प्रधानमंत्री मोदी अपना तीसरा कार्यकाल पूरा कर पायेेेेेेेेेेेगें?
- डा. डी.एस. परिहार
गीता मे कहा गया है, ‘जातस्य ही ध्रुवो’ मत्युुुुुुुुुुुु जो जन्म लेता है वो अवश्य ही मरता है। चाहे वो व्यक्ति हो या राजपाठ यह अटल सत्य है। श्री नरेेेेेेेेन्द्र मोदी के जमांक से ऐसे संकेत मिल रहे है कि वे अपना प्रधानमंत्री के रूप मे तीसरा कार्यकाल पूरा नही कर पायेंगे। श्री दामोदर नरेन्द्र मोदी का जन्म 17 सितम्बर 1950, प्रातः- 11.10 बजे वाद नगर मेहसाना गुजरात मे हुआ है। उनका जमांक निम्न है।
वृश्चिक लग्न-3.27 अंश लग्न मे नीच का चन्द्र 8.54 अंश व स्वग्रही मंगल 00.57 अंश पर युत है चतुर्थ स्थान मे कुुंभ मे गुरू वक्री-6.36, अंश मीन मे राहू-05.06 अंश, सिंह मे शुक्र 15.42 अंश व शनि-29.39 अंश, कन्या मे सूर्य-00.36 अंश, वक्री बुध-00.46 अंश व केतु- 05.06 अंश । भृगु बिंदू-3.07 अंश व 9.07 अंश। व्यवसाय बिंदू-10. 17 अंश पर। राहू केतु के मध्य बिंदू-यह मिथुन व धनु राशि मे स्थित है।
संभावना है। कि इंडिया की नई सरकार का गठन 15 जूूूूूूूूूूूून 2024 के बाद ही होगा और येन-केन-प्रकारेण भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार बनाने में कामयाब होगी और श्री मोदी ही प्रधानमंत्री बनेेंगे। परन्तु आगामी काल उनके लिये अति द्यातक होगा और वो अपना कार्यकाल पूरा नही कर सकेंगे।
यह लेख मूलतः नाड़ी ज्योतिष के सूत्रों पर आधारित है। भृगु बिंदू का वर्णन भृगु नंदी नाड़ी मे मिलता है। चंदू लाल पटेल ने अपनी पुस्तक ‘प्रेडिक्शन थ्रू नवांश एण्ड नाड़ी एस्ट्रोलाजी में बताया कि भृगु बिंदू जंमस्थ चन्द्र व राहू की स्थितियों का मध्य बिंदू है। भृगु बिंदू दो होते है। पहला भृगु बिंदू दूसरा उससे 7 भाव के राशि अंश। इससे या इससे त्रिकोण मे जब पापी ग्रहों का जातक की मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट देता है। श्री मोदी का भाग्य बिंदू कर्क राशि के 7 अंश एवं मकर राशि के 7 अंश पर बन रहा है। जिससे त्रिकोण मे मीन राशि मे आगामी शनि का गोचर उन्हें मृत्यु तुल्य कष्ट देगा यह योग 2025 पूर्वाद्ध से शुरू होगा जो ढाई साल का होगा।
2. विद्वान नाड़़ी लेखक के. राजेश गुरू ने एक पुस्तक ‘सरफरोशः ए नाड़ी एक्सपोजिशन आफ द लाईफ आफ इण्डियन रिवाल्वनेशरीज‘ अद्वितीय पुस्तक लिखी है। जिसमे उन्होने भृगु नाड़ी के सिद्धान्तों पर भारत के 108 क्रान्तिकारियों, स्वतंत्रता सेनानियों, देशभक्तों, संतों की कुण्डलियों का विद्वतता पूर्ण ज्योतिषीय विश्लेषण किया है। और आयु निर्णय के निम्न महत्वपूर्ण सूत्र दिये है। गुरू के आगे राहू मंगल-शनि व चन्द हो हिसंक व अस्वाभाविक मृत्यु हो जैसे चोट आपरेशन दुर्घटना गुरू के आगे राहू-केतु, मंगल व चन्द्र आदि हिसंक ग्रह हो तो हिसंक व अस्वाभाविक मृत्यु हो श्री मोदी के जन्मस्थ गुरू से अगले भावों मे द्वितीय मे राहू व सप्तम मे शनि व 8 वें भाव मे सूर्य व केतु है। जो हिसंक व अप्राकृतिक मृत्यु जैसे चोट आपरेशन आदि देते है। जंमस्थगुरू से 8 वें भाव के पापग्रह भाव मे स्थित पाप ग्रह भी दुःमरण योग देते है। जंमस्थ कुम्भ के गुरू से 8 वें भाव मे सूर्य केतु दो पाप ग्रह दुःमरण योग बना रहा है।
