वरिष्ठ पत्रकार टिल्लन रिछारिया को दिए शब्द पुष्प

- संदीप रिछारिया, सहायक संपादक

चित्रकूट। हमारे अग्रज देश के विख्यात पत्रकार टिल्लन रिछारिया... अब हमारे पूर्वज हो गए... आज उन्हें गाजियाबाद में हिंडन नदी के तट पंच तत्वों को सौप दिया गया।

चित्रकूट में उनके परम स्नेही अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के संस्थापक गोपाल भाई के संयोजकत्व में शब्द सुमन अर्पित किए गए।

वर्ष 1987 में चित्रकूट से अभी तक निकाली गई एक मात्र बेहतरीन मैगजीन चक्रम में उनके सहयोगी श्री आलोक द्विवेदी ने दद्दा के व्यक्तित्व व कृतित्व का सारगर्भित परिचय दिया। उन्होंने कहा कि वे यायावरी व फक्कड़ पत्रकार थे। उन्होंने देश के नामचीन अखबारों और पत्रिकाओं में बड़े पदों में काम किया।

श्री अभिमन्यु भाई ने कहा कि टिल्लन भाई कितने बड़े प्रकार थे, यह कभी उनके बगल वाला नही जान पाता था।

श्री कामदगिरि पीठम् के महंत डाक्टर मदन गोपाल दास ने कहा कि श्री रिछारिया जी से उनकी मुलाकात दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान हुई थी। उनकी सहजता और टैलेंट देखकर मैं अभिभूत हो गया। चित्रकूट को लेकर नई तमाम उसे सार्थक चर्चा भी हुई उन्होंने कहा कि मैं जल्द ही चित्रकूट पर एक किस पुस्तक लिखूंगा जिसमें बाहर से आने वालों को संपूर्ण जानकारियां मिलेंगी।

हमने भी अपने विचार बांटे हमने बताया कि जब मेरी पत्रकारिता की शुरूआत हुई तब भैया बहुत नाराज हुए लेकिन फिर मैंने बताया कि हिंदुस्तान ज्वाइन किया है तो उन्होंने संपादक श्री सुनील दुबे जी से सीधे बात की। वैसे सुनील जी उनके पुराने मित्र होने के कारण मेरे समाचारों को काफी अच्छी जगह मिलने लगी और हिंदुस्तान अखबार में लगभग 2 महीने के अंदर ही मैंने कुछ बड़ी खबरें ब्रेक करी व बड़ी फीचर स्टोरी लिखी। इसके बाद बांदा के जब मैं चंडीगढ़ में अमर उजाला ज्वाइन करने गया, तो प्लान बी के अनुसार भास्कर में टेस्ट देने गया तो वहां पर संपादक निधीश त्यागी मिले। त्यागी जी ने मेरा परिचय श्री अरूण आदित्य व विजय त्रिपाठी से कराते हुए कहा कि इनका टेस्ट ले लीजिए। 2 खबरें तुरंत लिखकर श्री आदित्य जी को दी । आदित्य जी और विजय जी खबर की कापी लेकर त्यागीजी के पास पहुंचे और कहा कि इनका काम बहुत बेहतरीन है यह तो मंजे हुए पत्रकार है। शिमला में पालीटकल रिपोर्टर के तौर पर ज्वाइनिग के साथ पैसा इत्यादि तय होने के बाद आफर लेटर टाइप करने को बोल दिया गया। इसी दौरान उन्होंने पूछा कि टिल्लन जी से आपका परिचय है क्या, मैने कहा कि आप लेटर रूकवा दीजिए, वे मेरे बड़े भाई है।

इस दौरान ग्रामोदय विश्व विद्यालय के गुरू प्रकाश शुक्ला, समाजसेवी अर्चन पंडित ने भी अपने विचार रखे।

श्री गोपाल भाई ने श्री रिछारिया के बारे में बहुत ही मार्मिक बाते बताई। कहा कि पिछले काफी समय से वे चित्रकूट की चिंता कर एक पुस्तक लिखने का प्लान कर रहे थे।



 

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पक्षी आपका भाग्य बदले

जन्म कुंडली में वेश्यावृति के योग

भृगु संहिता के उपचार