नाड़ी ज्योतिष मे उच्च नीच की परिभाषा


- डी.एस. परिहार

नाड़ी ज्योतिष मे परंपरागत ज्योतिष से भिन्न सिद्धान्तों के आधार पर ग्रहों के उच्च-नीच या बली-निर्बल होने का निर्धारण किया जाता है। जिसके आधार पर रहस्यमय तरीकों से ग्रहों के फल ना केवल बदल जाते हैं बल्कि छिपे फल प्राप्त होते हैं।

उच्चाभिलाषी ग्रह:- जब कोई ग्रह अपनी उच्च राशि से 12 वीं राशि मे स्थित होता है। तो वह कुछ संघर्ष के बाद उच्च का फल देता है। कभी-कभी जातक के जन्म के बाद माता-पिता या विवाह के बाद किसी पति-पत्नी का भाग्योदय भी करा देता है। निम्न राशियों मे ग्रह उच्चाभिलाषी होते है। चुंकि ग्रह एक राशि बराबर एक जन्म के हिसाब से जन्म जन्मातरों की यात्रा करते है। अतः उच्चाभिलाषी ग्रह अगले जन्म मे जमांक मे उच्च का होकर नाड़ी ग्रन्थों में वर्णित उच्च का फल देते है। 

उच्चाभिलाषी ग्रह: -

1. मीन का सूर्य:-जातक के जंम के बाद पिता का भाग्योदय होगा।

2. मेष का चन्द्र:-जातक के जंम के बाद माता का भाग्योदय होगा।

3. धनु का मंगल:- जातक के जंम के बाद पति व शादी के बाद और बड़े भाई का का भाग्योदय होगा पति मंहगी जायदाद प्राप्त करे।

4. सिंह का बुध:- शुरू मे शिक्षा सामांय बाद मे बड़ी शैक्षिक सफलता मिले व्यापारिक व दीवानी मुकदमे से जीत हो।

5. मिथुन का गुरू:-  जन्म के बाद पुरूष जातक का भाग्योदय होगा फिर 13, 25, 37, 49 व 61 वर्ष मे भाग्योदय होगा।

6. कुंभ का शुक्र:- जातिका उच्च व धनी कुल मे पैदा होगी पत्नी धनी परिवार से आयेगी संुदर होगी।

7. कन्या का शनि:- उच्च स्तर का व्यापार या बड़ी या विदेशी कंपनी मे जाब देगा। 

8. कर्क का राहू:- (राहू केतु विपरीत दिशा मे गोचर करते है) ग्रह युति के अनुसार शुभ फल दे।

9. मकर का केतु:- कष्टों से मुक्ति दे।

नीचाभिलाषी ग्रह:- नीचाभिलाषी ग्रह इस जन्म मे भी अचानक पतन देगा अगले जंम मे जमांक मे नीच का होकर नाड़ी ग्रन्थों मे वर्णित नीच का अशुभ फल देगा।

उच्चाभिलाषी ग्रह:-

1. कन्या का सूर्य:- जातक के जन्म के बाद पिता का पतन होगा पिता दुर्भाग्य भोगे।

2. तुला का चन्द्र:- जातक के जंम के बाद माता दुर्भाग्य भोगे।

3. मिथुन का मंगल:- विवाह के बाद पति का पतन हो और जातक के जन्म के बाद बड़े भाई का पतन होगा। 

4. कुंभ का बुध:- शुरू मे शिक्षा सामांय बाद मे बड़ी गिरावट व बाधा मिले व्यापार मे घाटा दीवानी मुकदमे से हार हो।

5. धनु का गुरू:- जन्म के बाद पुरूष जातक दुर्भाग्य भोगे बीमार हो।

सिंह का शुक्र:- पत्नी निम्न परिवार से आये धनहानि दे बहन, पुत्री, बहू व पत्नी को रोग देेगा। 

मीन का शनि:- निम्न स्तर का व्यापार या काम करे या मेहनत के मुकाबले आय व सफलता ना मिले।

मकर का राहू:- (राहू केतु विपरीत दिशा मे गोचर करते है) ग्रह युति के अनुसार अनेक कष्ट दे।

कर्क का केतु:- कष्टों मे वृद्धि करे।           

यदि कोई ग्रह उस ग्रह से युत हो जिसकी राशि मे वो उच्च का होता है तो भी वह उच्च का ही फल देगा बशर्ते कोई अन्य शत्रु ग्रह की राशि या युति ना हो इस तरह यदि कोई ग्रह उस ग्रह से युत हो जिसकी राशि मे वो नीच का होता है तो भी वह नीच का ही फल देगा जो निम्न तालिका मे वर्णित है।

उच्च का फल देने वाले ग्रह योग:-

1. सूर्य मंगल:- सूर्य उच्च का फल दे।

2. चन्द्र शुक्र:- चन्द्रमा उच्च का फल दे।

3. शनि मंगल:- मंगल उच्च का फल दे।

4. गुरू चन्द्र:- गुरू उच्च का फल दे।

5. गुरू शुक्र:- शुक्र उच्च का फल दे।

6. शनि शुक्र:- शनि उच्च का फल दे।

7. बुध राहू:- राहू उच्च का फल दे, वैभव देगा।

8. गुरू केतु:- केतु उच्च का फल दे।

नीच का फल देने वाले ग्रह योग:-

1. सूर्य शुक्र:- सूर्य नीच का फल दे।

2. चन्द्र मंगल 5- चन्द्रमा नीच का फल दे।

3. चन्द्र मंगल:- मंगल भी नीच का फल दे। दोनो नीचका फल दें महान सेक्स योग निम्न स्त्रिी पुरूषों से संगति करे। 

4. बुध शुक्र:- अपवाद है दोनों ग्रहों को बल मिलता है। शुक्र का नीच भंग हो। 

4. गुरू शनि:- गुरू नीच का फल दे। पेट लीवर आंत के रोग हों।

5. मंगल शनि:- शनि नीच का फल दे जाॅब मे हािन हो भाग्य हानि हो।

6. गुरू राहू:- राहू नीच का फल दे।

7. बुध केतु:- केतु नीच का फल दे।

कुछ अन्य ग्रह योग भी शुक्र-चन्द्र योग शुक्र निर्बल हो धन हानि दे दोनो ग्रह शराब डांस संगीत सर्दी के कारक ग्रह है। इस योग पर शनि या राहू का गोचर हानि देगा शत्रु बाधा होगी। सिंह का गुरू बाबा राजकर्मी हो सिंह केतु महान यश मिले गुरू बुध योग या परिवर्तन पिता पुत्र गंत जंम मे मित्र थे, इस जंम मे दो डिग्रियां मिले। इस जातक को योग पर शनि के गोचर मे राज्य नगर पालिका गुरू व टीचर से कष्ट मिलेगा उन्हें मृत्यु या मोेक्ष मिले किसी ग्रह से अगले तीन भावों मे कोई ग्रह ना हो तो जातक के जीवन मे महाअशुभ परिस्थितियां आयें।


 

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