जन्मकुण्डली से पिता का भाग्य

- विशेष संवाददाता

वैदिक ज्योतिष एवं प्राच्य विद्या शोध संस्थान, लखनऊ के तत्वाधान मे 170 वीं मासिक ज्योतिष सेमिनार का आयोजन वाराह वाणी ज्योतिष पत्रिका कार्यालय में किया गया। सेमिनार का विषय जंमाक द्वारा जातक के पिता के भाग्य का ज्ञान था। जिसमे डा. डी.एस. परिहार के अलावा ज्योतिष रत्न श्री उदयराज कनौजिया, पं. शिव शंकर त्रिवेदी, प. आनंद एस. त्रिवेदी श्री अनिल कुमार बाजपेई एडवोकेट, प. एस.एस. मिश्रा, प. जे.पी. शर्मा श्री लाल बहादुर उपाध्याय एवं लेक्चरर श्री रंजीत सिंह आदि ज्योतिषियों एवं श्रोताओं ने भाग लिया। 

पं. आनंद एस त्रिवेदी ने गोष्ठी मे बताया कि जन्मपत्री के नवम भाव से पिता का विचार करते हैं नवम भाव मे शुभ ग्रह पिता को उन्नति देते है। तथा जातक को पिता का सुख प्राप्त होता है। तथा यदि पाप ग्रह हों तो पिता को कष्ट या रोग होगा या वे अल्पायु होगे। श्री कनौजिया जी ने सूर्य और नवम भाव को पिता कारक बताया साथ ही कहा कि पिता के जीवन के ज्ञान हेतु तारा विद्या क.े पी. पद्धति और दशाओं का भी सहारा लेना चाहिये। जज श्री एल बी उपाध्याय जी ने अपना एक अनुभव बताया कि सन 2000 मे मैं गाजीपुर जिले मे फास्ट टैªक कोर्ट मे पोस्टेड था तो वहां एक चपरासी की एक पोस्ट आई तो वहाँ का एक चपरासी जो रजिस्टार का मुंहलगा था रजिस्टार और चपरासी दोनों अनुसूचित थे चपरासी नई पोस्ट पर अपने दामाद को लगवाना चाहता था। मैंने एक मुस्लिम युवक को पोस्ट के लिये बुलाया मेरे पास वो चपरासी एक अन्य लेखपाल ज्योतिष क्लाईट जो बीस रूपये घूस लेते पकड़ा गया था के साथ मेरे पास सिफारिश हेतु आया मैं लेटा हुआ था, मेरे सीने पर कोई दैवी शक्ति आई वो बोली की इस लेखपाल के आदमी का काम मत करो, मैंने मना कर दिया उपाध्याय जी ने बताया पिता के लिये केवल सूर्य को देखिये जो सारे जगत का ही नही आपका भी पिता है। आपको पिता का सारा भाग्य पता चल जायेगा नाड़ी ज्योतिषी डी.एस. परिहार ने बताया कि अक्सर लोग ज्योतिषी के पास अपना जंमाक लेकर आते है। और कहते है। कि मेरे पास मेरे पिता की कुंडली नही है। वो इस समय बहुत परेशान या बीमार हैं कृपया आप उनके भविष्य के बारे मे बताये नाड़ी ग्रन्थों मे पुत्र के जमांक से पिता के भूत भविष्य की पूरी जानकारी प्राप्त हो जाती है, अक्सर सुनने मे है, कि कोई जातक जब माँ के पेट मे था तो उसके पिता की रोग, दुर्घटना या हत्या से मृत्यु हो गई या जातक या पुत्री के जन्म के बाद पिता का भाग्योदय या पतन हो गया पुत्र के जंमाक से पिता के अल्पायु दीर्घायु होने या जाॅब के क्षेत्र जाब या उनकी धन, संपदा, यश, शत्रु, मित्र, मृत्यु के वर्ष की पूरी जानकारी मिल जाती है। नाड़ी ज्योतिष के अनुसार सूर्य पिता का कारक है। तथा यदि जातक के जमांक मे सूर्य उच्च का या मित्र राशि कर्क, वृश्चिक, धनु, मीन या स्वग्रही हो या मित्र ग्रह चन्द्र, गुरू या मंगल, केतु से त्रिकोण युति मे हो तो पिता धनी सम्पन्न संपदा युत दीर्घायु और उच्च राज्याधिकारी होते है। उन्हें मित्रांे व संबधियों से लाभ होता है। यदि सूर्य नीच का या शत्रु राशि गत वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, कुंभ या शत्रु ग्रह राहू शनि शुक्र से त्रिकोण युति मे हो तो