3. भावनगर गुजरात के विद्वान नाड़ी ज्योेतिषी स्वर्गीय दिनेश नेगनंधी के अनुसार पुरूष जन्मांक मे केतु तथा स्त्रिी जमांक मे राहू मृत्यु का कारक है। परन्तु देखने में आया है। कि राहू-केतु दोनों ही स्त्री-पुरूषों दोनों को ही समान रूप से मृत्यु देते है। गुरू का जन्मस्थ राहू या केतु उससे त्रिकोण मे गोचर जातक को मृत्यु या मृत्यु, मृत्यु तुल्य कष्ट देगा या राहू या केतु का जन्मस्थ गुरू से गोचर जातक की मृत्यु देता है। अप्रैल 2025 बाद 18 माह के लिये राहू श्री मोदी के जन्मस्थ गुरू से गोचर करेगा जो उनके आयु के लिये द्यातक होगा राहू केतु के मध्य बिंदू की राशि को गिनो जो योग आये उसमे से एक घटाओं जो संख्या आये वही मृत्यु वर्ष होगा। यह योग उनकी कुंडली मे 75-76 वर्ष व 81 की आयु में बन रहा है।
5. श्री शंकर एडवाल ने अपनी पुस्तक भृगु संहिता प्रैडिक्टिव टेकनिक डिस्फेयर्ड मे आयु गणना की एक टेकनिक पेश की है। जिसे के अनुसार गुरू जिस राशि से गोचर करे यदि उसका राशि स्वामी गोचरस्थ राशि से 6, 8 या 12 वीं राशि में हो या नीच या वक्री तो उस वर्ष में मृत्यु या समतुल्य कष्ट होगा इस सूत्र के अनुसार श्री मोदी हेतु गुरू का मिथुन व कर्क का गोचर उनके लिये द्यातक होगा, क्योंकि मिथुन का राशि स्वामी ग्रह बुध जमांक मे वक्री तथा कर्क का राशी चन्द्रमा नीच का है। यह समय करीब 76, 77 वर्ष मे बन रहा है।
6. फेट एण्ड फोरचून मैगजीन के संपादक स्वर्गीय माणिक चन्द्र जैन ने अपने शोध ग्रन्थ कार्मिक कन्ट्रोल प्लैनेट में हत्या, आत्महत्या या दुर्घटनाओं पर अपने रिसर्च सूत्र पेश किये है। कार्मिक ग्रह जातक की हत्या-आत्महत्या या उसके द्वारा हत्या किये जाने के लिये जिम्मेदार होते है। यदि राहू या केतु या दोनों के राशि स्वामी यदि पुनः राहू या केतु ये युति करें तो कार्मिक कन्ट्रोल ऋण बनता है। राहू केतु, वक्री ग्रह, नेप्चून, अष्ठमेश, यूरेनस प्लूटो कार्मिक कन्ट्रोल ग्रह है। यदि ये परस्पर युति करें या परस्पर दृष्ट हों या उनके राशि स्वामी परस्पर संबध बनायें तो उपरोक्त घटनायें हों। श्री मोदी के जन्माक मे केतु की राशि स्वामी बुध ग्रह पुनः केतु से युत है। साथ ही बुध वक्री व अष्ठमेश दोनों है। यह योग सिंह व कन्या के गुरू गोचर मे बनेगा क्यों कि वक्री बुध सिंह का फल देगा और कन्या मे केतु बुध युति है। जिनसे गुरू का गोचर द्यातक परिणाम देगा यह लगभग तीन साल बाद आयेगा।
वर्तमान समय दुर्भाग्य युत:- घु्रव नाड़ी के अनुसार जब जन्मस्थ राहू या केतु से राहू या केतु का गोचर दुर्भाग्य देता है। वर्तमान मे श्री मोदी के जन्मस्थ मीन के राहू से राहू व कन्या के केतु से केतुु निकल रहा है। अतः अक्टूबर 23 से अप्रैल 25 तक का 18 माह का समय अनेक दुर्भाग्य देगा।
जैमिनी मतानुसार लग्न पद से 8 भाव मे स्थित पाप ग्रह दुःमरण योग देते है। श्री मोदी की लग्न पद सिंह है। जिससे अष्ठमस्थ मीन का राहू दुःमरण योग बना रहा है।