ा, उन्होंने कहा, यह निर्णय उन्नाव की उस लड़की के लिए है जिसको जलाया गया, मारा गया। यह निर्णय हाथरस की उस माँ के लिए है, जिन्होंने उनसे गले लगाकर कहा था कि उनको न्याय चाहिए. लखीमपुर में एक लड़की मिली, मैंने उससे पूछा क्या बनाना चाहती हो बड़ी होकर, उसने कहा, प्रधानमंत्री बनाना चाहती हूँ। एक पक्ष कह रहा है कि राज्य की राजनीति के लिहाज से यह फैसला अहम हो सकता है, तो दूसरा पक्ष यह भी कहता है कि यूपी में जहां कांग्रेस का अब कोई आधार बचा ही नहीं है वहां कोई भी फैसला किया जाए उसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा। प्रियंका गांधी के इस कदम की विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म पर भी खूब चर्चा हो रही है। लेकिन एक बड़ा सवाल यह भी है कि उत्तर प्रदेश की जातिगत और पुरूष प्रधान राजनीतिक जमीन और वास्तविकता की धरातल पर इससे क्या कुछ होगा?

मायावती ने फैसले को नाटकबाजी बताया हालांकि बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने इसे चुनावी नाटकबाजी बताते हुए एक के बाद एक तीन ट्वीट किये। इसमें उन्होंने लिखा है, कांग्रेस जब सत्ता में होती है तो इन्हें दलित, पिछड़े और महिलाएं याद नहीं आतीं। अब जब इनके बुरे दिन हट नहीं रहे हैं, तो पंजाब में दलित की तरह यूपी में इन्हें महिलाएं याद आ रही हैं।

उत्तर प्रदे विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के समक्ष एक और चुनौती है, यूपी में संगठन वैसे ही काफी कमजोर है और उसमें महिला पदाधिकारियों की गिनती भी बेहद कम है. हालांकि मौजूदा समय में पार्टी की दो महिला विधायक हैं, इनमें एक आराधना मिश्र को पार्टी का विधानसभा में कांग्रेस विधानमंडल दल का नेता भी बनाया है। आराधना इन दिनों प्रियंका गांधी के साथ हर पल नजर भी आती हैं, वह पार्टी की वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी की बेटी हैं। जब सकारात्मक काम किया जाता तो सफलता के विकल्प खुले रहते हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस को राज्य में 40 प्रतिशत सीटों पर चुनाव लड़ने योग्य महिला उम्मीदवार मिल पाएंगे। निष्ठा ईमानदारी से किया गया काम व्यर्थ नही जाता। वर्तमान में कांग्रेस पास खोने के लिए कुछ अधिक नहीं है। वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी कहते हैं, प्रियंका गांधी ने महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए यह कदम उठाया है। जो लोग आलोचना कर रहे हैं उन्होंने महिलाओं को तो अपने यहां पूरा प्रतिनिधित्व नहीं दिया है और अब जब कांग्रेस ने इस दिशा में कदम उठाया है तो बीजेपी, आरएसएस और सपा के लोग नुक्ताचीनी कर रहे हैं। प्रियंका गांधी ने सभी दलों को इस बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है, यह एक अच्छे नेतृत्व की निशानी है। लेकिन उनकी समस्या है आती है क्या वोट में परिवर्तन करने के लिए उनके पास संगठन नहीं है। दूसरी तरफ ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस पूरी तैयारी 2024 के लिए कर रही है। विधान सभा चुनाव में कांग्रेस केवल इसे प्रयोग करके देख रही है

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