शिक्षा ही ऐसा हथियार है जिससे किसी भी कार्य पर विजय प्राप्त की जा सकती है


पंकज भारती ब्यूरो चीफ झांसी

आज बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी 26वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने वर्चुअली प्रतिभाग किया। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा, झांसी की शौर्य भूमि पर स्थित इस बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के 26वें दीक्षान्त  समारोह में आप सभी के बीच उपस्थित होकर मैं अत्यन्त गर्व का अनुभव कर रही हूँ। सवर्प्रथम मैं झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, उनकी सहयोगी वीरांगना झलकारी बाई, भारतीय शौर्य और संस्कृति की अमर गाथाएं लिखने वाले चंदेलों-बुंदेलों, वीरआल्हा-ऊदल तथा अन्य वीर नायक-नायिकाओं का स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि अपिर्त करती हूँ। इसके साथ ही आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री तथा ‘जय जवान और जय किसान’ का नारा देने वाले महापुरूष  लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि भी है, मैं उन्हें भी अपनी श्रद्धांजलि देती हूँ।

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अपने पराक्रम से भारतवर्ष को न केवल गौरवान्वित किया है, बल्कि वे नारी सशक्तीकरण का सबसे सशक्त उदाहरण भी हैं। मैं उपस्थित शिक्षिकाओं, छात्राओं एवं अन्य बहनों से कहना चाहूंगी कि सशक्तीकरण हमारे अन्दर से ही प्रारम्भ होता है। गुलाम भारत में दो सौ वर्ष पूर्व अगर कोई महिला अकेले बाहरी प्रशासन को ललकारने का साहस कर सकती थी, तो आज हम स्वतंत्र भारत में अपने सुशासन में क्यों स्वयं को अशक्त अनुभव करते हैं। आपकी शिक्षा, आपका आत्मबल एवं आपकी आत्मनिभर्रता ही आपका कवच है। आज के इस दीक्षान्त समारोह में उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को मैं बधाई देती हूँ। 

प्रिय विद्याथिर्यों आज आप जहां पहुंचे हैं,जो योग्यता हासिल की है, उसके पीछे आपके माता-पिता, अध्यापकों एवं प्रोफेसर जैसे अनगिनत लोग होते हैं, उन सभी की बहुत मेहनत रही है और योगदान रहा है। मैं उनका भी अभिनन्दन करती हूँ। वास्तव में दीक्षान्त समारोह उन विद्याथिर्यों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, जिन्हें आज उपाधि मिली है, यह दिन नये भारत के निर्माण में अग्रसर हो रही युवा शक्ति के लिए भी महत्वपूर्ण है। आज इस दीक्षान्त समारोह में उपाधि पाने वाले आप सभी विद्यार्थी एक नई यात्रा की शुरूआत करेंगे। आप में से कुछ विद्यार्थी उच्च अध्ययन की दिशा में आगे बढ़ेंगे तो कुछ रोजगार व स्वरोजगार का दायित्व ग्रहण करेंगे। मुझे विश्वास है कि इस विश्वविद्यालय से प्राप्त ज्ञान आपके जीवन और आपके कॅरियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। 

राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा हथियार है, जिससे किसी भी काम पर विजय प्राप्त की जा सकती है। विद्यार्थी सवर्गुण सम्पन्न जनशक्ति बनकर प्रदेश और देश के लिये महत्वपूर्ण योगदान करें। जीवन में विद्यार्थी का लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिये और उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरन्तर प्रयास करते रहना चाहिए, क्योंकि कठिन परिश्रम, सहनशीलता, आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच से बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। शिक्षा सिर्फ सटिर्फिकेट तक सीमित नहीं रहना चाहिए, आपको समाज में जाकर अपनी योग्यता सिद्ध करनी होगी। राष्ट्र के विकास में विश्वविद्यालयों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। मेरा इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों से अनुरोध है कि वे बदलते समय और सन्दर्भो के साथ अपने आपको अपडेट रखें। केवल पाठ्य पुस्तकों का अध्ययन ही विद्याथिर्यों को न कराएं, बल्कि उन्हें व्यवहारिक, सामाजिक तथा नये-नये अनुसंधानों से भी अवगत कराएं। किताबी ज्ञान जरूरी है, परन्तु स्थान विशेष की आवश्यकता के अनुसार शिक्षा में स्थितियों-परिस्थितियों से संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए भी विद्याथिर्यों में ज्ञान का प्रवाह करना शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए।    

उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि अच्छे शिक्षण की साथर्कता यही है कि उससे विद्यार्थी हर क्षण कुछ न कुछ नया सीखने के लिए प्रेरित हों। झांसी एक शिक्षा के केन्द्र के रूप में स्थापित हो रहा है। ऐसे समय में हमारे युवाओं को सचेत और जागरूक रहते हुए आज के अत्यन्त गतिशील वैश्विक परिदृश्य में अपना स्थान बनाना है। इसके साथ ही उन्हें एक बेहतर समाज, देश और प्रदेश के नव-निर्माण में योगदान देना है। भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 25 वर्ष तक की आयु वाले लोगों की कुल जनसंख्या का पचास  फीसदी हैं,वहीं पैंतीस वर्ष तक वाले कुल जनसंख्या का पैंसठ फीसदी हैं। यही कारण है कि हमारे भारतीय युवाओं को दुनिया भर में उम्मीद की नजरों से देखा जा रहा है और इक्कीसवीं सदी की महाशक्ति होने  की भविष्यवाणी की जा रही है। युवा आबादी ही देश की तरक्की को रफ्तार प्रदान कर सकती है। जैसा कि भारत के मिसाइलमैन एवं पूर्व राष्ट्रपति डाॅ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा था, हमारे पास  युवा संसाधन के रूप में अपार सम्पदा है और यदि समाज के इस वर्ग को सशक्त बनाया जाए तो हम बहुत जल्द ही महाशक्ति बनने के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। यह बात शत-प्रतिशत सत्य है कि बिना खनिज संसाधन के भी किसी देश का विकास हो सकता है, लेकिन बिना मानव संसाधन के देश के विकास के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। 

उन्होंने कहा कि यदि शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कौशल विकास में निवेश करके मानव संसाधन को मानव पूंजी में बदल दिया जाए तो निश्चिय ही भविष्य में इसका बेहतर  प्रतिफल मिलेगा।यदि मानव संसाधन का उचित प्रबन्धन नहीं किया जाता तो यही विकास में सबसे बड़ी बाधा भी उत्पन्न करता है। युवाओं को दिग्भ्रमित होने और गलत रास्ते पर जाने का एक कारण  बेरोजगारी को मानते हैं।लेकिन युवाओं को अपनी इस मानसिकता को बदलना होगा कि सरकारी  नौकरी ही रोजगार का एकमात्र जरिया है। हमारे समाज में भी यह अवधारणा है कि सरकारी नौकरी ही  जीवन की सफलता का पैमाना है। समाज के लोगों को इस धारणा को  बदलना होगा। आज के बदलते  परिवेश में रोजगार और स्वरोजगार  की सम्भावनाओं की कमी नहीं है। हम सभी जानते हैं कि किसी भी  राष्ट्र अथवा सभ्यता का विकास उसके शिक्षा केन्द्रों में होता है।विशेष रूप से विश्वविद्यालय राष्ट्र की सतत् विकासशील,चिन्तनशील-वैश्विक सम्पन्न अन्तर-आत्मा के प्रतीक हैं। संवेदना एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हमारे देश का इतिहास गौरवशाली रहा है। नालंदा, विक्रमशिला, तक्षशिला, वल्लभी, ओदंतपुरी और सोमपुरा जैसे प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालयों की धूमिल पड़ती परम्परा को पुनः स्थापित करने की  दिशा में हमारे विश्वविद्यालय प्रयासरत हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका हमारे प्रबुद्धवर्ग, शिक्षकों एवं वैज्ञानिकों की है, जिन्होंने हम सभी के अन्दर यह विश्वास जगाया है कि हमारे विद्यार्थी ज्ञान व विचार की भारत की प्राचीन और सनातन परम्परा को आगे ले जाने में पूरी  तरह सक्षम है। मैं चाहूंगी कि बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय परिसर में प्रजातांत्रिक वातावरण का विकास हो, नीति निधार्रण में विद्याथिर्यों की भी भागीदारी हो। छात्र, शिक्षक एवं कमर्चारियों के सहयोग से कैम्पस में स्वस्थ्य एवं शैक्षणिक वातावरण का निमार्ण हो। इसके साथ ही यह विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवतर्न लाने में सक्षम हो, यह मेरी मंगलकामना है। महिलाएं समाज की महत्वपूर्ण कड़ी हैं, उनका सम्मान  एवं सशक्तीकरण हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। देश को सशक्त करने के लिए महिलाओं को सशक्त करना  होगा। 

