दोस्त से लाभ-विश्वासघात ज्योतिषी योग
- डी.एस. परिहार
पाराशर ज्योतिष के अनुसार कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, द्वितीय, पंचम, सप्तम व एकादश भाव और बुध ग्रह प्रमुख रूप से मित्रता के कारक होते हैं। ज्योतिष के मुताबिक एक ही तत्व की लग्न या चन्द्र राशियों में गहरी मित्रता होती है। पृथ्वी, जल तत्त्व और अग्नि, वायु तत्त्वों वाले जातकों की भी पटरी अच्छी बैठती है। अग्नि व वायु तत्त्व वालों की मित्रता भी होती है। लेकिन पृथ्वी, अग्नि तत्त्व, जल तथा अग्नि तत्व एवं जल तथा वायु तत्त्वों वाले जातकों में शत्रुता के संबंध होते हैं। जन्मपत्री में मित्र का विचार पंचम भाव से किया जाता है तृतीय भाव से मित्र से होने वाले हानि-लाभ का विचार किया जाता है। विख्यात विद्वान संजय राठ के अनुसार जमांक के पंचम भाव से प्रगाढ मित्र और एकादश भाव से गुप्त मित्र देखते है। शुक्र व बुघ मित्र व मित्रता का कारक है। मंगल व राहू मित्रता भंग के कारक है। भृगु नाड़ी के अनुसार बुध मित्रता का कारक है उसका अन्य ग्रहों से बना योग मित्रों से लाभ व हानि का योग बनाता है। दो या अधिाक परस्पर मित्र ग्रह मित्रों से लाभ देते है और परस्पर शत्रु ग्रह मित्रों द्वारा हानि देते है। देव परिवार के ग्रह सूर्य, चन्द्र, मंगल गुरू व केतु परस्पर मित्र है। तथा दैत्य परिवार के ग्रह बुध शुक्र शनि राहू परस्पर मित्र है। इन मित्र ग्रहों का त्रिकोणात्मक योग या समसप्तक योग मित्रो से लाभ देता है देव परिवार तथा दैत्य परिवार के ग्रहों का परस्पर त्रिकोणात्मक योग या समसप्तक योग मित्रो से हानि देता है हांलाकि इस नियम के कुछ अपवाद भी है।
मित्रों से लाभ के योगः सूर्य बुध:- पिता को अपने मित्रों से लाभ उनके सहयोग से जातक के जीवन की समस्यायें हल हों।
गुरू बुध:- योग मित्रों द्वारा अनेक लाभ हों उनके सहयोग से जीवन की कई समस्यायें हल हों
शनि और बुध:- मित्रांे द्वारा जाॅब और व्यवसाय मे लाभ व सहयोग मिले व्यवसाय क्षेत्र से गर्लफ्रेन्ड या ब्वाॅयफ्रेन्ड मिलेगा।
शुक्र बुध योग:- महिला मित्र या सहेली से अनेक लाभ गिफट व आय प्राप्त हों।
बुध केतु योग:- विपरीत सेक्स के मित्र से लव एफेयर हो।
गुरू चन्द्र:- सहेली या महिला मित्र से लाभ हो
मित्रतता भंग के योगः
बुध मंगल योग:- बुध पर मंगल की दृष्टि या युति हो तो मित्रसे झगड़ा होगा और मित्रतता टूट जायेगी।
बुध और राहु:- का अर्थ है मित्रों द्वारा व्यपार मे घाटा असफलता, निराशा बदनामी मित्रों से विश्वासघात होगा।
विवाहेत्तर अवैध मित्र-पुरूष जातक में यदि शुक्र मंगल व बुध के बीच स्थित हो तो पत्नी के पति अलावा प्रेमी से मैत्री संबध हों पुरूष जातक मे यदि मंगल शुक्र व बुध के बीच स्थित हो तो जातक खुद पत्नी के अलावा अंय महिला से संबध रखे। यदि बुध गुरू या शनि पर दृष्टि डाले तो जातक के पत्नी के अलावा कोई गर्लफ्रेन्ड हो।
शुक्र चन्द्र योग:- मित्रता मे अवैघ संबध हों। गर्भ भी ठहरे। मित्रता से कलंक व आरोप लगे।
बुध चन्द्र:- मित्रता में अवैघ संबध हों। व गंदे यौनाचार हो। तथा बदनामी हो। मित्रो द्वारा कपट या ठगी का शिकार हो धन हानि हो या दस्तावेजी ठगी से जातक को हानि हो।
नोट-मित्रों से हानि से बचने और मित्रता संबधी अशुभ योगो के उपचार हेतु लेखक से सम्पर्क करें।
मो.: 9453416953