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गंगा की अविरलता और निर्मलता ही सरकार का संकल्प

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5 दिवसीय भव्य गंगा यात्रा तहसील ऊँचाहार की ग्राम पंचायत अरखा से स्वागत समारोह के पश्चात होते हुए हर-हर गंगे, गंगा हमारी माता है गंगा हमारी संस्कृति व सभ्यता से जुड़ी है। अविरल एवं निर्मल गंगा धारा हम सबके जीने का सहारा है आदि नारो व तख्तिया हाथो में लिए गंगा के स्वच्छता व निर्मला अविरलता का संदेश देते हुए नारों की गुज करते हुए गंगा यात्रा जगतपुर, मुंशीगंज, मामा चैराहा, जेलरोड शहर होते हुए राजाघाट, दरिबा चैराहा टोल प्लाजा, माडल रेल कोच से होते हुए लालगंज बैसवारा डिग्री कालेज में एक भव्य जनसभा में तबदील हो गई। भव्य जन सभा को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि गंगा मां से देश वासियों से युगो-युगो से नाता रहा है। गंगा नदी केवल नदी नही हमारी संस्कृति भी है। गंगा की जमीन बहुत ही उपजाऊ होती है। अत हम सभी लोगों को मिलकर गंगा को स्वच्छ बनाने के साथ ही अविरल और निर्मल बनाना लक्ष्य होना चाहिए। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कथन है कि गंगा का कायाकल्प वर्षो से एक चुनौती रहा है, हमने इसे एक मिशन के रूप में लिया है, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा ह

गणतंत्र दिवस परेड में सी.एम.एस झाँकी को पुरस्कार

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सिटी मोन्टेसरी स्कूल, महानगर कैम्पस एवं राजेन्द्र नगर (प्रथम कैम्पस), लखनऊ की छात्र टीमों को गणतन्त्र दिवस परेड में शानदार प्रदर्शन हेतु दो प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया है। सी.एम.एस. महानगर कैम्पस की छात्र टीम को ‘स्वच्छता की ज्योति जागी रे’ समूह नृत्य के लिए जबकि सी.एम.एस. राजेन्द्र नगर (प्रथम कैम्पस) की छात्र टीम को ‘सौगन्ध मुझे इस मिट्टी की देश नहीं झुकने देंगे’ ड्रिल के लिए प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया है। इसके अलावा, ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ पर आधारित सी.एम.एस. झाँकी को द्वितीय पुरस्कार मिला है। आज रिजर्व पुलिस लाइन्स में आयोजित ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह में सी.एम.एस. छात्र टीमों व सी.एम.एस. झाँकी को पुरष्कृत कर सम्मानित किया गया।  सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि गणतन्त्र दिवस परेड में प्रदर्शन के उपरान्त सी.एम.एस. झाँकी इन दिनों सी.एम.एस. कानपुर रोड कैम्पस के प्रांगण में सभी के अवलोकनार्थ रखी गई है, जहाँ 28 जनवरी से 3 फरवरी तक झाँकी मेला चल रहा है। श्री शर्मा ने बताया कि सी.एम.एस. का लक्ष्य प्रत्येक छात्र का नैतिक, चारित्रिक व आध्यात्मिक उत्थान कर उ