उन्होंने कहा, आज के अवसर पर मैं सभी छात्रों से कहना चाहती हूँ कि जीवन में कुछ पाने के लिए हमेशा मन में सीखने की इच्छा को बनाकर रखना चाहिए,क्योंकि  ज्ञान का कोई अंत नहीं होता है। आप अच्छे मनुष्य बनें,अच्छा मनुष्य समाज के हर क्षेत्र में अच्छा ही होता है। आप सभी को अपने जीवन का मूल्य समझना चाहिये। मैं आपसे कहना चाहती हूँ कि आप खुद की  इज्जत कीजिये। कभी खुद को सस्ते में मत लीजिए। आप अलग हैं और अपने आप में पूर्ण हैं। आप कितने अनमोल हैं,यह मतलब नहीं रखता। समाज हमेशा आपकी आर्थिक स्थिति, जानकारी का स्तर और आत्म-विश्वास को महत्व देता  है। आप आत्मनिभर्र भारत की सफलता के सारथी बनें, अनेक नई  ऊंचाइयों को आप प्राप्त करते चलें। जीवन में जो सपने संजोएं हैं, वे सारे सपने संकल्प बनें। एक जरूरी बात और कहना है कि कोरोना का ओमीक्रॉन के रूप में यह जो तीसरा दौर शुरू हो गया है, इसमें सावधानी और सतकर्ता ही आप सभी को बचायेंगी। इसलिये कोविड नियमों का पालन अवश्य करें। जैसा की आप सभी जानते हैं कि विधान सभा चुनाव की तिथियों की घोषणा हो  चुकी है। लोकतंत्र में सबसे बड़ी ताकत मत की है। इसलिए आपमें से जो विद्यार्थी 18 वर्ष या उससे अधिक की उम्र के हैं, वे अपने मत का प्रयोग अवश्य करें और अन्य लोगों को भी मतदान करने के लिए प्रेरित एवं जागरूक भी करें। अंत मैं आप सभी और आपके विश्वविद्यालय को एक बार फिर हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई देती हूँ। 

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में आयोजित 26वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि पद्मभूषण डाॅक्टर विजय कुमार सारस्वत ने अपने संबोधन में कहा कि यह मेरी पहली यात्रा है और झांसी आना एक तरह का तीर्थ है,भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में झांसी की प्रसिद्ध रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका को सदैव याद किया जाएगा। उन्होंने पदक प्राप्त एवं डिग्री प्राप्त छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि आज झांसी को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कारण भी जाना जाता है।युवा विश्वविद्यालय की स्थापना 1975 में हुई थी लेकिन उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान उत्तर प्रदेश द्वारा लगातार दिया जा रहा है, मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि विश्वविद्यालय में लगभग सभी प्रकार की शिक्षा प्रदान की जा रही है जिसमें बुनियादी और अनुप्रयुक्त विज्ञान, इंजीनियरिंग प्रबंधन, कला, जनसंचार, शिक्षा, कानून, कृषि, सामाजिक विज्ञान सहित ज्ञान के सभी क्षेत्र शामिल हैं, उन्होंने कहा हम सभी जानते हैं कि आज अनुसंधान के अधिकांश रोमांचक क्षेत्र अंतर अनुशासनात्मक और एक विश्वविद्यालय में इन सभी संस्थानों का अस्तित्व एक महान है दीक्षांत समारोह वैदिक काल से ही पुरानी परंपरा है दीक्षांत समारोह नहीं अकादमिक गतिविधियों के एक भाग के रूप में आयोजित केवल एक प्रथा या वार्षिक समारोह यह विद्वान के जीवन का एक शुभ बिंदु है जो आगे बढ़ने के लिए रास्ता खुलता है उन्होंने अर्जित ज्ञान और कौशल के साथ राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए शुभकामनाएं दी।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के 26 वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर  कुलपति प्रोफेसर मुकेश पांडेय ने स्वागत अभिभाषण के साथ प्रगति आख्या प्रस्तुत की उन्होंने कहा कि हमारा यह सौभाग्य है राज्यपाल महोदय का बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में वर्चुअल आगमन हुआ है आदरणीय कुलाधिपति एवं राज्यपाल महोदय मैं आपको बताना चाहता हूं की झांसी की पावन धरा एवं धरती है वह धरती है जहां की वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई ने 1857 स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अमिट शौर्य और प्राणों के उत्सर्ग से झांसी के नाम को विश्व इतिहास के सुनहरे पन्नों में स्वर्णाक्षर से लिखा। इस अवसर पर उन्होने छात्र-छात्राओं की डिग्रियां व प्रमाण पत्र डिजी लाॅकर में सुरक्षित रखे जाने हेतु बटन दबाकर शुभारम्भ किया। उन्होने यह भी बताया कि अब विद्यार्थियों को डिग्री व प्रमाण पत्र खो जाने पर परेशानी नही होगी।

