डा. अम्बेडकर सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं

- संदीप रिछारिया 

जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय, चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) की राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई, दर्शन विभाग एवं हिन्दी विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में डा. भीमराव अम्बेडकर की 136 वीं जयंती के संदर्भ में 24 अप्रैल 2025 को डा. अम्बेडकर और सामाजिक समरसता विषयक व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाषा संकायाध्यक्ष डा. किरण त्रिपाठी ने किया तथा दर्शन विभागाध्यक्ष डा. हरिकांत मिश्रा की गरिमामयी उपस्थिति रही।

कार्यक्रम का शुभारंभ डा. अम्बेडकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पण से हुआ। हिन्दी विभाग के परास्नातक द्वितीय सेमेस्टर के छात्र शत्रुघ्न विश्वकर्मा द्वारा डा. अम्बेडकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अपने विचार व्यक्त किए गए। हिन्दी विभाग के शोधार्थी सत्येन्द्र यादव द्वारा स्वरचित दोहों से स्वरांजली अर्पित की गई। परास्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा इच्छा उपाध्याय तथा राममणि ने डा. अम्बेडकर के शैक्षिक प्रदेय पर विचार व्यक्त किए।

हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य डा. पीयूष कुमार द्विवेदी ने कहा कि डा. अम्बेडकर भारतीय राष्ट्रवाद के प्रबल समर्थक थे तथा हिन्दू एकता के स्तर पर सावरकर और अम्बेडकर की विचारधारा एक थी जो सामाजिक समरसता का सर्वोत्तम उदाहरण है। अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डा. अरविंद कुमार द्वारा अम्बेडकर की आर्थिक सुधार संबंधी दूरदर्शी सोच को स्पष्ट करते हुए कहा गया कि उन्होंने ग्रामीण विकास एवं तकनीकी विकास पर जोर दिया था।

दर्शन विभागाध्यक्ष डा. हरिकांत मिश्रा द्वारा अम्बेडकर के दर्शन में सामाजिक-न्याय की अवधारणा के माध्यम से डा. अम्बेडकर के विचारों की दार्शनिक व्याख्या प्रस्तुत करते बताया गया कि अम्बेडकर एक ऐसे समाज की निर्मित पर बल देते हैं जिसमें सब लोग सौहार्दपूर्ण वातावरण में रहें और वर्ण विहीन तथा भयमुक्त परिवेश हो। कार्यक्रम की अध्यक्ष डा. किरण त्रिपाठी द्वारा डा. अम्बेडकर की वैश्विक एवं समरस सोच पर दृष्टिपात करते हुए कहा गया कि उन्होंने सबको अपनाने एवं सबके विकास को सर्वोपरि मानते हुए भारतीय संविधान के प्रारूप को निश्चित किया।

हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य डा. शांत कुमार चतुर्वेदी ने कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने अपने संचालन के माध्यम से डा. अम्बेडकर के जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंगों को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में अर्थशास्त्र विभाग की सहायक डा. तृप्ति रस्तोगी, शोधार्थिनी शीला पाल समेत हिन्दी एवं दर्शन विभाग के विद्यार्थी भी उपस्थित रहे।




 

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