क्लबफुट के शिकार बच्चे को आरबीएसके ने नवजीवन दिया

महज छह माह की उम्र में जिला अस्पताल में हुआ सफल आपरेशन

तेज प्रताप के जन्म लेने के तीन दिन पहले ही उसके पिता दिलीप मौर्या की कैंसर से मृत्यु हो गई। मेहनत मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करने वाले दिलीप मौर्या की पत्नी आभा मौर्या के सामने अचानक ही दो चुनौतियां आ गईं, एक तो बच्चे का सुरक्षित प्रसव और दूसरा जीवन यापन। दिलीप की मृत्यु के तीसरे दिन 16 अप्रैल साल  2021 में आभा ने अपनी दूसरी संतान तेज प्रताप को निजी अस्पताल में जन्म दिया लेकिन उसे क्या पता था कि जीवन की एक और चुनौती उसके सामने खड़ी है। उसका नवजात बेटा क्लब फुट (टेढ़े-मेढ़े पैर) का शिकार है। जन्म के ही समय बच्चे का एक पैर टेढ़ा था। इसकी जानकारी होते ही आभा की आंखों के सामने अंधेरा छा गया, उसे नहीं पता था कि इसका उपचार हो भी पाएगा या नहीं और यदि हो पाएगा तो पैसों का इंतजाम कैसे होगा। कुछ माह बाद ही आभा अपने बेटे तेज प्रताप को लेकर ऊंचाहार सीएचसी पहुंची, जहां चिकित्सकों ने बताया कि उसके बेटे का पैर पूरी तरह से ठीक हो जाएगा, इसके लिए आपरेशन करना होगा, और इस पर कोई पैसा भी खर्च नहीं होगा। इसके लिए सरकार ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का संचालन कर रखा है। बस फिर क्या था आभा को तो जैसे वरदान मिल गया। चिकित्सकों ने उसे जिला अस्पताल में संचालित अनुष्का फाउंडेशन और एसबीआई फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से संचालित क्लब फुट क्लीनिक के दिलीपधर दुबे के पास भेजा। क्लब फुट क्लीनिक के दिलीप धरदुबे ने आभा की पूरी बात सुनी और उसे आश्वस्त किया कि बच्चे का आपरेशन तो होगा ही साथ ही यदि इलाज के लिए आने-जाने में कोई आर्थिक समस्या हो तो संस्था द्वारा उसका भी समाधान किया जाएगा। इसके बाद उन्होंने जिला चिकित्सालय के सर्जन डा. एमपी सिंह को बच्चे को अक्टूबर 2021 में दिखाया और प्रारंभिक जांचों के बाद अक्टूबर माह में ही डा. एमपी सिंह ने छह माह की उम्र के तेज प्रताप का जिला चिकित्सालय में ही सफल आपरेशन कर उसके टेढ़े पैरों को सीधा कर दिया। आज करीब दो वर्ष बाद बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है और अपने पैरों पर चल रहा है।

47 बीमारियों का होता उपचार:- आरबीएसके के डीईआईसी मैनेजर नीतेश जायसवाल बताते हैं कि जीवन का प्रारम्भिक समय किसी भी बच्चे के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्म से 19  साल तक की उम्र के बच्चों की जन्मजात बीमारियों की पहचान कर उनका इलाज किया जाता है। इस योजना के तहत चाइल्ड हेल्थ स्क्रीनिंग और अर्ली इंटरवेंशन सर्विसेज में स्क्रीनिंग की जाती है। जिसमें कटे होंठ तालू, तंत्रिका टयूब दोष, डाउन सिंड्रोम, एनीमिया, विटिमन ए-डी की कमी, कुपोषण, जन्मजात मोतियाबिंद व दिल समेत कुल 32 बीमारियों का उपचार किया जाता है।

इनसेट:- सीएमओ डा. वीरेंद्र सिंह का कहना है इस बीमारी का कोई वैज्ञानिक कारण उपलब्ध नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कुल 800 बच्चों में एक बच्चे में यह समस्या होती है।

क्या कहती हैं लाभार्थी:- तेज प्रताप की मां आभा मौर्या का कहना है कि मेरा बेटा ही मेरे जीवन का सहारा है। सरकार की योजना और अनुष्का फाउंडेशन के सहयोग से मेरे बेटे का सफल आपरेशन हो सका है। मेरे पास तो इतने पैसे भी नहीं थे कि मैं अपने बच्चे का इलाज करा पाती। यदि मेरा बेटा ठीक न हो पाता तो उसके और मेरे जीवन में तो अंधेरा ही रहता। मैं सरकार की इस योजना से बेहद खुश और लाभांवित हूं।




 

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