जो लगन और मेहनत से अपना कार्य करता है, उसे सफलता जरूर मिलती है

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भारतीय प्रशासनिक सेवा में वर्ष 2017 में चायनित पैतृक घर हमीरपुर, झांसी में जन्में अमन वैष्णव जनरल कैटागिरी में 155 वाँ स्थान प्राप्त किया। इनके पिता श्री राम सेवक व माता अनीता दोनों ही इंजीनियर है। अमन की सफलता पर उनसे इण्डियन स्पीड के प्रतिनिधी से विशेष बातचीत के कुछ अंशः- अ अमन जी आपको आई.ए.एस. बनने की प्रेरणा कहाँ से मिली? - स्वयं से अ अमन जी आपकों कितनी भाषाओं का ज्ञान है? - अंग्रेजी और हिन्दी अ जब आई.ए.एस. परिणाम आया तो, आपको कैसा अनुभव हुआ? - शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं अ अमन जी आप ने आई.ए.एस. की तैयारी कहाँ से की और किस कोचिंग से की? - दिल्ली में तैयारी किया। अ आप अपनी इस सफलता का श्रेय किसको देना चाहते हैं? - मेरी माँ ही सब कुछ है, आज जो भी हूँ माँ की देन है। अ अमन जी आपका मन-पसंद न्यूज पेपर कौन सा है? - इण्डियन एक्सप्रेस, जनसत्ता और इण्डियन स्पीड अ आपके पिता जी किस विभाग और किस पद पर हैं? - रेलवे विभाग में हैं।  अ आप कितने भाई-बहन हैं? - एक बहन याग्वी अ अमन जी आप देश के बच्चों से क्या कहना चाहेंगे? - बस इतना ही कहना है कि जो लगन और मेहनत से अपना कार्य करता है, उसे सफलता ज

भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन

सावन माह शिवजी को अत्यंत प्रिय है। सावन आते ही सारी पृथ्वी गर्मी की ज्वलंत ज्वाला से मुक्त होकर वर्षा  के जल से सराबोर हो जाती है ज्योतिष मान्यता के अनुसार सूर्य जेष्ठ मास मे जब आद्र्रा नक्षत्र मे प्रवेश करता है, तो भगवान शिव रूदन करते है, सूर्य के आद्र्रा नक्षत्र मे प्रवेश के साथ ही बारिस शुरू हो जाती है। परन्तु चन्द्र के महीने सावन मे पूरी प्रकृति तृप्त होकर खुशी से झूम उठती है। मनुष्य तो मनुष्य पृथ्वी, जल वायु पशु-पक्षी किसान, पेड़ पौघे सभी मग्न हो कर सृष्टि की नवीन रचना मे लग जाते है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सतयुग मे इसी माह मे देवताओं और दैत्यों के द्वारा समुद्र मंथन हुआ था तो मंथन मे सर्व प्रथन अग्नि के समान जलता हुआ कालकूट नामक विष निकाला जिसकी गर्मी से देव दानव पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, जलचर, नभचर सभी व्याकुल हो गये सारे संसार को भयानक विष से बचाने के लिये भगवान शिव ने उस विष का पान किया परन्तु उसे गले मे ही रोक लिया जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया विष की ज्वाला व गर्मी से भगवान शिव व्याकुल हो गये तब प्रकृति ने वर्षा उत्पन्न करके उन्हें विष की अग्नि से मुक्त किया तब से भक्त शिवजी के लिं

स्वतंत्रता दिवस आप सबको मुबारक

लीजिए, एक और स्वतंत्रता दिवस आ गया। ये वाला 72 वर्ष है। वैसे आजादी के 71 साल हो गये। अगर देशों की उम्र के हिसाब से बात करें तो देश युवा से गया है, परिपक्व, मजबूत, आत्मविश्वास से भरपूर। और हो भीं क्यूं ना, आखिरकार देश की प्रधान जनसंख्या युवाओं की ही तो है, नयी सोच, जोश और उत्साह से भरी हुई, भविष्य को एक नया नजरिये और विश्वास से बोलती हुई, सपनों और हकीकत से फासला कम करती, इस देश की नई पीढी।  वैसे देखें तो इन 71 सालों में हमनें बहुत कुछ पाया। विज्ञान, तकनीक, समाज, अर्थव्यवस्था, हर क्षेत्र में हमने अभूतपूर्व और अकल्पनीय तरक्की के बारे में बात करने लगे, तो शायद इस पत्रिका के पन्ने कम पड़ जायेंगे।  71 सालों में हमने बहुत कुछ पाया। लेकिन इस 72वें स्वतंत्रता दिवस के पड़ाव पर कुछ सवाल है जो आज भी हमारे सामने मुंह बाये खड़े खासकर कि पिछले कुछ सालों में जबकि अतिवादिता ने अचानक ही अपने पंख, या यों कहें अपने नुकीले र्डेने हमारे समाज में भेद दिये हैं।  आसान होगा अगर हम इस लेख को सांम्रदायिकता, जाति भेद, लिंगभेद, रंगभेद या फिर राष्ट्रवाद के विवाद का अखाड़ा बता दें। पर उसके लिए तो आप को शाम को टीवी देख ही

