कुंडली में बनने वाले कुछ भूत-प्रेत बाधा योग इस प्रकार है
- डी.एस. परिहार
1. कुडली के पहले भाव में चंद्र के साथ राहु हो और पांचवे और नौवें भाव में क्रूर क्रह स्थिति हों। इस योग के होने पर जातक या जातिका पर भूत प्रेत पिशाच या गंदी आत्माओं का प्रकोप शीघ्र होता है। यदि गोचर में भी यही स्थिति हो तो अवश्य ऊपरी बाधाएं तंग करती है।
2. यदि किसी की कुंडली में शनि राहु केतु या मंगल में से कोई भी ग्रह सप्तम भाव में हो तो ऐसे लोग भी भूत प्रेत बाधा या पिशाच या ऊपरी हवा आदि से परेशान रहते है।
3. यदि किसी की कुंडली में शनि मंगल राहु की युति हो तो उसे भी ऊपरी बाधा प्रेत पिशाच या भूत बाधा तंग करती है।
4👉. उक्त योगों में दशा अंतर्दशा में भी ये ग्रह आते हों और गोचर में भी इन योगों की उपििसति हो तो समझ लें कि जातक या जातिका इस कष्ट से अवश्य परेशान है। इस कष्ट से मुक्ति के लिए तांत्रिक ओझा मोलवी या इस विषय के जानकार ही सहायता करते हैं।
5. कुंडली में चंद्र नीच का हो और चंद्र राहु संबंध बन रहा हो, साथ ही भाग्य स्थान पाप ग्रहों के प्रभाव से मुक्त न हो।
6.भूत प्रेत अक्सर उन लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं जो ज्योतिषयी नजरिये से कमजोर ग्राहें वाले होते हैं। इन लोगों में मानसिक रोगियों की संख्या ज्यादा होती है।
7. ज्योतिष के अनुसार वे लोग भूतों का शिकार बनते हैं जिनकी कुंडली में पिशाच योग बनता है। यह योग जन्म कुंडली में चंद्रमा और राहु के कारण बनता है। अगर कुंडली में वृश्चिक राशि में राहु के साथ चंद्रमा होता है तब पिशाच योग बन जाता है। यह योग व्यक्ति को मानसिक रूप से कमजोर बनाता है।
8. वैसे तो कुंडली में किसी भी राशि में राहु और चंद का साथ होना अशुभ और पिशाच योग के बराबर अशुभ फल देने वाला माना जाता है लेकिन वृश्चिक राशि में जब चंद्रमा नीच स्थिति में हो जाता है यानि अशुभ फल देने वाला हो जाता है तो इस स्थिति को महत्वपूर्ण माना जाता है। राहु और चंद्रमा मिलकर व्यक्ति को मानसिक रोगी भी बना देते हैं। पिशाच योग राहु द्वारा निर्मित योगों में नीच योग है। पिशाच योग जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में होता है वह प्रेत बाधा का शिकार आसानी से हो जाता है। इनमें इच्छा शक्ति की कमी रहती है। इनकी मानसिक स्थिति कमजोर रहती है, ये आसानी से दूसरों की आतों में आ जाते हैं। इनके मन में निराशाजनक विचारों का आगमन होता रहता है। कभी कभी स्वयं ही अपना नुकसान कर बैठते हैं।
9. लग्न चंद्रमा व भाग्य भाव की स्थिति अच्छी न हो तो व्यक्ति हमेशा शक करता रहता है। उसको लगता रहता है कि कोई ऊपरी शक्तियां उसाक विनायश करने में लगी हुई हैं। और किसी भी इलाज से उसको कभी फायदा नहीं होता।
10. जिन व्यक्तियों का जन्म राक्षस गण में हुआ हो, उन व्यक्तियों पर भी ऊपरी बाधा का प्रभाव जल्द होने की संभावनएं बनती हैं