राहू-केतु प्रेत बाधा के कारक ग्रह होते है

- विशेष संवाददाता

वैदिक ज्योतिष एवं प्राच्य विद्या शोध संस्थान अलीगंज, लखनऊ के तत्वाधान मे 156 वीं मासिक सेमिनार का आयोजन वाराह वाणी ज्योतिष पत्रिका कार्यालय में किया गया। सेमिनार का विषय ज्योतिष में प्रेतबाधा के योग था। गोष्ठी में डा. डी.एस. परिहार के अलावा श्री अनिल कुमार बाजपेई एडवोकेट, ज्योतिष रत्न श्री उदयराज कनौजिया, प. कृष्ण कुमार तिवारी पं. आदित्य पांडे, पं. जर्नादन त्रिपाठी, जज श्री एल बी उपाध्याय, प. आनंद एस. त्रिवेदी आदि ज्योतिषियों एवं श्रोताओं ने भाग लिया गोष्ठी में डी.एस. परिहार, श्री उदयराज कनौजिया पं. जज एल.बी. उपाध्याय तथा पं. आनंद त्रिवेदी ने अपने अनुभव और वक्तव्य प्रस्तुत किये। पं. आनंद एस त्रिवेदी ने बताया कि राहू व केतु प्रेत बाधा के कारक ग्रह होते है मुझे खुद प्रेतबाधा के अनुभव प्राप्त हुये है। मेरे भाई के परिवार मे भी प्रेतबाधा की घटना घट चुकी है। श्री कनौजिया जी ने बताया किसी पुराने भवन या अंजान घर मे जूते-चप्पल उतार कर ना जायें जातक की मृत्युकालीन दशा के समय जो विचार जातक के मन मे आते है उसी के अनुसार जातक को स्वर्ग या नर्क की प्राप्ति होती है। लग्न की दशा गत जन्म की मृत्यु कालीन दशा होती है। जीवात्मा ने जीवन की शुरूआत की जो पंचम भाव से शुरू होती है। पंचम भाव हमारा प्रारब्ध है। जन्म लिया तो पंचम भाव की यात्रा शुरू हो गई और यह यात्रा नवम भाव तक चलती है। एक शरीर से दूसरे शरीर तक जाने वाली यह यात्रा कर्म की यात्रा है। षष्ठ से नवम भाव तक चार राशियों के कुल 120 अंश होेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेते है। 1 राशि बराबर 1 वर्ष के, यही 120 वर्ष की विशोंतरी दशा का रहस्य है। परन्तु जातक 120 वर्ष की दशा पूरी भोग नही पाता है। बीच मे ही अष्ठम भाव की अवधि 60 से 90 वर्ष के बीच मे ही मर जाता है। गत जन्म के कर्मानुसार ही जमंाक के भावों मे शुभ-अशुभ ग्रह बैठाये जाते है। यदि लग्न 3 या 8 भाव मे क्रूर ग्रह तो तो जातक अल्पायु हो प्रश्न लग्न के 3, 6, 8, 12 भाव मे केतु हो तो केतु दशा मे जातक को प्रेतबाधा हो यदि प्रश्न कुंडली के 7/12 भाव मे शुक्र हो तो ब्रह्मराक्षस का प्रकोप हो यदि प्रश्न लग्न सिंह हो तो प्रेत बाधा हो कनौजिया जी ने बताया कि पुराने जमाने मे 15 से 17 साल की कुंआरी लड़की को अकेले शाम या रात के बाल खोेेेेेेलकर बाहर बाग या छत पर नही जाने दिया जाता था दुल्हन की डोली को भी सिवाय दुल्हन के पिता भाई या भरोसे के आदमी के किसी के छूने नही दिया जाता था उस समय डोली पर भंयकर जादू-टोना किया जाता था जिससे दुल्हन प्रेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेतबाधा का शिकार हो जाती श्री कनौजिया ने बचपन मे घटी एक घटना का जिक्र करते हुये बताया उनके गांव मे एक लड़की ब्याह कर आई जो शादी से पूर्व किसी प्रेत का शिकार हो गई थी वो लड़की पति के सो जाने