कुकरैल नदी और कुकरैल देवी का मंदिर

कुकरैल नदी अस्ती गांव के उत्तर मे निकलकर लखनऊ के भैंसाकुड के सामने गोमती मे मिलती है। जिला गजेटियर लखनऊ 1901

- धीरेन्द्र सिंह परिहार 

लखनऊ जिले की बख्शी का तालाब तहसील के महोना परगना मे सीतापुर रोड पर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर एक गांव अस्ती है। सीतापुर रोड पर बख्शी के तालाब से दायंी ओर एक रोड अस्ती गांव को जाती है। ऐसा कहा जाता है कि अस्ती गांव को महाभारत के गुरू द्रोणाचार्य केेेेेेेेेेे पुत्र अश्वत्थामा द्वारा बसाया गया था। एक किलोमीटर लम्बे और करीब आधा किलोमीटर चैड़े इस गांव में पूरब और पच्छिम दिशा मे दो बेहद पुराने इंदारे कुयें है। इसी पच्छिमी छोर वाले कुंये से कुकरैल नदी निकलती है। कुकरायल नदी अस्ती गांव के उत्तर मे निकल कर पूरब की ओर 55 किलोमीटर बहकर लखनऊ के बीबीपुर के पास भैंसाकुड के सामने गोमती मे मिलती है। ग्राम सभा अस्ती के राजस्व नक्शे मे खसरा संख्या 385 और 491 मे कुकरायल नदी के बहने का अंकन है। अस्ती गांव के पूर्व जमींदार और मेरे मित्र स्वर्गीय सरनाम सिंह सूर्यवंशी ने एक पुस्तक ‘‘कुंआ से निकली कुकरायल नदी’’ वर्ष 2019 मे लिखी थी जिसमे कुकरायल नदी के जन्म की एक रोचक कथा लिखी है। जो उन्होंने अपने पूज्य पिताजी स्वर्गीय रामेश्वर दत्त जी व अन्य बुजुर्गों से सुनी थी। मैंने भी यह कथा कई बार लोगों और समाचार पत्रों में कथाओं मे पढी सुनी है। कथा के अनुसार प्राचीन काल में अस्ती एक धन सम्पन्न गांव था जहाँ कई बड़े व्यापारी और साहूकार रहा करते थे, जो सूद पर रूपयों को लेन-देन करते थे करीब हजार वर्ष पूर्व गांव में घूम-घूम कर पशुओं की खरीद-फरोख्त करने वाले एक बंजारों की टोली आकर अस्ती गांव मे आकर रूकी जिसके मुखिया को कुछ रूपये की जरूरत आन पड़ी तो उसने अस्ती के साहूकार हीराचन्द्र (जनश्रुतियों में उसका नाम हीराचन्द्र बताया जाता है) से कुछ रूपये उधार लिये और गिरवी के रूप मे अपनी वफादार कुतिया को साहूकार के पास छोड़ गया। बंजारों के जाने के कुछ दिनों बाद साहूकार के घर चोरी हो गई चोरों को देखकर कुतिया रात भर भौकती रही परन्तु कोई नही जागा चोर चोरी का सामान ले जाने लगे तो कुतिया चोरों का पीछा करने लगी तभी सुबह होने लगी तो चोरों ने चोरी का सामान गांव के पास के तालाब मे छुपा दिया। सुबह सब सोकर उठे तो पता चला कि घर मे चोरी हो गई है। तो कोहराम मच गया पूरा गांव जमा हो गया पर कुतिया साहूकार के पास जाकर उसकी घोती पकड़ कर बार-बार खंीचने लगी वह उसे हटा देता था पर बार-बार ऐसा करने पर सबके कहने पर साहूकार गांव वालों के साथ कुतिया के पीछे-पीछे चलने लगा कुतिया भागते-भागते तालाब पर पहुंची और कूदकर कुछ सामान तालाब से निकाल लाई बाकी सामान गांव वालों ने निकाल लिया। माल मिलने पर साहूकार बड़ा खुश हुआ और वफादार कुतिया की तारीफ करने लगा सबने कहा कि कुतिया ने वफादारी निभाकर बंजारे का कर्ज और फर्ज चुका दिया है उसको छोड़ देना चाहिये सबके कहने पर साहूकार ने कुतिया के गले मे सारी बात एक चिठठी मे लिखकर कुतिया को छोड़ दिया कुतिया बंजारे की बस्ती की ओर चल दी रास्ते बंजारा मिल गया जो कर्ज की रकम चुकाने ही आ रहा था, जब उसने कुतिया को देखा तो उसने समझा कि कुतिया साहूकार के घर से भाग आई है। उसने बिना सोचे समझे कुतिया को धिक्कारा उसे लात मारते हुये कहा तू एक दिन और नही रूक सकती थी, तुझे रास्ते मे कही चुल्लु भर पानी नही मिला जिसमे तू डूब मरती तूने मेरा विश्वास तोड़कर मुझे झूठा साबित कर दिया है। ऐसी बात सुनकर आहत कुतिया पुनः अस्ती गांव की ओर चल दी और गांव के पच्छिमी छोर के कुंये के सात फेरे लगाकर उसमें कूद गई। कुछ ही क्षणों बाद कुंये से पानी उफना कर तेज धारा