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आनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन

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महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश इकाई (पूर्वी) की आनलाइन काव्य गोष्ठी, इसकी अध्यक्षा महक जौनपुरी के संयोजन और संचालन में, श्रीमती नीतू सिंह राय, महिला काव्य मंच की राष्ट्रीय महासचिव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एड० अमरेन्द्र नाथ सिंह,अध्यक्ष हाईकोर्ट बार, इलाहाबाद, अति विशिष्ट अतिथि एड० प्रभाशंकर मिश्र, सचिव हाईकोर्ट बार, विशिष्ट अतिथि राजेश कुमारी अध्यक्षा (मध्य) म का मं उ०प्र० एवं अंजू जैन अध्यक्षा (पश्चिमी) म का मं उ० प्र० रहीं। काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ रचना सक्सेना की वाणी वंदना से हुआ अतिथियों और कवयित्रियों ने काव्य की सरिता बहायी जिसमें प्रमुख रूप से डा० नीलिमा मिश्रा, ऋतन्धरा मिश्रा, ललिता नारायणी, रेनू मिश्रा, निधि सिंह, मीरा शर्मा, आभा मिश्रा, रागिनी तिवारी, योगिनी, राजश्री पाण्डेय  महक जौनपुरी ने मन मोह लिया। धन्यवाद ज्ञापन डा० नीलिमा मिश्रा सचिव महिला काव्य मंच (पूर्वी ) उत्तर प्रदेश ने दिया।

मानव का ‘मन’ सबसे अच्छा तीर्थस्थान है!

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(1) मानव का मन सबसे अच्छा तीर्थस्थान है :-                  मनुष्य का जन्म तो सहज होता है लेकिन मनुष्यता उसे कठिन परिश्रम से प्राप्त करनी पड़ती है। हमारा मानना है कि सब कुछ हमारे अंदर स्थित मन रूपी तीर्थस्थान में ही है। स्वर्ग-नरक कहीं बाहर या आसमान में नहीं वरन् हमारे मन में ही है। यदि मन में हमने ईश्वरीय विचारों को बसा रखा है तो हमारे अंदर ही स्वर्ग है। यदि हमने अपने मन में स्वार्थ से भरे विचार भर रखे हैं तो हमारा जीवन नरक के समान है। हम संसार के किसी भी तीर्थ स्थान पर चले जाये परन्तु यदि हमारे मन में अशांति है तो किसी भी तीर्थ में शांति नहीं मिल पायेगी। क्योंकि हम अशांति की अपनी पूंजी साथ-साथ लेकर जायंेगे। अन्त में हम इस निष्कर्ष में पहंुचते है कि मानव का मन सबसे अच्छा तीर्थस्थान है।  (2) तोरा मन दर्पण कहलाये भले बुरे सारे कर्मों को , देखे और दिखायेे :-                 मानव प्राणी अपने प्रभु से पूछे किस विधि पाऊँ तोहे, प्रभु कहे तू मन को पा ले, पा जायेगा मोहे। आइये, मन के महत्व को एक सुन्दर भजन की इन पंक्तियों द्वारा समझते हैं - तोरा मन दर्पण कहलाये भले बुरे सारे कर्म

इस तरह ना खुद को रुसवा कीजिये

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हसरतों  का   दिल  से  सौदा  कीजिये ! आप  ताजिर   हैं   तो   ऐसा  कीजिये ! मौसम-ए-उल्फत  में   सुर्खी   आयेगी ! जख्म-ए-दिल को और गहरा कीजिये ! जब  नहीं   रिश्ता   कोई   है  दरमियाँ ! याद  बनकर  भी   न  आया  कीजिये ! गैर   तो   हैं   गैर   उनसे   क्या  गिला ! आप   अपने   हैं   न  धोखा  कीजिये ! गैर   की    बाँहों   में    बाँहें   डालकर ! इस तरह  ना खुद को  रुसवा कीजिये ! किसकी  नजरों में  हवस है  क्या पता ! यूँ   न   सबको   यार   देखा   कीजिये ! जिसमें  नफरत  का  अंधेरा  है  सनम ! प्यार   का   उसमें   उजाला   कीजिये ! जिसके सीने में ‘कशिश’ दिल ही नहीं ! किसलिये   उसकी    तमन्ना   कीजिये !      

