वक्त ने किया क्या हंसी सितम

मथुरा का वो ज्योतिषी

- डी.एस. परिहार

किस्मत के खेल बड़े निराले होते है, अक्सर प्रसिद्धि और बुंलदियो के सिंहासन की उंचाईयों पर बैठै लोग बर्बाद होकर धूल मे मिल जाते है। और जमीन पर चलने वाले लोग महान शासक राजाधिकारी और कामयाबी की बुलंदियो पर पहुंच जाते है। फिल्मी दुनिया मे जिंदगी की ऐसी धूप-छांव खूब देखने को मिलती है। ऐसे लोगों की लिस्ट मे मीना कुमारी, मोतीलाल, भारत भूषण, भगवान दादा, मोहन चोटी काॅमेडियन, राजेन्द्रनाथ, सुपर स्टार राजेश खन्ना आदि सैकड़ों उदाहरण मौजूद है। इन्हीं मे एक नाम था अपने जमाने की मशहूर प्लेबैक सिंगर गीता दत्त का जो मशहूर महान और कालजयी अभिनेता फिल्म निर्माता गुरूदत्त साहब की पत्नी थीं गीता दत्त का जम्म 23 नवम्बर 1930 को पद्यमा नदी के किनारे बसे इदिलपुर, फरीदपुर, जिला मदारीपुर निकट ढाका पूर्वी बंगाल के राजसी परिवार मे बड़े जमींदार देबेन्द्र नाथ घोष राय चैधरी के घर हुआ उनके दस भाई बहन थे कुछ समय बाद राय चैधरी कलकत्ता मे आकर रहने लगे अन्त मे बम्बई मे बस गये बचपन मे पद्यमा नदी के किनारे बसे इदिलपुर मे रहते हुये सैकड़ों बार नदी के मल्लाहों के गाये भटियारी गीतों को गीता जी ने सुना था। यह मल्लाहों की मधुर आवाज का असर था या भटियारी गीतों का प्रभाव कि गीता के मुख से भी सुरीले गीतों का झरना फूट निकला बेटी की इस प्रतिभा को चैधरी साहब ने प्रोत्साहित किया। इससे 16 साल की उम्र में ही गीता जी फिल्मों मे गीत गाने लगी उनके गायेेेेेेेेेेेे सुरीले गीतों ने सारे देश मे धूम मचा दी उन्ही दिनों उनकी मुलाकात नवोदित संघर्षशील पर प्रतिभावान अभिनेता फिल्म निर्माता निर्देशक गुरूदत्त जी से हुई जो प्रेम मे बदल गई पर दोनों के पारिवारिक स्तर मे जमीन आसमान का अंतर था गीता धनाढय जमीदंार परिवार से से थी जबकि गुरूदत्त बचपन से ही अनाथ आर्थिक रूप से बिखरे पागल मामा के घर पले बचपन मे बेहद गरीबी से गुजरे परिवार से आते थे दोनों परिवार द्वारा घोर विरोध किये जाने के बावजूद भी दोनों ने 26 मई 1953 को विवाह कर लिया समय के साथ इस जोड़े की तीन संतानें हुयी 1956 मे तरूणदत्त 1959 मे अरूणदत्त व 1964 मे नीनादत्त। सब कुछ ठीक चल रहा था कि वक्त पलटा उन्ही दिनों गुरूदत्त साहब ने अपने मित्र देवानंद साहब की फिल्म सीआईडी निर्देशित की जो सुपर हिट रही फिल्म मे एक नवोदित अभिनेत्री वहीदा रहमान ने वैम्प का रोल अदा किया गुरूदत्त जी वहीदा जी की खूबसूरती के दीवाने हो गये और उन्हें बेइतिंहा प्रेम करने लगे जबकि वहीदा ने गुरूदत्त की मोहब्बत को कोई जवाब नही दिया जिससे निराश होकर गुरूदत्त साहब शराब और नींद की दवाईयों मे डूब गये उन्होंने वहीदा को लेकर कई कालजयी बेमिसाल फिल्मे बनाई जो ना केवल हिट रही बल्कि भारतीय फिल्म इतिहास मे मील का पत्थर साबित हुयीं चैदहवीं का चाँद, प्यासा, कागज के फूल और साहब बीबी और गुलाम। 

