INDIA से भारत

- पवन उपाध्याय, वरिष्इ पत्रकार

भारत एक विशाल देश है जो केवल मिट्टी, पहाड़, झरना, नदियों आदि से युक्त भूभाग ही नहीं है, भारत हमारी माता है, हमारी जननी है, हम संतान है इसकी, हम भारत माता की गोद मे ही पले बढ़े है, इसलिए भारत से हम ऐसे जुड़े है जैसे एक बेटा अपनी माँ से।

भारत का नाम समय-समय पर  बदलता रहा है, कभी आर्यावर्त कभी भारत कभी हिंदुस्तान तो कभी INDIA होता रहा। आइये हम इसके नाम के पीछे के इतिहास को टटोलते है।

सबसे पहले भारत के इतिहास को जाने तो ब्रम्ह संवत के अनुसार 1972949125 चल रहा है यानी 197 करोड़ वर्ष से ज्यादा पुराना है भारत का इतिहास। भारतीय विद्वानों ने इतने लम्बे काल गड़ना को आसान करने के लिए ब्रम्ह संवत के स्थान पर विक्रमी संवत को चलन में ला दिया, इस समय विक्रमी संवत 2080 चल रहा है। भारतीय पंचांग अब इसी विक्रमी संवत पर आधारित होते है।

सनातन शास्त्रों के अनुसार पृथ्वी पर 7 द्वीप 7 समुद्र है । जिस द्वीप में भारत स्थित है उसको जम्बूद्वीप कहते है। जम्बूद्वीप के प्रथम राजा जिनका शास्त्रो में नाम मिलता है वो हैं आगनींद्र। जम्बूद्वीप में 9 खण्ड थे, जिसमे एक खण्ड का नाम अजनाभ था जो 9 खंडो में सबसे बड़ा था। अजनाभ के राजा नाभि थे जिनका इंद्र की पुत्री जयन्ती से विवाह हुआ था। अजनाभ की सौ संताने थी जिसमें सबसे बड़े पुत्र का नाम ऋषभदेव था। ये वही ऋषभदेव है जिनको जैन लोग आदिदेव भी कहते है जो प्रथम जैन तीर्थंकर है। ऋषभदेव के सबसे बड़े बेटे का नाम भरत था जिनको ज्ञान योगी भरत और जड़ भरत भी कहते है। इन्ही भरत के नाम से अजनाभ खण्ड का नाम भारतवर्ष पड़ा। भारत एक विशाल देश है जो पहले यूरोप तक फैला हुआ था। इस धरा पर कुल 3 विख्यात भरत हुए है। दूसरे भरत थे श्री राम के भाई जो धर्म के प्रतीक थे। तीसरे भरत थे दुष्यन्त और शकुंतला के पराक्रमी पुत्र जो बचपन मे ही शेरो के साथ खेलते थे, इन्ही भरत के वंशज थे कौरव और पाण्डव जिनके बीच भयंकर महाभारत युद्ध हुआ था।

इस राष्ट्र का नाम आर्यावर्त भी था। आर्यावर्त नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहां निवास करने वाले लोग आर्य है, आर्य यानी श्रेष्ठ। यहां बड़े-बड़े ऋषि, सिद्ध महात्मा, ज्ञानी, वैज्ञानिक, शिक्षाविद, दार्शनिक, शक्तिशाली बहादुर पैदा हुए। यह वही चमत्कारिक धरती है जहां पर भगवान के अवतार हुए, इसी धरती के 7 लोग अमर है जिनके नाम है अश्वस्थामा, राजा बलि, महर्षि व्यास, कृपाचार्य, विभीषण, परशुराम और हनुमान जी।

हम चलते है अब तीसरे नाम पर जो हिंदुस्तान है। इस नाम के बारे में इतिहासकार कहते है कि तुर्क और ईरानी सिंधु घाटी को हिन्दू घाटी कहते थे जो हिंदुकुश पहाड़ी का दक्षिण भाग था। ईरानी और तुर्क स को ह उच्चारित करते थे। लेकिन हिन्दू शब्द को देखा जाए तो शुक्ल यजुर्वेद के कौठनी संहिता में हिंदवः शब्द आता है जिसका अर्थ हिन्दू होता है। अब तीसरा कारण है कि हिमालय से लेकर इंदु सरोवर (हिन्द महासागर) के मध्य का भाग हिंदुस्तान कहा गया।

भारत का नाम INDIA कैसे पड़ा उसके पीछे बड़ा कारण है सिंधु घाटी को इंडस वैली  नाम दिया अंग्रेजों ने, कारण की वो सिंधु का उच्चारण नहीं कर पाते थे और दूसरा कारण था कि अंग्रेजो ने जहां-जहां शासन किया वहां की संस्कृति, सभ्यता और नाम को ही बदल दिया या नष्ट कर दिया, और इसी क्रम में भारत देश को नया नाम INDIA दे दिया। 

INDIA से भारत होने पर गुलामी की एक कड़ी टूटेगी और हम फिर से पराक्रमी विशाल भारतीय हो जाएंगे। अब हम इण्डियन नहीं भारतीय है, गौरवशाली भारत का गौरवशाली इतिहास है और भविष्य में भी भारत गौरवशाली राष्ट्र होगा।

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