पुण्यतिथि पर याद किये गये रामायण प्रसाद पाठक

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शहर समता विचार मंच प्रयागराज द्वारा श्रृंगार के कवि रामायण पाठक की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि स्वरुप एक काव्य गोष्ठी का आयोजन शंभुनाथ त्रिपाठी ‘अंशुल’ की अध्यक्षता में ‘गुगल मीट’ द्वारा हुआ। इस अवसर पर डॉ शम्भुनाथ त्रिपाठी ‘अंशुल’ ने कहा, रामायण प्रसाद पाठक जितने अच्छे इन्सान थे उतने ही अच्छे रचनकार भी थे। आज उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर हम सब उन्हें भावों की पुष्पांजलि अर्पित करते हैं। इस काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि अशोक स्नेही ने कहा, रामायण प्रसाद पाठक के गीत और नज्म बेहतरीन हैं। विशिष्ट अतिथि डा. सरोज सिंह ने उन्हें याद करते हुए कहा, रामायण प्रसाद पाठक से जब भी भेट हुई उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा सदैव याद आता है। आज वो नही हैं लेकिन उनकी स्मृतियां आज भी ताजा हैं। काव्य गोष्ठी का संचालन डा नीलिमा मिश्रा ने किया और संयोजन रचना सक्सेना का रहा।  इस काव्यगोष्ठी में कविता उपाध्याय, जया मोहन श्रीवास्तव, गीता सिंह, राजेश सिंह राज, शिवानी मिश्रा, मीरा सिन्हा, मुकुल मतवाला, रचना सक्सेना, उर्वशी उपाध्याय, महक जौनपुरी, तलब जौनपुरी, ऋतन्धरा मिश्रा, नीना मोहन,संजय सक्सेना, उमेश श्रीवास्तव और अभिषेक केसरव

रचना सक्सेना एक बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न, स्त्री संवेदना से आपूरित कवयित्री: डा. सरोज सिंह

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महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई के तत्वावधान में महिला काव्य मंच की महासचिव ऋतन्धरा मिश्रा के संयोजन में महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई की अध्यक्ष रचना सक्सेना पर केन्द्रित एक समीक्षात्मक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में नगर की अनेक वरिष्ठ महिला साहित्यकारों ने भाग लिया। रचना सक्सेना की कविताओं और कहानी की समींक्षा करते हुए डा० सरोज सिंह ने अपने विचार व्यक्त किये कि रचना सक्सेना एक बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न, कर्मठी, जागरूक, नारी गौरव से विभूषित, स्त्री संवेदना से आपूरित ,संगठन एवं नेतृत्व की क्षमता से पूर्ण ,समसामयिक संदर्भों के प्रति सजग रचनाकार हैं। उनका व्यक्तित्व किसी परिचय का मोहताज नही है उनकी कविता विरहिणी रामकथा के उपेक्षित पात्र उर्मिला के संवेदनशील पक्ष को रेखांकित करती हुई अपनी सजग नारी दृष्टि का परिचय देती हैं। उर्मिला के समर्पण, त्याग ,पति प्रेम को मार्मिक ढंग से विश्लेषित करती है। उनकी समस्त रचनाओं की भाषा सरल और संप्रेषणीय हैं । डा० नीलिमा मिश्रा के अनुसार रचना सक्सेना साहित्य जगत का एक ऐसा नाम है जो रचनाओं के साथ संवाद करती हैं। भारतीय नारी के पूरे अस्तित्व को अ

छोड़ दो ये गुस्सा जी

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इलाहाबाद महिला साहित्यकार मंच के तत्वावधान में गीतों और लोकगीतों की महफिल का आनलाइन आयोजन वरिष्ठ कवयित्री जया मोहन की अध्यक्षता में किया गया। इस काव्यगोष्ठी में रचना सक्सेना ने वाणी वंदना प्रस्तुत की,संचालन डा. नीलिमा मिश्रा और संयोजन ऋतन्धरा मिश्रा ने किया। जया मोहन ने चैती गाकर सब को भाव विभोर कर दिया। परम सुहावन हो रामा राम घर अईहे नवमी तिथि बड़ी है पावन ऋतन्धरा जी ने..  आरजू बनकर शाम आई है कुछ इस तरह से बहार आई है जैसे कोई देहात से दुल्हन शहर में पहली बार आई है डा० नीलिमा मिश्रा ने गीत सुनाया:- सुख का आँचल भेजो न  नीलम बादल भेजो न। मुझको नजर न लगे कोई  ऐसा काजल भेजो न।। महक जौनपुरी ने लेकगीत की प्रस्तुति देते हुऐ...  चाट कटरा में चलकर खियाऐ दो पिया  माल मे घुमाय दो पिया न रचना सक्सेना ने...  बन्नी के गाल गुलाबी रे  हाय कसम शर्मा गयी  रेनू मिश्रा जी ने...  एजी एजी करते करते  जी निकल न जाए जी  छोड़ दो ये गुस्सा जी कही जी पे न बन जाए जी। इस काव्यगोष्ठी में सावन की छटा और भक्ति की गंगा भी बही। जया मोहन श्रीवास्तव, महक जौनपुरी, रचना सक्सेना, डा० नीलिमा मिश्रा, ऋतन्धरा मिश्रा और रेनू मिश्र

