डा. पूर्णिमा की कविता में बिखरा है बेटी का दर्द:प्रेमा राय
महिला काव्य मंच प्रयागराज इकाई के तत्वावधान में आज प्रयागराज की कवयित्री डा. पूर्णिमा मालवीय की कविताओं पर समीक्षात्मक परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें डा. पूर्णिमा मालवीय की चार चुनिंदा कविताओं को पटल पर चर्चा के लिए रखा गया। वरिष्ठ कवयित्री ’कविता उपाध्याय’ ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि डा. पूर्णिमा जी की प्रथम कविता हृदय को अथवा नारी मन को अंदर तक झकझोरने या दबी पीड़ा को कुरेदने में तत्पर है। जो बेटी बचपन से जवानी तक माता-पिता के घर को अपना घर समझती आई थी, अचानक ही युवा होते और विवाह होते ही पराई हो जाती है । माता-पिता, भाई कहते हैं पराया धन है, तो ससुराल वाले कहते हैं ,इसे कैसे दर्द होगा ,पराए घर से आई है। अतः पराएपन का दंश उसे सदैव कुरेदता है। कवयित्री की कविता में इलाहाबाद का गुणगान है। वास्तव में यहां के अमरूद दूर-दूर तक स्वाद गुण की महक बिखेरते हैं, एक ओर बड़े-बड़े साहित्यकार महीषी महादेवी वर्मा, निराला, बालकृष्ण भट्ट, आदि है तो दूसरी ओर कलाकार अमिताभ बच्चन, हरिप्रसाद चैरसिया, रामकुमार वर्मा आदि है। यह महान नेता नेहरू जी की जन्मस्थली भी है। गंगा जमुनी तहजीब है। कुंभ