से बहने लगा गांव वाले डर गये उन्होंने कुतिया से प्रर्थना की कि गांव को कोई क्षति ना पहुँचे इस नदी ने गांव की सीमा के अंदर नदी का रूप धारण नही किया बल्कि गांव के बाहर जाकर नदी मे बदल गई ओर गांव के उत्तर से निकल कर पूरब की ओर पानी की तेज धारा ने नदी का रूप धारण कर बहने लगी कुछ देर बाद बंजारा भी आ पहुँचा सारी सच्चाई जानकर उसे बहुत दुःख हुआ उसने कुतिया की तारीफ करते कंुये कहा कि वो देवी का रूप थी जब तक कुंआ और कुकरायल नदी रहेगी तब तक कुतिया का नाम प्रचलित रहेगा जनश्रुति के अनुसार उसी रात कुतिया ने साहूकार को सपने मे आकर कहा जो कोई भी कुत्ते के काटे का रोगी इस नदी मे नहा कर सत्तू की सात पीड़िया नदी मे चढायेगा उसे कुत्ते के जहर का कोई असर नही होगा। सैकड़ों सालों से कई जिलो के हजारों कुत्तें के काटे के रोगी कुकरैल मे नहाने आते है सरनाम सिंह जी ने लिखा है कि मान्यता है कि रविवार और मंगलवार को अस्ती के उस कुंये मे नहाने और उसका पानी पीने से कुत्ते का विष दूर हो जाता है अब कुंआ सूख गया है। पर आज भी इतवार मंगल को सैकड़ों रोगी यहाँ आते है, बगल मे लगे हैंडपंप से नहा कर सत्तू की सात पुड़िया बनाकर आधी खुद खा कर और आधी अपने सिर से उतार कर यहाँ बैठे कुत्तों को खिलाते है पहले कुंये का पानी बोतल मे ले जाकर सात दिन तक उसे पीते थे सरनाम सिंह जी ने लिखा है कि बादशाहनगर के निशातगंज पुल के नीचे कुकरैल तट पर कुछ पण्डे उपरोक्त कथा से मिलती-जुलती दूसरी कथा बताते है जो गुगल पर भी है जिसे श्री सिंह झूठी बताते है। दूसरी कथा को शेखपुर कसैल की नूरजहाँ बताती है। उनके अनुसार अस्ती गाव मे एक बंजारा रहता था। जिसने अपने कुत्ते को गिरवी रख कर साहूकार से पैसा लिया था साहूकार के घर चोरी हो गई थी जिसका कुतिया द्वारा पता लगाने पर साहूकार से कुत्ता वापस भेज दिया था, बंजारे ने कुतिया को गलत समझा और कुतिया को मारकर गांव के तालाब मे फेंक दिया बाद मे सच्चाई कर पता लगने पर इसी पुल के नीचे आकर पश्चाताप मे बंजारा खुद मर गया उसकी कब्र यहाँ बनी हुयी थी जिनके परिवार के लोग कई पीढियो से यहाँ झाड़-फॅंूक करते हंै पुल के नीचे बैठे पण्डे रोगी को नदी के पवित्र जल से नहलाते है। लोहे के एक पंजे को रोगी के सर से छुआते है। नहाने के साथ सत्तू की सात पेड़ी बनाने के साथ ही आधी खिला कर आधी सिर के ऊपर से एक चक्कर लगा कर नदी में फेकवाते है। कुछ जन कथाओं के अनुसार बंजारे द्वारा आत्महत्या करने की बात जान कर साहूकार ने पुल के नीचे कुतिया का एक छोटा सा मठियानुमा मंदिर बनवाया जो पुरानी बाढों मे बह गया जिसको बहू बेगम ने निशातगंज पुल बनवाते हुये दुबारा बनवाया 30 जून 1857 को ईस्माईलगंज में अंग्रेजों और बागियो के बीच हुयी जंग के पूर्व बागियों ने इसी मंदिर मे जीत की मनौती मानी थी रेजीडेंस मे कैद अंग्रेजों को छुड़ाने जब जनरल आडट्रम लखनऊ आया तो उसने अपनी सेना के एक भाग सहित दिलकुशा के पास गोमती को पार किया और शहर के बाहर होते हुये इसी पुल से शहर मे प्रवेश किया ओर डालीगंज होते हुये इमामबाड़े पहुँचा उसे जब इस मंदिर मे बागियों द्वारा मनौती मानने की बात का पता चला तो उसने क्रोधवश इस मंदिर को तुड़वा दिया जिसे आजादी के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री चन्द्रभान गुप्ता जी ने निजी खर्च पर पुनः बनवा दिया यह मंदिर भी 1971 और 1985 की बाढ मे बह गया अगर प्रदेश की धर्मनिष्ठ सरकार पुनः कुकरैल देवी के मंदिर का जीर्णद्धार करवा दे तो हिंदू धर्म संस्कृृृृृृृृृृृृृृृृृृृृति परंपराओं और मान्यताओं की रक्षा होगी लेख स्व सरनाम सिंह जी की पुस्तक और जन कथाओं मान्यताओं और जनश्रुतियों पर आधारित है।


 

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