एक पल में ही पराया कर दिया

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जो  नहीं  करना  था   वैसा  कर दिया ! प्यार को  दुनिया में  रुसवा  कर दिया ! उम्र  भर  को   दी   तड़पने  की  सजा ! बे-वफा  तू  ने  सितम  क्या  कर दिया ! रिश्ता-ए-उल्फत  को  उसने  तोड़कर ! एक  पल   में   ही   पराया  कर  दिया ! दे के  मुझको  गम  अलम   रुसवाईयाँ ! जिन्दगी   को   यूँ   तमाशा   कर दिया ! दर्द-ए-दिल  तन्हाई  आँसू  और तड़प ! इश्क ने   इन  सब  को मेरा  कर दिया ! नफरतें  दिल  में  जगीं  कुछ इस तरह ! सर्द   जज्बों   को   शरारा   कर  दिया ! खुशनुमा बेहतर ‘कशिश’ थी जिन्दगी ! आशिकी  ने  गम  का  मारा कर दिया !

एक शानदार शख्सियत और बेहतरीन शायरा

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महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई के तत्वावधान में महिला काव्य मंच की अध्यक्ष रचना सक्सेना के संयोजन में प्रयागराज की एक चर्चित गजलकारा डा. नीलिमा मिश्रा पर केन्द्रित एक समीक्षात्मक परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में नगर की अनेक वरिष्ठ महिला साहित्यकारों ने भी भाग लिया। गजलकारा ’महक जौनपुरी’ कहती है कि नीलिमा गजल की सिद्धस्त शायरा हैं हालाँकि दोहे, कुण्डलिया, छंद, गीत आदि विधाओं में उनका लेखन बेहद प्रभावी रहता है रुमानियत पर शेर कहने में भी उनकी कोई टक्कर नहीं।  देखिए उनका एक मतला:- परदे में सनम जो बैठा है कैसे उसका दीदार करूँ।  इक सूरत मेरे दिल में है मैं कैसे ऑंखें चार करूँ।  ’डा. सरोज सिंह’ कहती है कि डा नीलिमा मिश्रा बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न अगणित भावों से परिपूर्ण संवेदनशील ,सजग रचनाकार हैं। विचारों की गहनता एवं भावों की प्रगाढ़ता ही किसी रचनाकार को कालजयी बनाती हैं। गजल को पेश करने का उनका अंदाज ही जुदा है। गजल जज्बात और अल्फाज का बेहतरीन गुंचा है,एक रसीला अंदाज है जो नीलिमा की गजलों में देखा जा सकता है।वरिष्ठ साहित्यकार ’उमा सहाय’ कहती है कि नीलिमा के जेहन में उर्दू शब्दों का अ

गुजारी उम्र है किस्मत को आजमाने में

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उठे जो हक की सदा बन के इस जमाने में ! रहे  हैं   सर  वही   जालिम  तेरे  निशाने में ! मिटा   सकेगा  न   मेरा  वजूद  तू  हरगिज ! नहीं  है  मर्जी-ए-रब   जो   हमें  मिटाने  में ! न कुछ मिला उसे  तदबीर के  बिना जिसने ! गुजारी  उम्र  है  किस्मत  को  आजमाने  में ! ये  और  बात   समझ  से  परे  रही  लेकिन ! छिपी थी दिल की  सदा लब के थरथराने में ! हकीकी  इश्क  इबादत  से  कम  नहीं लोगों ! सुकूँ  मिला है  सदा  दिल से दिल  लगाने में ! मिलेगा  तोड़  के  दुनिया   की  सारी  दीवारें ! जुनूँ   वो  जोश   है   बाकी   तेरे   दिवाने  में ! चराग-ए-इश्क  ‘कशिश’  तेरे  काम  आयेंगे ! वफा खुलूस की  महफिल  को जगमगाने में !                 

