चित्रकूट के विकास पर ग्रहण

पिछले चुनाव में विधानसभा तो इस चुनाव में लोकसभा की सीट गई सपा के पास

2014 व 2019 में भाजपा ने जीती थी लोकसभा की सीट 

- संदीप रिछारिया

समाजवादी पार्टी के पीडीए के फार्मूले की भेंट धर्मनगरियां चढ़ गई। जन्मभूमि अयोध्या हो या फिर श्रीरामजी की कर्मभूमि चित्रकूट दोनों ही स्थानों पर अब मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश सिंह यादव का परचम लहरा रहा हैं। चित्रकूट में तो पहले विधान सभा और अब लोक सभा सीट समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी से छीन ली है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि जब संसद और विधान सभा में प्रतिनिधित्व करने वाले विपक्षी पार्टी के हों तो चित्रकूट कारीडोर का क्या होगा? लोगों की मानें तो एक बार फिर चित्रकूट का विकास अधर में तटकता प्रतीत हो रहा हैं?

गौरतलब है कि कुछ दस साल पहले यहां पर राजनीति की दशा कुछ इस तरह थी कि यहां पर विकास की दिशा कभी तय ही नही हो सकी। इसका कारण सपा और बसपा के विधायक और सांसद जीतना रहा। उसके भी पहले की बात करें तो यहां पर भारतीय कम्यूनिष्ट पार्टी का बोलबाला रहा करता था, सांसद व विधायक भी उसी पार्टी के जीता करते थे। जिसके कारण यहां पर विकास की बात करना बेमानी हुआ करता था। इसके साथ ही यहां पर डाकू ददुआ, डाकू ठोकिया के साथ लगभग सत्रह अन्य दस्यु गिरोहों ने भी विकास की गति को ठप कर रखा था। लेकिन पिछले दशक में भाजपा के ब्लास्ट करने के बाद और लगातार दो बार इस लोकसभा से भाजपा के सांसद बनने के कारण विकास की गति तेज दिखाई दी। 2014 में समाजवादी पार्टी से छीनकर भाजपा से सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा जीते और केंद्र में मोदी जी प्रधानमंत्री बने तो यहां पर विकास की गति कुछ आगे बढी। रेलवे का उच्चीकरण, दोहरी लाइन, विद्युतीकरण जैसी परियोजनाएं हों या फिर बुंदेलखंड एक्सप्रेस हाइवे, रक्षा कारीडोेर जैसी परियोजना के साथ तीर्थ क्षेत्र विकास में गति तेज हुई। 2019 में एक बार फिर भाजपा से सांसद आर.के. सिंह पटेल संसद पहुंचे तो उन्होंने विकास की गति को काफी तेज किया। हवाई अड्डा चालू हुआ, रिंग रोड, भारत माला परियोजना, एक्सप्रेस हाइवे से एयरपोर्ट तक 6 लेन की सड़क की स्वीकृति जैसे तमाम कार्य हैं। 2017 में चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय विधान सभा पहुंच कर राज्य मंत्री बनें तो विकास की गति बहुत तेज हो गई। लेकिन 2022 में उनके हारने के साथ ही अब आरके पटेल के हारने के बाद लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि अब संसद और विधानसभा में प्रतिनिधित्व न होने के कारण यहां का विकास राजनीति की भेंट चढ जाएगा।

लोक सभा व विधान सभा सीट से भाजपा के आउट होने के बाद राम की तपस्थली के रहने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता गया प्रसाद द्विवेेदी, पूर्व सभासद अरूण गुप्ता, दयाशंकर गंगेले, पुरूषोत्तम तिवारी कहते हैं कि भले ही देश में एनडीए की सरकार बन गई हो, लेकिन सच्चाई तो यही है यहां की विधान सभा और लोक सभा से भाजपा आउंट होने का खामियाजा तो स्थानीय लोगों को भोगना ही होगा। विधान सभा से यहां की सीट जाने के बाद योगी जी ने चित्रकूट के दौरे बिलकुल कम कर दिये। उन्होंने कहा, अगर भाजपा यहां पर विधान सभा और लोक सभा में फिर से पकड़ बनाना चाहती है तो उसे एक बार फिर कायदे से यहां के विकास के लिए ध्यान देना चाहिये।



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