महारानी लक्ष्मीबाई की कर्मभूमि बुंदेलखंड के उच्च शिक्षा परिसर में आयोजित दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि महान वैज्ञानिक, नए आधुनिक तकनीकी संपन्न भारत के स्वप्नद्रष्टा, महान रणनीतिकार और अनवरत क्रियाशील, अद्भुत शिक्षाविद, रक्षा, जनसंचार और सक्षम अर्थज्ञ, नीति आयोग के माननीय सदस्य पद्मभूषण डाॅ. विजय कुमार सारस्वत जी का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा यहां पाकर में आयोजित हूं हमारा सौभाग्य है कि आज आपका आशीर्वाद और मार्गदर्शन हमें तथा हमारे युवा समुदाय को प्राप्त हुआ। आप आधुनिक भारत के निर्माण में लगे उन महान स्तंभों में से एक हैं जिनके श्रम और साधना से भारत विश्व पटल पर प्रत्येक क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहा है।

उन्होंने कहा कि आप चार दशकों से अधिक की सरकारी सेवा के बाद डीआरडीओ के सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे किंतु आज भी आप मां भारती की सेवा में प्राण प्रण से लगे हुए हैं। बुनियादी और प्रयुक्त दोनों विज्ञानों में रक्षा अनुसंधान में विशाल अनुभव वाले एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक के रूप में आपको विश्व जानता है।आज जिन मिसाइलों को पाकर भारत की रक्षा प्रणाली गर्व करती है उनके निर्माण में आप के योगदान को सदैव याद किया जाएगा। पृथ्वी, धनुष, प्रहार और अग्नि-5 के स्वदेशी विकास, दो स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम का विकास,लाइट काॅम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस की प्रारंभिक परिचालन मंजूरी और परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत का श्रेय आपको ही जाता है। मैं हृदय की अतल गहराइयों से आपका स्वागत करता हूं वंदन करता हूं अभिनंदन करता हूं।

कुलपति बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने कहा की बुंदेलखंड विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश की अग्रणी विश्वविद्यालयों में परिगणित किया जाता है, 7 जनपदों में फैली 350 से अधिक संबद्ध महाविद्यालयों के माध्यम से बुंदेलखंड विश्वविद्यालय अपने दूर-दूर तक विस्तारित महाविद्यालयों के द्वारा आर्ट्स, साइंस, मैनेजमेंट, फाॅरेंसिक साइंस, फार्मेसी, बायोमेडिकल आदि परंपरागत तथा नवीनतम युग की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ज्ञान के नए क्षेत्रों के उद्घाटक विषयों का सुंदर सम्मिश्रण अपने विद्यार्थियों तक पहुंचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है।

उन्होंने कहा कि आज जो विद्यार्थी पदक सूची में शामिल होकर इस मंच से पदक प्राप्त कर रहे हैं मैं उन सभी को बधाई और आशीर्वाद देता हूं। दीक्षांत समारोह के अवसर पर मैं सभी छात्र छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं और आप सब से अपेक्षा करता हूं कि आप सब समाज में जाकर अपने सपनों को पूरा करें और विश्वविद्यालय का नाम रोशन करें।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के 26 वें दीक्षांत समारोह में के अवसर पर मेयर  रामतीर्थ सिंघल, मंडलायुक्त डाॅ. अजय शंकर पाण्डेय, कुलपति कृषि विश्वविद्यालय डॉ अरविंद कुमार, प्रोफेसर सी.बी. सिंह, प्रोफेसर आर.के. सैनी, प्रोफेसर प्रतीक अग्रवाल, डाॅ. राजीव अग्रवाल, डाॅ. एनसी साहू, डाॅक्टर नीलम कुमार सिंह सहित अन्य गणमान्य अतिथि और छात्र-छात्राएं व अभिभावक उपस्थित रहे।

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