दार्शनिकता के साथ ही प्रासंगिकता से पूर्ण हैं कविता की कविताएं: मीरा सिन्हा

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महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई के तत्वावधान में एक समीक्षात्मक परिचर्चा का आयोजन किया गया, जो कि प्रसिद्ध कवयित्री कविता उपाध्याय की कविताओं पर केंद्रित था। परिचर्चा में नगर की वरिष्ठ महिला साहित्यकारों ने भाग लिया।  वरिष्ठ रचनाकार मीरा सिन्हा ने कविता उपाध्याय की कविताओं के विषय में कहा, विस्तृत विषय वस्तु और सुस्पष्ट शब्दावली के साथ ही कविता जी उन्मुक्त विचारों के साथ अपनी कविताएं प्रस्तुत करती हैं। हमारा सौभाग्य है कि मुझे उनका सानिध्य प्राप्त है। आपकी रचनाएं समय अनुकूल, सरल और बोधगम्य हैं। कविता जी मधुर कंठ की स्वामिनी है और मंच पर एक सशक्त हस्ताक्षर के रूप में मधुर कंठ के साथ प्रस्तुत होती हैं।  हिंदी के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम डॉ सरोज सिंह ने कवयित्री की कविताओं के विषय में अपनी बात कहते हुए कहा, कविता जी की कविताएं अत्यंत प्रासंगिक हैं और सामाजिक विषयों पर आधारित हैं। उन्होंने कहा, आप कहीं भारत चीन के वर्तमान स्थितियों का रेखांकन करती हैं, तो कहीं बेटियों की मार्मिक दशा का वर्णन करती हैं। जिंदगी के दार्शनिक पक्ष की झलक भी मुमकिन नहीं जैसी कविताओं में सहज ही देखने को मिल जाती

हर किसी के चहेते थे सरदार अजीत सिंह

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सिविल डिफेंस के डिप्टी चीफ वार्डेन एवं कर्मचारी नेता सरदार अजीत सिंह एक सच्चे देशभक्त और सामाजिक कार्यकर्ता थे, वे हर किसी के सुख-दुख में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे, उनके निधन से एक युग का समापन हो गया है। उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला था, वे मेरे संरक्षक की तरह थे। यह बात साहित्यिक संस्था गुफ्तगू के उपाध्यक्ष मनमोहन सिंह तन्हा ने गुफ्तगू द्वारा आयोजित आनलाइन शोक सभा में कही। संस्था के अध्यक्ष इम्तियाज अहमद गाजी ने कहा कि सरदार अजीत सिंह हम सबके मार्गदर्शक की तरह थे, हर मौके पर काम आते थे। पूरा प्रयागराज शहर उनका दिल से सम्मान करता था, हर किसी व्यक्ति के आवश्यक कार्य में वे सबसे पहले पहुंचने वाले व्यक्ति होते थे। उनके कार्यों को देखते हुए ही वर्ष 2018 में उन्हें गुफ्तगू द्वारा ‘शान-ए-इलाहाबाद’ सम्मान प्रदान किया गया था। वे हर किसी के चेहते थे। डाॅ. नीलिम मिश्रा ने कहा कि सरदार अजीत सिंह एक सच्चे देशभक्त, आदर्श नागरिक, उच्च मानवीय मूल्यों को अपने समेटे हुए थे, उनका दुनिया से चला जाना ऐसी अपूरणीय क्षति है जिसकी भरपाई करना संभव नहीं है। केंद्रीय विद्यालय की शिक्षिका अर्चना जायसवाल ने कहा क

