आभार, अभिनंदन, धन्यवाद

श्री राम यात्रा की आयोजक जय बजरंग सेना की राष्ट्रीय प्रभारी अर्चना नितिन उपाध्याय ने मुसलमान भाईयों का किया धन्यवाद

पुरानी बाजार में मुस्लिम भाइयों ने किया था राम यात्रा का स्वागत

अयोध्या मे रामलला प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर चित्रकूट के राम भक्तों मे खूब हर्ष उल्लास देखने को मिला। संपूर्ण चित्रकूट धाम मे झांकी निकली तो वहीं जय बजरंग सेना ने वहां-वहां पहुंची जहां रामलला ने पर्याप्त समय बिताया और उनके चरण चिन्ह के दर्शन किए गए

- संदीप रिछारिया, सहायक संपादक

शहर के धनुष चैराहे से रामलला की झांकी की शुरूआत हुई तो पूरा कर्वी ढ़ोल नागाड़ों पटाकों एवं जय श्री राम के नारों से गूंजने लगा जय बजरंग सेना की मात्र शक्ति एवं पुरूष सेनानियों का उत्साह देखने योग्य था, इस बीच मे पुरानी बाजार काली देवी चैराहे मे मुसलमान भाइयों ने रामलला का जैसा स्वागत सत्कार किया उससे राम भक्त भावुक हो उठे। नगर के प्रसिद्ध समाज सेवी मोहम्मद रसीद उर्फ चीनी भाई, सभासद मो. शहजादे, पूर्व सभासद निजाम भाई, रहीस, शानू, ईलू, सद्दाम सहित अन्य मुस्लिम भाइयों ने बकायदा टेंट आदि लगाकर रामलला के ठहराव का स्थल बनाया और वहां रामलला की झांकी का सैकड़ों मुसलमान भाइयों ने स्वागत कर इतिहास रच दिया। 

गौरतलब है कि चित्रकूट गंगा-जामुनी तहजीब के लिए हमेशा से प्रसिद्ध रहा है। यहां राम जी ने वनवास काल के करीब साढ़े ग्यारह वर्ष व्यतीत किए और मुस्लिम समाज बड़ी संख्या मे रहता है, तरौंहा से लेकर पुरानी बाजार कर्वी और विभिन्न मुहल्लों मे मुस्लिम समाज की बस्ती है भले देश के किसी कोने मे दंगा हुआ हो लेकिन चित्रकूट राम-रहीम के प्रेम और समरसता के लिए जाना गया। यहां इतिहास मे कोई दंगा नही हुआ और अब तो इसकी संभावना भी नजर नही आती। 

जय बजरंग सेना की राष्ट्रीय प्रभारी अर्चना नितिन उपाध्याय ने फोन द्वारा वार्तालाप मे कहा, मैं भाव-विभोर हो गई जब मुस्लिम भाईयों की ऐसी आस्था रामलला के लिए देखी। उन्होंने कहा, नगर के जितने भी मुस्लिम भाइयों ने घरों से निकलकर श्रीराम का सम्मान और हिन्दू समाज के उत्साह मे सम्मिलित हुए उन सभी सहित संपूर्ण मुस्लिम समाज को धन्यवाद देती हूं।

श्रीमती अर्चना नितिन उपाध्याय ने कहा कि जय बजरंग सेना के सभी सेनानी बधाई के पात्र हैं, क्योंकि जिस प्रकार की ठंड रही उसके बावजूद सभी बजरंगी भाई-बहन घरों से निकलकर चित्रकूट धाम के सती अनुसूया और गुप्त गोदावरी तक के मार्ग मे लगभग हर वो स्थान जहां राम जी के चरण चिन्ह थे तक पहुंचकर दर्शन कर ऐतिहासिक कार्यक्रम बनाकर चित्रकूट से यह संदेश देने का काम किया है कि बेशक रामलला का जन्म अयोध्या मे हुआ लेकिन उनके जीवन का एक जन्म चित्रकूट मे वनवासी श्रीराम के रूप मे हुआ जिन्होंने सेवा और समर्पण का सबसे बड़ा संदेश दिया। इसलिए चित्रकूट अयोध्या के साथ सबसे बड़ा महत्व रखता है।

 

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