पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में आतंक का पर्याय बने गैंगस्टर-नेता मुख्तार अंसारी का दिल का दौरा पड़ने से मौत

माहौल को देखते हुए पूरे यूपी में धारा 144 लगाकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश के यूसुफपुर में एक रसूखदार परिवार में जन्मे मुख्तार अंसारी ने जुर्म की गलियों से होते हुए राजनीति की दुनिया में कदम रखा था

- अनुभव मिश्रा

गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी का जुर्म की दुनिया से गहरा कनेक्शन था। हालांकि उसका पारिवारिक इतिहास आजादी के आंदोलन और पाकिस्तान के खिलाफ देशभक्ति से जुड़ा रहा है। दिल्ली में अंसारी नगर और अंसारी रोड उसके दादा के नाम पर है।

लखनऊ

उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की गुरूवार देर रात कार्डिएक अरेस्ट से मौत हो गई है। हालांकि परिजनों का आरोप है कि मुख्तार को जेल के अंदर खाने में धीमा जहर दिया गया है। खुद मुख्तार ने भी चिट्ठी लिखकर उसे धीमा जहर दिए जाने की बात कही थी। उसके ऊपर मर्डर के 14 मामलों सहित कुल 63 केस चल रहे थे, जिनमें से 8 में उसे दोषी भी करार दिया जा चुका था। इस खबर से यूपी की राजनीति में भी भूचाल आ गया है। विपक्ष ने इसके पीछे गहरी साजिश बताई है। वहीं, माहौल को देखते हुए पूरे यूपी में धारा 144 लगाकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश के यूसुफपुर मोहम्मदाबाद में एक रसूखदार परिवार में जन्मे मुख्तार अंसारी ने जुर्म की गलियों से होते हुए राजनीति की दुनिया में कदम रखा था।

नौशेरा के शेर थे मुख्तार अंसारी के नाना, दादा भी कट्टर कांग्रेसी

मुख्तार के परिवार की जड़ें आजादी के आंदोलन से जुड़ी हैं। उसके दादा मुख्तार अहमद अंसारी, अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करने वाली कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शामिल थे और 1927 में उन्हें पार्टी का अध्यक्ष भी बनाया गया। पेशे से सर्जन मुख्तार अहमद की दोस्ती जवाहर लाल नेहरू से थी और उन्हीं के साथ वो राजनीति में आए। कांग्रेस में मुख्तार अहमद के कद का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अध्यक्ष पद के लिए उनका नाम खुद महात्मा गांधी ने प्रस्तावित किया था। जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के संस्थापकों में से एक अहमद अंसारी 1928 से 1936 तक इसके चांसलर रहे। दिल्ली में अंसारी नगर और अंसारी रोड इन्हीं के नाम पर हैं।

नाना के सिर पर पाकिस्तान ने रखा था 50000 का इनाम

वहीं, मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान भारतीय सेना में अफसर थे, जिनकी बहादुरी के किस्से आज भी सुनाए जाते हैं। 1948 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध करते हुए मोहम्मद उस्मान ने कोट और झंगड़ इलाकों को कबायली पठानों से आजाद कराया था। उस युद्ध में उनकी बहादुरी देखकर पाकिस्तान इस कदर बौखला गया था कि उसने मोहम्मद उस्मान के सिर पर 50 हजार का इनाम रख दिया था। इसी युद्ध में 3 जुलाई 1948 को मोहम्मद उस्मान शहीद हो गए। नौशेरा के शेर कहे जाने वाले ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाजा गया।

मुख्तार के दो बेटे

मुख्तार के दो बेटे हैं, अब्बास अंसारी और उमर अंसारी। अब्बास अंसारी मऊ सीट से विधायक और इस समय यूपी की कासगंज जेल में बंद है। छोटा बेटा उमर अंसारी भी जमानत पर बाहर है। उसकी पत्नी अफशां अंसारी के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं और पुलिस ने उसके ऊपर 75 हजार रूपए का इनाम रखा हुआ है। अफशां फिलहाल फरार चल रही है। इनके अलावा देश के उपराष्ट्रपति रह चुके और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार मोहम्मद हामिद अंसारी, मुख्तार अंसारी के चचेरे भाई हैं। मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी इस समय गाजीपुर लोकसभा सीट से बीएसपी के सांसद हैं और इस बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। अफजाल अंसारी की अपनी अलग क्रिमिनल हिस्ट्री है। मुख्तार के एक और भाई सिबगतुल्लाह अंसारी गाजीपुर जिले की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। फिलहाल सिबगतुल्लाह के बेटे सुहैब अंसारी समाजवादी पार्टी के टिकट पर मोहम्मदाबाद से विधायक हैं।

15 साल की उम्र में ही रख दिया जुर्म की दुनिया में कदम

मुख्तार अंसारी खुद भी पांच बार मऊ सीट से अलग-अलग पार्टियों के टिकट पर विधायक बनकर विधानसभा पहुंचा। 1978 में जब मुख्तार महज 15 साल का था, तो उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा। गाजीपुर के सैदपुर पुलिस थाने में मुख्तार के खिलाफ पहली बार केस दर्ज हुआ और उसके ऊपर धमकी देने का आरोप लगा। अगले कुछ ही सालों में कान्ट्रैक्ट माफियों के बीच मुख्तार एक बड़ा नाम बन चुका था। साल 1986 में गाजीपुर के मोहम्दाबाद थाने में उसके ऊपर मर्डर का पहला मुकदमा लिखा गया। इसके बाद उसके गुनाहों की लिस्ट लंबी होती गई और देखते ही देखते महज एक दशक के भीतर संगीन धाराओं में उसके ऊपर 14 केस दर्ज हो गए।

साल 2005 तक हत्या और यूपी गैंगस्टर एक्ट के सात मामलों सहित मुख्तार अंसारी के खिलाफ 28 मुकदमे दर्ज हुए। सिंतबर 2022 तक मुख्तार अंसारी को 8 मामलों में दोषी करार दिया जा चुका था और अलग-अलग कोर्ट में 21 मामलों में ट्रायल चल रहा था। इस महीने की शुरूआत में ही वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 37 साल पहले धोखाधड़ी से हथियार लाइसेंस हासिल करने के मामले में उसे दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। पिछले महज 18 महीनों के भीतर उत्तर प्रदेश की अलग-अलग अदालतों में ये आठवां मामला था, जिसमें उसे सजा सुनाई गई।

 

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