भयमुक्त वातावरण वाला प्रदेश बनाने की पहल, मुख्तार अंसारी गैंग पर बड़ी कार्यवाही

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योगी आदित्यनाथ जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें, उस समय ऐसा लोगों का मत रहा कि उनके पास अनुभव का अभाव है, इनके साथ दो उप-मुख्यमंत्री बनें उन्हें भी मत्री पद का अनुभव नहीं था, किन्तु पूर्वानचल से योगी जी विशेष लगाव रहा है। ऐसा भी समय रहा जब योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था, इस हमले में वे बाल-बाल बचे। यह हमला इतना बड़ा था कि सौ से भी अधिक वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया और लोगों को लहूलुहान कर दिया। पूर्वान्चल के आजमगढ़ जनपद की आस-पास उस समय का बहुबली माफिया कहा जाने वाला मुख्तार अंसारी का उस परिक्षेत्र बहुत अधिक प्रभाव रहा। शनैःशनै उस क्षेत्र मुख्तार अंसारी और उसके सहयोगियों का महत्व कम होता गया। योगी आदित्यनाथ जब से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें उसके बाद मुख्तार अंसारी और उसके सहयोगियों का प्रभाव कम होता जा रहा है।    एक ताजा घटनाक्रम में सोशल मीडिया सेल कार्यालय अपर पुलिस महानिदेशक, वाराणसी जोन वाराणसी से प्राप्त विवरण के अनुसार मुख्तार अंसारी अंतर-राज्यिय आपराधिक गैंग आईएस 191, एचएस 16बी के संरक्षण में दो दशकों से अवैध बूचड़खाना संचालन में लिप्त 8 अवैध कटान मा

जिंदगी का वास्तविक अनुभव

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पढ़ाई पूरी करने के बाद एक छात्र किसी बड़ी कंपनी में नौकरी पाने की चाह में इंटरव्यू देने के लिए पहुंचा छात्र ने बड़ी आसानी से पहला इंटरव्यू पास कर लिया। अब फाइनल इंटरव्यू कंपनी के डायरेक्टर को लेना था। और डायरेक्टर को ही तय करना था कि उस छात्र को नौकरी पर रखा जाए या नहीं। डायरेक्टर ने छात्र का सीवी देखा और पाया कि पढ़ाई के साथ-साथ यह छात्र ईसी में भी हमेशा अव्वल रहा। डायरेक्टर, क्या तुम्हें  पढ़ाई के दौरान कभी छात्रवृत्ति  मिली? छात्र, जी नहीं! डायरेक्टर, इसका मतलब स्कूल-काॅलेज  की फीस तुम्हारे पिता अदा करते थे। छात्र, जी हाँ, श्रीमान! डायरेक्टर, तुम्हारे पिताजी क्या काम करते  है? छात्र, जी वो लोगों के कपड़े धोते हैं! यह सुनकर कंपनी के डायरेक्टर ने कहा, जरा अपने हाथ तो दिखाना। छात्र के हाथ रेशम की तरह मुलायम और नाजुक थे। डायरेक्टर, क्या तुमने कभी  कपड़े धोने में अपने  पिताजी की मदद की? छात्र, जी नहीं, मेरे पिता हमेशा यही चाहते थे  कि मैं पढ़ाई करूं और ज्यादा से ज्यादा किताबें पढ़ूं! हां, एक बात और, मेरे पिता बड़ी तेजी  से कपड़े धोते हैं! डायरेक्टर, क्या मैं तुम्हें एक काम कह सकता हूं? छात्र, जी, आ

काश दिन आये वो, तुझपे दें जान हम

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अय-वतन अय-वतन, तुझपे कुरबान हम । काश दिन  आये  वो, तुझपे दें  जान हम । सरहदों    पर    लड़ें,   तेरी    रक्षा   करें । गोली    सीने    पे   खायें,  न  पीछे  मुड़ें । अपने दिल  में ये रखते,  हैं  अरमान हम । अय-वतन अय-वतन,तुझपे कुरबान हम । काश दिन  आये  वो, तुझपे दें  जान हम ! हमने देकर  लहू, तुझको  गुलशन किया । आबरू   के   लिये   तेरी,  सर   दे  दिया । सारी  दुनियाँ   में  हैं,  तेरी  पहचान  हम । अय-वतन अय-वतन, तुझपे कुरबान हम । काश दिन  आये  वो, तुझपे दें  जान हम ! जो  हुयीं  हैं  खता, दर - गुजर  सब  करें । धर्मो-मजहब की  खातिर, नहीं अब लड़ें । हिन्दू - मुस्लिम  नहीं,  सिर्फ  इंसान  हम । अय-वतन अय-वतन,तुझपे कुरबान हम । काश दिन  आये  वो, तुझपे दें  जान हम !  आ  रहे  हैं    बलंदी  पे,  हम  जो  नजर । देश  के  दुश्मनों   को,  भी  है  ये  खबर । इक  परिन्दा   नहीं  आज   बे-जान  हम । अय-वतन अय-वतन, तुझपे कुरबान हम । काश दिन  आये  वो, तुझपे दें  जान हम ! मेरे  दिल   में  है   तू,  मेरे   प्यारे   वतन । है ‘कशिश’ ये दुआ, यूँ  ही  महके चमन । जिन्दगी   भर   करें,  तेरे   गुणगान  हम । अय-वतन अय-वतन,