शिक्षा के शक्तिशाली हथियार द्वारा बाल मजदूरी के विरूद्ध जागरूकता

बाल मजदूरी के प्रति विरोध एवं जगरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की इकाई अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के जागरूकता पैदा करने के लिए 2002 में विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत की। संगठन के अनुमान के मुताबिक विश्व में 21 करोड़ 80 लाख बाल श्रमिक हैं। जबकि एक आकलन के अनुसार भारत में ये आंकड़ा 1 करोड, 26 लाख 66 हजार 377 को छूता है। इन बच्चों का समय स्कूल में काॅपी-किताबों और दोस्तों के बीच नहीं बल्कि होटलों, घरों, उद्योगों में बर्तनों, झाड़ू-पोंछे और औजारों के बीच बीतता है। भारत में यह स्थिति बहुत ही भयावह हो चली है। दुनिया में सबसे ज्यादा बाल मजदूर भारत में ही हैं। सभी बाल श्रमिकों का 60 प्रतिशत कृषि के क्षेत्र में पाया जाता है। लम्बे काम के घण्टे, भारी बोझ या उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए उनकी उम्र के लिए अनुचित और हानिकारक व्यावसायिक जोखिम को उजागर कर रहे हैं जब हम बाल श्रम के बारे में बात करते है तो ग्रामीण बच्चों की इस तरह की स्थितियों से अवगत कराया जाना आवश्यक है।  मजदूरी के दलदल में फंसा बचपन:- बचपन, इंसान

21वीं सदी की शिक्षा के बारे में महापुरूषों के प्रेरणादायी एवं शक्तिदायी विचार!

 शिक्षा हमें मिल-जुलकर रहना सीखाती है:- महात्मा गाँधी -सदाचार और निर्मल जीवन सच्ची शिक्षा का आधार है तथा जैसे सूर्य सबको एक-सा प्रकाश देता है, बादल जैसे सबके लिए समान बरसते हैं, इसी तरह विद्या-दृष्टि सब पर बराबर होनी चाहिए। हरबर्ट स्पेंसर, शिक्षा का उद्देश्य चरित्र निर्माण है। स्वामी विवेकानन्द, मनुष्य में जो सम्पूर्णता गुप्त रूप से विद्यमान है उसे प्रत्यक्ष करना ही शिक्षा का कार्य है तथा शिक्षा विविध जानकारियों का ढेर नहीं है। प्लेटो, शरीर और आत्मा में अधिक से अधिक जितने सौदंर्य और जितनी सम्पूर्णता का विकास हो सकता है उसे सम्पन्न करना ही शिक्षा का उद्देश्य है।    शिक्षा द्वारा युवा पीढ़ी अपने समक्ष मानव जाति की सेवा का आदर्श रखे:- हर्बर्ट स्पेन्सर, शिक्षा का महान उद्देश्य ज्ञान नहीं, कर्म है। बर्क, शिक्षा क्या है? क्या एक पुस्तकों का ढेर? बिल्कुल नहीं, बल्कि संसार के साथ, मनुश्यों के साथ और कार्यों से पारस्परिक सम्बन्ध। अरस्तु, जिन्होंने शासन करने की कला का अध्ययन किया है उन्हें यह विश्वास हो गया है कि युवकों की शिक्षा पर ही राज्यों का भाग्य आधारित है। महामना मदनमोहन मालवीय, युवकों को