के बाद दरवाजे खोल कर जाने कहाँ चली जाती थी पति ने अपनी माता से कहा कि नई दुल्हन मेरे सोने के बाद बाल खोलकर ना जाने किसके साथ चली जाती है। एक रात मैंने देखा तो बिस्तर खाली था फिर एक अन्य रात किसी के साथ उसे जाते देखा उसकी मां के कहने पर गांव वालों ने आस-पास गाढा लगाया तो आधी रात को उसे गांव के बाहर किसी आदमी के साथ जाते देखा जब गांव वालों ने उस आदमी केा पकड़ने की कोशिश की तो वह आदमी अचानक सारे गांव वालों के सामने वो आदमी गायब हो गया कनौजिया जी ने जातक या परिवार के प्रेतग्रस्त होने के निम्न लक्षण होते है। बच्चे की अकाल मृत्यु संतान पैदा होने मे बाधा अकारण गर्भपात विकृत बच्चे परिवार मे अकाल मृत्यु अजीब सपने आना अविवाहित रह जाना कलह घर मे महिलाओं के मसिक धर्म मे गड़बड़ी कान मे अवाज गूँजना अकारण भयभीत रहना पागलपन व्यर्थ घूमना आलसी अकेले मे बात करना चन्द्रमा अचेतन मन का कारक है चन्द्रमा दूषित हो तो प्रेतग्रस्तता दे जज श्री एल बी उपाध्याय जी ने बताया कि लग्न मे सूर्य राहू योग हो या लग्न मे मंगल राहू या शनि राहू योग हो तो जातक प्रेत बाधित हो या दशमेश यदि 8 वें या 11 वें भाव मे हों तथा अपने भाव स्वामी ये दृष्ट हो तो जातक प्रेतग्रस्त हो डा. परिहार ने बताया प्रेतबाधा और काले जादू या अभिचार मे अंतर होता है। अभिचार मे शत्रु द्वारा तंत्र क्रिया के द्वारा दुष्ट प्रेत भेजा जात है। परन्तु प्रेत बाधा मे आत्मा स्वयं या जातक की किसी भूल की वजह से उसे बेवजह परेशान करती है। 95 फीसदी से अधिक केसेस मे जातक के पता नही चलता वो किसी प्रेत बाधा का शिकार है। क्योंकि प्रेतात्मा अप्रत्यक्ष रूप से और बहुत कम या ना के बराबर कष्ट देती है। जिसका प्रेतग्रस्त व्यक्ति को पता ही नही चलता है। कभी प्रेत जातक को अति कामुक भंयकर नशेड़ी अवारा या दुर्घटनायें या आत्महत्या भी करा देते है कुछ चैराहे सड़केे या नदी तालाब के कुछ हिस्से प्रेतग्रस्त होते है। वहां अक्सर प्रणघातक दुर्घटनायें होती रहती है। नाड़ी ज्योतिष मे चन्द्र राहू ,चन्द्र शनि, चन्द्र बुध, चन्द्र केतु, बुध मंगल या या शुक्र चन्द्र युति प्रेतबाधा देती है। शनि पुत्र मांदि या गुलिक की स्थिति भी प्रेतबाधा बताती है। प्रश्नमार्ग ग्रन्थ के बाधक अध्याय के अनुसार बाधक भाव मे राहू या मांदि के होने या लग्न पर बाधकेश की दृष्टि हो प्रेतबाधा होती है डा परिहार ने 1970-71 मे ज्योतिष से संबधित एक प्रेेतबाधा की सत्य घटना का वर्णन करते हुये बताया उस समय कानुपर के दक्षिणी सिरे पर स्थित अविकसित नौबस्ता मे एक युवा डाक्टर दयाल रहते थे घर पास उन्होंने पास ही क्लीनिक खोल रखी थी, नाम मात्र की आय से ही वो अपनी घर की गाड़ी चला रहे थे कुछ माह पूर्व ही उनकी शादी हुयी थी और इस घटना के समय पत्नी पहली बार गर्भवती हुयी थी उन्ही दिनो एक शाम एक आदमी उनके पास आया और बोला डाक्टर साहब मेरी बीबी बीमार है आप चल कर देख लें मै आपकी फीस यहीं दे देता