कोई न थाम सका उस सैलाब को

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महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई की अध्यक्ष ’रचना सक्सेना’ के संयोजन मे एक समीक्षात्मक परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा प्रयागराज की वरिष्ठ कवयित्री एवं महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई की महासचिव ऋतन्धरा मिश्रा जी पर केन्द्रित रहा। इस परिचर्चा के अंतर्गत उनकी कुछ रचनाओं पर प्रयागराज की वरिष्ठ कवयित्रियों एवं साहित्यकारों ने अपने विचार प्रस्तुत किये। वरिष्ठ कवयित्री उमा सहाय ने कहा कि एडवोकेट ऋतन्धरा मिश्रा जी की कलात्मक रुचियों के क्रियान्वयन का दायरा अत्यंत विस्तृत है। उनका व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा से गुंफित है। वह स्वयं तथा उनके जैसी कर्मठ महिलाएं नारी सशक्तिकरण की वास्तविक प्रतिमूर्ति हैं। उनकी कविताएं नारी विमर्श के मुद्दों से भरपूर हैं। वह वैचारिक ऊर्जा से भरी हुई अतुकांत कविताएं लिखने में सिद्धहस्त हैं, फिर भी नारी सुलभ कोमल भावनाओं को उन्होंने अनदेखा नहीं किया है। साहित्य, अभिनय ,समाज सेवा तथा इनसे संबंधित अनेक संगठनों से जुड़ाव इनके जीवन की सक्रियता की विशेषता है।  वरिष्ठ कवयित्री एवं लेखिका ’जया मोहन’ ने कहा, हर क्

महिला सशक्तीकरण को मिलेगा नया आयाम

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आजमगढ़। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में डिजिटल इण्डियां की अवधारणा पर प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। इसी दृष्टि से कामन सर्विस सेेंन्टर को सुदृढ़ किया गया है। जहां कोई भी व्यक्ति अल्प शुल्क का भुगतान कर अपने आवश्यक कार्य सम्पादित कर सकता है। लाकडाउन के दौरान विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के खाते में धनराशि राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा भेजी गयी, जिसके निकालने के लिये बड़ी संख्या में महिला लाभर्थी बैैंकों में भीड़ लगाने लगीं। इसके लिये सरकार ने बैकिंग सखी की अवधारणा को प्रोत्साहित करने की व्यवस्था की। यद्यपि प्रदेश में वर्तमान में 62 हजार बैकिंग कारोस्पांडेंट प्रतिनिधि कार्यरत हैं। प्रदेश की करीब साढ़े 23 करोड़ की आबादी को दृष्टिगत रखते हुए इनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत महसूस की गयी, जिसके फलस्वरूप मुख्यमंत्री ने ग्राम पंचायत स्तर पर 58 हजार बैकिंग कारोस्पांडेंट महिला प्रतिनिधि की तैनाती का ऐतिहासिक निर्णय लिया। महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ ही गरीबी उन्मूलन तथा उनके सम्रग विकास के लिये वास्तव में राज्य सरकार कृत संकल्प है। यद्यपि गांवों के लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने और महिलाओं के जीव

प्रेम का क्षेत्र असीम है, अनन्त है

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जैव-जगत, प्राणी समूह एवं सकल दृश्य-अदृश्य सत्ता के रूप में वह परमात्मा ही सर्वत्र अभिव्यक्त है। परमात्मा द्वारा बनाई गई सृष्टि में प्रत्येक प्राणी आदरणीय है और पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन में सबकी अपनी विशिष्ट भूमिका है। अतः प्रकृति के प्रत्येक घटक का आदर ईश्वरीय आराधन है। संसार के कण-कण में ईश्वर का वास है। हर जीव, पेड़-पौधे में परमपिता परमेश्वर का अंश है। आवश्यकता है तो अपने अंदर ईश्वर का अनुभव, प्रतीति करने की। ईश्वर की कृपा दृष्टि सब पर है। कौन कहां क्या कर रहा है, उससे कुछ भी छिपा नहीं है। ईश्वर की कृपा को पाने के लिए जरूरतमंद लोगों की सेवा करनी चाहिए। इस संसार में बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनको हमारी आवश्यकता है। मनुष्य जीवन मानवता की सेवा परोपकार के लिए है। प्राणी मात्र की सेवाभाव से अपने जीवन स्तर के साथ-साथ दूसरों का जीवन स्तर भी सुधर सके। जो असहायों के हृदय स्पर्श न कर सका, संसार को सद्व्यवहार न दे सका, उसकी उपासना अधूरी है। उसे कभी भगवान मिलेंगे यह सोचना भी गलत है। परमात्मा से सच्चे हृदय से जो प्रीति रखते हैं उन्हें सृष्टि के प्रत्येक प्राणी में उन्हीं की छाया दिखाई देती है। क्या

