लेकिन वे आवाज नहीं उठाते

- विजय भारत

10 अप्रैल 2025 को अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर के दर्शन हेतु लखनऊ से आए हम चार साथियों ने दर्शन उपरांत प्रभु राम भोजनालय में भोजन के लिए थाली आर्डर की। दुर्भाग्यवश, भोजन की गुणवत्ता अत्यंत खराब पाई गई। परोसी गई दाल खट्टी और स्वादहीन थी, जबकि चावल बासी प्रतीत हो रहे थे। जब वेटर से शिकायत की गई, तो उसने कोई ध्यान नहीं दिया। इसके पश्चात जब हमने मैनेजर को बुलाकर स्थिति बताई, तो उन्होंने यह कहकर बात टाल दी कि दाल में टमाटर अधिक होने के कारण वह खट्टी लग रही होगी। जब उनसे स्वयं दाल चखने का अनुरोध किया गया तो उन्होंने टालमटोल करनी शुरू कर दी।

रेस्टारेंट में अन्य उपस्थित ग्राहकों से पूछने पर पता चला कि लगभग सभी को भोजन की गुणवत्ता को लेकर शिकायत थी। कई लोगों ने अपना आर्डर रद्द कर दिया, जबकि कुछ ने कहा कि मजबूरी है, क्या कर सकते हैं।

जब मालिक से फोन पर शिकायत की गई, तो उन्होंने भी हमारी बात को नजरअंदाज कर दिया और कहा कि उनके यहाँ हमेशा अच्छा और कम मसाले वाला स्वादिष्ट भोजन परोसा जाता है और आज तक किसी ने कोई शिकायत नहीं की। उन्होंने हमारी बात को सिरे से नकार दिया। जबकि थाली में प्रचुर मात्रा में तेल को सब्जी और दाल में से निकालकर रखा गया तस्वीर में स्पष्ट दिख रहा है। दूसरे ग्राहकों से भी मालिक की बात कराई गई। सलाद की मांग करने पर कहा गया कि यहां प्याज नहीं इस्तेमाल किया जाता शुद्ध शाकाहारी भोजनालय है यह, जबकि सब्जी में प्याज का इस्तेमाल किया गया था।

बिल की माँग करने पर मैनेजर ने कहा, वह बिल नहीं दे सकते, केवल सादे कागज पर 670 रूपये लिखा हुआ दे सकते हैं। हमने जब जीएसटी बिल, रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस की बात की, मैनेजर ने फोन करके मालिक को बुलाया, बिल के लिए हमें इंतजार करने के लिए कहा गया। पक्का बिल की मांग सुना तो रेस्टारेंट मालिक आक्रोशित हो गए और मना किया। जीएसटी, सर्टिफिकेट, लाइसेंस पे बारे में पूछा तो कहने लगे कि आपको अयोध्या में कहीं भी ऐसा सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा, और फिलहाल हम प्रक्रिया में हैं। जबकि रेस्टारेन्ट मेन इलाके में और पूरी तरह तैयार है ठगी के लिए।

अपना परिचय देते हुए रेस्टारेन्ट के मालिक ने बताया कि हम बहुत धार्मिक हैं, वर्चस्व रखने वाले हैं और साथ ही सामाजिक भी हैं। उन्होंने हमें यह कहते हुए भुगतान न करने की पेशकश की कि इसे हमारा दान समझिए, परंतु इसके बावजूद हमने 670 रूपये आनलाइन और 20 रूपये नकद पानी की बोतल के लिए भुगतान किया।

यह अनुभव निश्चित रूप से केवल हमारा नहीं है। संभवतः अधिकांश पर्यटकों को ऐसी ही समस्याओं का सामना करना पड़ता होगा, लेकिन वे आवाज नहीं उठाते। इस प्रकार की लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैया न केवल अयोध्या जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थलों की छवि को धूमिल करता है, बल्कि सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को भी व्यर्थ करता है।

यदि इस तरह की सेवाओं और व्यवहार पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो या तो पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिलेगी, या फिर ऐसे दुकानों पर ताले लगते नजर आएंगे। आवश्यकता है कि प्रशासन इन शिकायतों पर संज्ञान ले और उचित कार्यवाही करे, जिससे पर्यटकों को एक सम्मानजनक और संतोषजनक अनुभव मिल सके।

बाद में हमें फोन करके दबाव भी बनाया गया कि इसकी शिकायत न करूं, यह छोटी सी बात है। कभी-कभी ऐसा हो जाता है। ग्राहक यदि अपनी बात नहीं रखेगा तो लोग ऐसी ही मनमानी करते रहेंगे।



 

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