गुरूदत्त साहब के एकतरफा रोमांस की खबरें जब गीतादत्त तक पहुचीं तो गीता ना केवल गहरे अवसाद मे आ गयी बल्कि बेइंतिहा शराब पीने लगी तभी वे अपनी सहेली और मशहूर हास्य अभिनेत्री टुनटुन और मनोचिकित्सक की सलाह पर अपना ध्यान दूसरी बातों मे लगाने के लिये 1960 मे ईश्वर की तलाश और साधू-संतों की शरण मे आने के लिये मथुरा के वृन्दावन पहुंची तभी किसी ने उन्हें माता वाली गली मे रहने वाले उस समय के पहुंचे हुये ज्योतिषी पं. डालचन्द्र शर्मा जी के बारे मे बताया जिनसे गीता जी टुनटुन के साथ मिलीं पंडित जी ने गली के हनुमान मंदिर मे गीता की पूजा करवाई जिससे गीता जी को कुछ शांति मिली फिर गीता जी पंडित जी से कई बार मिली पंडित जी की सलाह पर गीता जी ने मथुरा की पाश कालोनी डेम्पीयार नगर मे हनुमान जी का एक मंदिर भी बनावाया जिस पर आज गीता जी का नाम तक नही अंकित हैं गीता जी पंडित जी के पुत्र के सी. शर्मा को अपने साथ बम्बई ले गई उसे फिल्मी दुनिया से जोड़ दिया उन्ही के.सी. शर्मा का बेटा अनिल शर्मा आज बड़ा फिल्म प्रोड्यूसर है। जिसने हुकुमत, एलाने जंग, हीरो दि स्टोरी आफ ऐ स्पाई, गदर हिट जैसी फिल्मे बनाई। 10 अक्टूबर 1964 को गुरूदत्त जी की मृत्यु के साथ गीता जी बिकुल टूट गयीं और करीब साल भर मानसिक चिकित्सालय मे रही वहां से ठीक होने के बाद वो पुनः परिवार के भरण-पोषण के लिये फिल्मों और स्टेज प्रोग्रामों मे गाने लगी पर उन्हें पहले जैसी सफलता नही मिली उम्र भी हो चली थी, वे बेतहाशा शराब पीने लगी जिसके कारण 20 जुलाई 1972 को सिरोसिस आफ लीवर के करण बम्बई मे उनका देहांत हेा गया।  

गीता दत्त का जमांक-सिंह लग्न तुला में केतु 1अंश वृश्चिक मे सूर्य 7 अंश बुध 17 अंश शुक्र वक्री 26 अंश धनु मे चन्द्र 14 अंश व शनि 16 अंश मेष मे राहू 1अंश मिथुन मे वक्री गुरू 27 अंश व कर्क मे वक्री मंगल 21 अंश । पूर्वाषाढा प्रथम चरण। नवांश मे तुला तक केतु, धनु मे बुध, मकर मे मंगल, मेश मे राहू, मिथुन मे गुरू सिंह मे चन्द्र शुक्र शनि कन्या मे सूर्य। महिला जातक का कारक ग्रह शुक्र वृश्चिक मे वक्री है। जो तुला का फल देगा माता लक्षमी की राशि जातिका का जंम धनाढय व प्रभावशाली परिवार मे होगा शुक्र राष्ट्रघ्वज कारक केतु युत राजसी परिवार मे जंम। गुरू से 7 वें जातिका जंम स्थान से दूर स्थान पर बसेगी शुक्र से द्वितीय वाणी भाव मे बुध जातिका गायिका थी बुध से द्वितीय वाणी भाव से द्वितीय मे मित्र राशि के चन्द्र ने उन्हें मधुर व लोकप्रिय सिंगर बनाया जाब कारक शनि शत्रु चन्द्र युति ने उन्हें बेरोजगारी व निराशा दी और काम मे मन ना लगने की समस्या दी शनि के आागे कई भाव खाली है आगे केवल राहू जिसने उन्हें जाब में लंबा भटकाव दिया और राहू ने आय कम कर दी मंगल व शुक्र परस्पर त्रिकोण मे है। दोनों पूर्व जन्म मे भी पति-पत्नी थे इस योग ने गीता को पुत्र पुत्री संतान दी और पति के द्वारा राजसुख दिया वक्री शुक्र ने अस्थाई अलगाव दिया राहू केतु धूरी के एक ओर मंगल व दूसरी ओर शुक्र है। जिसमे दोनों वक्री ने पति-पत्नी मे गंभीर मतभेद दिये और पति-पत्नी दोनो अल्पायु हुये पति का कारक मंगल नीच का है। तथा नवांश मे उच्च का है। यह मंगल का नीच भंग योग बना रहा है। जिसने पति को जीवन के प्रारम्भ मे कठिन संधर्ष और कष्ट दिया परन्तु जीवन के द्वितीय भाग में अपार सफलता यश व धन दिया मंगल से त्रिकोण मे शुक्र बुघ योग ने शुक्र पति को पत्नी के अलावा बुघ एक प्रेमिका दी चूंकि बुध शत्रु राशि मे तथा पापकर्तरी और शत्रु कर्तरी मे था अतः प्रेम असफल हानिप्रद और निराशादायक रहा मंगल पर किसी शुभ की दृष्टि नही है। पति निराश हुआ मंगल से 7 वे शनि चन्द्र युति ने व मंगल से अष्ठमेश शनि की भी शत्रु चन्द्र युत के कारण पति ने आत्महत्या कर ली। वक्री शुक्र ने गीताजी को धन हानि व निर्धनता दी बुध से द्वितीय चन्द्र शनि व राहू युत ने उन्हें शराब का लती बनाया लीवर कारक वक्री गुरू ने उन्हें लीवर का रोगी तथा शनि व राहू से पापगस्त चन्द्र ने सिरोसिस आफ लीवर का रोगी बनाया फलतः 20 जुलाई 1972 को इनकी मृत्यु  हो गयी।



 

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