कोरोना काल है भ्रमित मत होना

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शहर समता विचार मंच के तत्वावधान में प्रयागराज के वरिष्ठ कवि शिवमूर्ति सिंह जी की अध्यक्षता में एक आनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। इस काव्यगोष्ठी में मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि यशवंत सिंह ‘यश’ एवं विशिष्ट अतिथि कानपुर के वरिष्ठ कवि अशोक गुप्ता ‘अचानक’ जी थे। आयोजन का प्रारम्भ माँ सरस्वती जी को मालार्पण और दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया और सरस्वती वंदना अन्नपूर्णा मालवीय ‘सुभाषिनी’ जी द्वारा प्रस्तुत की गयी। डा. नीलिमा मिश्रा  के प्रभावशाली एवं सुंदर संचालन द्वारा प्रयागराज के अनेक कवि एवं कवयित्रियों नें अपनी सुंदर-सुंदर रचनाओं को पटल पर रख अपने भावों का आदान प्रदान किया। संचालन की खास बात ये रही कि सभी कवियों और कवयित्रियों को उनके नाम से बने दोहों से मंच पर आमंत्रित किया गया जिससे सभी रचनाकारों में खुशी की लहर दौड़ गयी। इस काव्य गोष्ठी में जहाँ नीलिमा मिश्रा जी की यह पंक्तियाँ सराही गयी....  सुबह आसमाँ पर जो लाली रही, पूरी दुनिया की रंगत निराली रही। वही उमेश श्रीवास्तव जी  की ..... बड़े कवि अगर हो लिखो बात ऐसी धरा का अंधेरा सभी मिट ही जाऐ   सराही गयी, रचना सक्सेना जी न

मैं छोड़ कर गली को तेरी आ गया मगर

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बोझल किया है हिज्र की रातों ने उम्र भर बिस्मिल किया है वस्ल के नगमों ने उम्र भर वो कैसे चाहे और निगाहों में जा रहूँ चाहा है जिसको मेरी निगाहों ने उम्र भर मरने के थे कगार पे क्या भूल तुम गए जिंदा रखा है तुमको दुआओं ने उम्र भर मैं छोड़ कर गली को तेरी आ गया मगर पीछा किया है तेरी वफाओं ने उम्र भर बेनाम को ये नफरतें तो छू न पाएंगी बाँधा है उसको प्यार के धागों ने उम्र भर

समझ में आता नहीं दिल तुझे हुआ क्या है

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तेरे   वजूद     तेरी    शान   के   सिवा  क्या है ! हर-एक  सिम्त  से  उठती  है जो  सदा क्या है ! तुझे  जो   देखे  नजर  भर  के  तेरा  हो  जाये ! कोई  करिश्मा   है   जादू  है  दिलरुबा  क्या है ! मैं  जल्द  लौट  के  आऊँ जो  कह दिया तुमने ! ये हुक्म-ए-यार है ख्वाहिश है इल्तिजा क्या है ! फिराक-ए यार  में  जिसने  न  शब  गुजारी हो ! वो जान सकता नहीं  लुत्फ-ए-रतजगा क्या है ! सुकूँन-ओ-चैन   नदारद   हैं  किसलिये  बोलो ! समझ में  आता  नहीं  दिल  तुझे  हुआ क्या है ! चढ़े है  जब  भी  किसी  को  न  उम्र  भर उतरे ! बताये   कौन   उसे   इश्क   का   नशा  क्या है ! नजर  में   हैं   सभी  तारीख  के  हसीं  कागज ! कोई  बताये  ‘कशिश’ उन  सा  दूसरा  क्या है !