चित्रकूट को विश्व परिदृष्य पर उभारने का प्रयास

चित्रकूट इंटरनेशनल सम्मेलन 2023

यूएनओ के एंबेस्डर डा. परविंदर सिंह को सौंपा गया श्री कामदगिरि को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने का पत्र

जगद्गुरू नरेन्द्रानंद सरस्वती ने केंद्र शासित प्रदेश की मांग का किया समर्थन, दिया आर्शीवाद

त्रिदेवों की धरती की विशेषताओं के साथ ही सनातन की जन्म स्थली होने के तमाम प्रमाण किये गए पेश

संदीप रिछारिया

त्रिदेवों की जन्मस्थली, भगवान राम की तपस्थली, हैरान कर देने वाले प्राकृतिक दृश्यों की भरमार वाली जगह लेकिन सब कुछ कूप मंडूप। गाल बजाने वाले बहुत देखे, पर जब गंभीरता से कुछ काम करने की बात चली तो सबने हाथ खड़े कर दिये। वर्ष 1952 से राजा दिनेश सिंह से लेकर लगातार वर्तमान सांसद की बात पर भरोसा कर दिल्ली भेजा, पर नतीजा क्या मिला, वही मामला ढाक के तीन पात रहा। इतना ही नही बड़े-बड़े स्वयंभू संतों की बात करें तो उनका भी हाल वही रहा। चित्रकूट के विकास पर अड़ने, लड़ने या झगड़ने का माद्दा किसी में भी नही दिखता।

खैर इन सब बातों से इतर सनातन शोध संस्थान ने खुद के संसाधन पर श्री चित्रकूट धाम को विश्व स्तर का धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित करवाने के लिए कमर कसी है। 22 नवंबर को आयोजित चित्रकूट इंटनेशनल कांफ्रंेस में यूएनओ के प्रतिनिधि डा. परमिंदर सिंह को पत्र सौंपकर श्री कामदगिरि पर्वत को विश्व धरोहर घोषित करवाने के लिए प्रयास करने को कहा। डा. सिंह ने इस पत्र को सहजता व प्रसन्नता से स्वीकार करते हुए कहा, यह भगवान राम का काम है। जिस पर्वत पर भगवान राम जी साढे ग्यारह साल निवास किये उसे तो पहले ही विश्व धरोहर के रूप में मान्यता मिल जानी चाहिये थी। लेकिन कोई बात नही, वह इसके लिए अपनी ओर से पूरा प्रयास कर यूनेस्कों से इसे मान्यता दिलाने का काम करेंगे।

सनातन शोध संस्थान से जुड़े और लगभग 25 सालों से विभिन्न समाचार माध्यमों से इस अलौकिक धर्मस्थल के विभिन्न स्थलों के बारे में लोगों को जागरूक करने के साथ ही यहां की विषमता को उजागर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार संदीप रिछारिया की मांग चित्रकूट केंद्र शासित प्रदेश की मांग को काशी सुमेरू पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती जी महराज ने जायज मानते हुए कहा कि दो प्रदेशों में बंटा होने के कारण चित्रकूट धाम आज भी विकास के सही सोपानों से वंचित है। उन्होंने विभिन्न उद्हरण देते हुए यूपी और एमपी की सीमाआंे में बंटा होने के कारण चित्रकूट का विकास पूरी तरह से अवरूद्व है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, जहां एक ओर सरकार काशी, मथुरा, अयोध्या, विध्यांचल, नैमिश आदि तीर्थों में नागरिक सुविधाओं का विकास कर रही है। भव्य राममंदिर बनकर तैयार है, दो महीने के अंदर प्राण प्रतिष्ठा की तारीख भी आ चुकी है। ऐसे में जब केद्र और दोनों प्रदेशों में भाजपा का शासन हो, सनामन की जन्म स्थली, त्रिदेवों की विहार स्थली का उपेक्षा समझ से परे है।

अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान भोपाल से आई प्रो. कुसुम लता केडिया, प्रो. राकेश आर्या सहित अन्य वक्ताआंे ने जहां एक ओर सनातन के महात्म को बताया तो वहां दूसरी ओर चित्रकूट धाम के दिगम्बर अखाड़े के महंत दिव्यजीवनदास जी महराज, संतोषी अखाड़े के महंत रामजी दास, महानिर्वाणी के महंत रामजी दास, निर्मोही अखाड़े के अधिकारी संत दीपक दास जी महराज के साथ ही श्री कामदगिरि पीठम के अधिकारी महंत डा. मदन गोपाल दास जी महराज ने श्री चित्रकूट धाम की पौराणिकता, अलौकिकता का सारगर्भित वर्णन किया। मराठा सरदारों के चित्रकूट आगमन अमृत नगर की बसावट के बाद कैप्टन कारवे के नाम पर कर्वी के नामकरण के साथ ही चित्रकूट नाम पुर्नस्थापना को लेकर जयश्री जोग ने प्रकाश डाला।

इस दौरान कार्यक्रम के मुख्य आयोजक प्रो. गोविंद नारायण त्रिपाठी, संयोजक संदीप रिछारिया, समन्यवयक डा. मनोज द्विवेदी, आनंद सिंह, शानू गुप्ता, अश्विनी श्रीवास्तव, गया प्रसाद द्विवेदी, सरस्वती सोनी, राजेंद्र त्रिपाठी,पुष्पराज कश्यप, सुबोध सिंह, छेदी लाल गौतम, रामशरण तिवारी, अमित मिश्रा, रहमत अली, मंजू केसरवानी, सुधा तिवारी, वैदेही खरे, अंजू श्रीवास्तव, शिल्पी, मीना देवी, सहित अन्य प्रबुद्व महिलाओं ने कार्यक्रम का संयोजन करने में सहयोग दिया।

 

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