वे रोगी निर्धन अल्पायु या जीवन मे लम्बा संघर्ष करते है। उन्हें शत्रुओं द्वारा हानि हो यदि सूर्य का नीच भंग हो तो पिता के जीवन का पूर्वाद्ध संघर्ष पूर्ण हो तथा 35 वर्ष के बाद वे भाग्योदय सुख समृद्धि प्राप्त करंे यदि सूर्य के आगे कई भावों में कोई ग्रह नही पिता के कैरियर मे बाधा आये वे सेल्फ मेड मैन हो कड़े संघर्ष से अपना उत्थान करें या जीवन मे महान व लंबा संघर्ष करें सूर्य मेष, सिंह, धन, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ मीन मंे हो तो पिता सरकारी या अर्ध सरकारी विभाग मे सेवारत होगें सूर्य वृष, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला राशि में हो तो पिता व्यापार खेती या प्राईवेट काम करंे मिथुन, कन्या मे सूर्य पिता शिक्षा फाईनेंस संचार वित्तीय या व्यापारिक क्षेत्र मे काम करे सूर्य कन्या या तुला मे शत्रु ग्रहों या  बुध राहू शनि व मंगल आदि से युत या त्रिकोण योग मे पिता मे जातक जब पेट मे था तो उसके पिता की रोग दुर्घटना या हत्या से मृत्यु हो या वे कठिन दुर्भाग्य भोगंे सूर्य यदि कुंभ, मीन, कर्क, तुला, वृश्चिक मे हो जातक जंम के बाद पिता का भाग्योदय हो सूर्य कन्या, धनु, मकर, वृष मे हो तो जातक जन्म के बाद पिता का पतन या भारी घाटा हो सूर्य से 2, 7 व 12 भाव खाली पिता अल्पायु या घोर कष्ट भोगंे चन्द्रकला नाड़ी के अनुसार सूर्य से शनि का गोचर या सूर्य से 8 वें भाव या अष्ठमेश से शनि का गोचर पिता को मृत्यु या घोर कष्ट दे तथा चतुर्थेश नवांश मे जिस राशि पर हो उससे त्रिकोण मे शनि का गोचर पिता को मृत्यु देगा परन्तु गुरू का गाचेर लाभ देगा भृगु नाड़ी के अनुसार सूर्य से राहू का गोचर या सूर्य गत राशि से अष्ठमेश से राहू या केतु का गोचर पिता को मृत्यु देगा सूर्य से त्रिकोण या सप्तम मे गुरू या शुक्र का गोचर पिता को पद धन पत्नी मकान वाहन का लाभ देगा शुक्र, सूयर्, चन्द्र, मंगल व गुरू एक राशि बराबर एक वर्ष चलते है। जंमस्थ सूर्य एक राशि बराबर 1 वर्ष गति से जब सूर्य मंगल गुरू शुक्र बुघ केतु की त्रिकोण राशि से निकलेगा तब पिता को पद धन आदि का लाभ होगा या मंगल, गुरू, शुक्र, बुघ ग्रह जब गोचर मे सूर्य गत राशि से त्रिकोण राशि से निकलेगा तब पिता को पद धन आदि का लाभ होगा सूर्य जब चन्द्रमा से त्रिकोण मे निकलेगा तब पिता यात्रा या स्थान परिवर्तन करें। सूर्य चन्द्र त्रिकोण मे हो पिता जन्म स्थान से दूर स्थान पर जाब करे व बसे सूर्य मंगल त्रिकोण मे हो पिता अहंकारी तानाशाह जिददी क्रोधी अड़ियल मेहनती ईमानदार जमीन खेती से युत हो बुघ युति मे पिता को मकान जमीन बैंक बैलेंस मिले वे शिक्षित बुद्धिमान विनम्र हो शुक्र से युति हो तो धनी वैरावशाली भोगी भव्य मकान वाहन से युत हो सूर्य गुरू से युत हो तो पिता अति सम्मानित उच्च राज्याधिकारी शक्तिशाली दीर्घायु हो सूर्य शनि योग पिता को उतार चढाव शत्रु बाधा व संघर्ष दे सूर्य राहू पिता विभाग का प्रमुख हो पर भ्रष्ट रोगी व कष्ट भोगे सूर्य केतु युत पिता वैदिक अध्यात्मिक ज्ञान पिता यशस्वी को धार्मिक व राजपद से युत हो।



 

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जन्म कुंडली में वेश्यावृति के योग

भृगु संहिता के उपचार

हारिये न हिम्मत, बिसारिये न राम!