हूँ और उसने सौ का नया नोट उनके सामने रख दिया जबकि उन दिनों डाक्टर की फीस चार आठ आने होती थी 100 रूपये देखकर उनकी आखें फटी रह गई डाक्टर साहब मेडिसिन बाक्स लेकर उसके साथ चल दिये यह क्षेत्र बिलकुल सुनसान था दूर-दूर पर एकाध मकान दिखते थे वह व्यक्ति उन्हें कुछ दूरी एक अधबने मकान मे ले गया कुंडी खटखटाई तो एक गजब की सुंदर युवती ने दरवाजा खोेला वह बीमार तो नही लगती थी उसकी आँखों मे एक अजीब सा आकर्षण और ना जाने कैसा अतृप्ति का भाव था क्या बीमारी है तुम्हें। सारे बदन मे दर्द रहता है, थकान रहती है, कुछ अच्छा नही लगता है, डाक्टर साहब ने उसे पहली बार गर्भवती होने का अंदाज लगा कर कुछ टानिक देते हुये पीने को कहा अगली रोज फिर वह व्यक्ति आया और बोला आपकी दवा से काफी फायदा है सौ रूपये देकर दवा ले गया फिर रोज यह होने लगा कभी वो डाक्टर साहब को घर ले जाता कभी केवल दवा बनवा कर ले जाता लगभग 22 दिन तक यह क्रम चला उन्हीं दिनों डाक्टर साहब को पता चला कि दुर्गा मंदिर मे कोई विद्वान ज्योतिषी आये है तो वो भी अपनी कुंडली लेकर पहुँचे और उन्होंने अपना भाग्य बताने की विनती की ज्योतिषी ने कुंडली देखने के बाद कहा आजकल तुम प्रेत बाधा से ग्रस्त हो जिसे तुम संपदा समझ रहे हो वह तुम्हारे सर्वनाश का जाल है। एक प्रेत तुमको रोज सौ रूपये देता है, उसकी बीबी का ईलाज करते हो वो सब छलना है। उस प्रेेत युगल ने तुम्हरी पत्नी के गर्भ को निर्जीव कर दिया है। उसके माया जाल से बचो नही तो सपरिवार नष्ट हो जाओगे। डाक्टर साहब आंतकित होकर घर वापस आ गये, शाम को फिर वही आदमी क्लीनिक पर आ गया और 100 रूपये देकर बोला डाक्टर साहब आज मेरे घर चलिये ज्योतिषी बात को बकवास समझ कर डाक्टर साहब उसके साथ चल दिये कानपुर आगरा हाईवे पर आधा रास्ता पार करने के बाद बंबा (छोटी नहर) की पटरी मिली अचानक आगे चल रहा आदमी पलटा और हिंसक स्वर मे बोला मेरा राज जानना चाहते थे ज्योतिषी के पास गये थे, बुलाओं उसे वो तुम्हे व तुम्हारे बच्चे को बचा ले और डाक्टर साहब को सर से उपर उठा कर नहर मे फेंक दिया देर रात तक जब डाक्टर साहब घर नही आये तो उनकी पत्नी ने उनके एक मित्र को उनको ढूंढने भेजा तो मित्र को उस अंजान आदमी द्वारा घर बुलाने की बात का पता चला चाँदनी रात थी मित्र डाक्टर साहब को ढूंढते हुये नहर पर गया तो उसे डाक्टर साहब के कराहने की आवाज आई पास जाकर देखा तो तो डाक्टर साहब थे किसी तरह वो उन्हें घर लाया उसी रात उनकी पत्नी के गर्भपात हो गया अगले दिन सुबह प्रेत के पैसे से खरीदा सारा सामान कपड़े बर्तन फर्नीचर गायब हो गया डाक्टर साहब कुछ दिन तक दिमागी तौर पर बीमार रहे जब कुछ स्वस्थ हुये तो आदमी से मिलने उसके घर गये तो आश्चर्य जिस मकान मे वो 15-20 बार जा चुके थे उस स्थान उस मकान वह ढूढ ही नही पाये। इस सेमिनार के अंत मे अध्यक्ष परिहार जी ने सबको धन्यवाद दिया।


 

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